Banke Bihari: वृंदावन में बांकेबिहारी की मंगला आरती में बरसा आनंद, राधे-राधे के लगे जयकारे
जन्माष्टमी पर जुटा भक्तों का उमड़ा अपार जनसमूह वृंदावन में व्यवस्थाएं ध्वस्त। बांकेबिहारी मंदिर में उमस से कई भक्तों को हुई दिक्कत तो कई की निकली चीख। आसपास के कई शहरों से लोगों ने सोमवार शाम को जमा लिया था डेरा। भीड़ नियंत्रित नहीं हो सकी।
आगरा, जेएनएन। सालभर तक ठा. बांकेबिहारी की मंगला आरती दर्शन की उम्मीद लगाए भक्तों के इंतजार के पल भोर में खत्म हुए, तो भक्तों के आनंद का ठिकाना न था। मंदिर में जैसे ही ठाकुरजी के पट खुले तो हजारों भक्तों का सैलाब एक साथ मंदिर के अंदर पहुंच गया। जनसमूह के सैलाब को नियंत्रित करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन साबित हुआ। हर कोई सालभर में आने वाले इस विलक्षण पल का साक्षी बनने को बेताब नजर आया, हर भक्त आगे बढ़ने की जुगत में एक-दूसरे को धकियाते हुए आगे बढ़ रहा था। ऐसे में सीधे तौर पर एक सवाल ये भी उठ रहा था कि आखिर इस तरह तो कोरोना वायरस की तीसरी लहर को आने से रोका नहीं जा सकता।
ठा. बांकेबिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर सालभर में एक ही दिन मंगला आरती होती है। इसका इंतजार भक्तों को पूरे साल रहता है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर सोमवार की शाम से ही भक्तों ने मंदिर के आसपास डेरा डालना शुरू कर दिया। रात तय समय 9.30 बजे मंदिर के पट बंद हुए तो भक्तों ने चबूतरे से लेकर बाजार और विद्यापीठ चौराहा तक डेरा डाल लिया। रातभर भजन कीर्तन की गूंज पूरे इलाके में सुनाई दे रही थी। कहीं ढोल पर नृत्य करते श्रद्धालु नजर आ रहे थे, तो कहीं भजन करते। मंगला आरती का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा था, श्रद्धालु मंदिर की ओर बढ़ते नजर आए। सुबह ठीक 1.45 बजे मंदिर के पट खुले तो अंदर नजारा अद्भुत नजर आया। भीड़ का आलम ये कि बिना किसी सहारे के श्रद्धालु धक्का-मुक्की में कभी आगे बढ़ जाते तो कभी पिछड़ जाते। लेकिन हर श्रद्धालु की इच्छा की आगे बढ़कर आराध्य की एक झलक मिल जाए। सेवायत ने 1.55 बजे आरती शुरू की तो जनसैलाब समुद्र की तरह झूलता नजर आया। आरती के शुरू होने और खत्म होने तक मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ समुद्र की तरह हिलोरे लेने नजर आ रही थी। बांकेबिहारी के जयकारे रात के सन्नाटे को चीरते हुए पूरे शहर में गूंजते नजर आए।