चंबल नदी में संचालित नावें बन सकती हैं चुनौती
एमपी यूपी के बीच बहने वाली नदी के कई घाटों पर नावों से होता है आवागमन चुनाव के दिन अराजक तत्व के आने की बनी रहती है आशंका
जागरण टीम, आगरा। तीन राज्यों से होकर गुजरने वाली चंबल नदी में संचालित नावें त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पुलिस व प्रशासन के लिए चुनौती बन सकती है। मतदान के दौरान अराजक तत्व इनका प्रयोग कर तहसील क्षेत्र में पहुंच बाधा उत्पन्न कर सकते है। यहां तक शराब तस्कर सड़क मार्ग से न आकर नाव के माध्यम से शराब की तस्करी कर सकते हैं।
बाह तहसील की सीमा राजस्थान व एमपी से लगती है। आगरा में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का मतदान पहले चरण 15 अप्रैल को होना है। एमपी के मुरैना, भिण्ड, के अलावा राजस्थान के धौलपुर जिले की सीमा बाह तहसील के क्षेत्र से लगती हैं। चंबल नदी पर रेहा, क्यौरी, गुढ़ा, हतकांत के अलावा कई ऐसे घाट है जहां पर चोरी छिपे नाव का संचालन किया जाता है। इन घाटों पर चंबल में चलने वाली नाव का प्रयोग ग्रामीण खुद के आवागमन के लिए करते है। चुनाव के दौरान मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए अनाधिकृत रूप से शराब तक बांटी जाती है। इन नावों के माध्यम से तस्करी की शराब भी आने का अंदेशा बना रहता है। यहीं नहीं मतदान को प्रभावित करने के लिए प्रत्याशी अराजक तत्वों को भी इन्हीं रास्तों से प्रवेश कराते हैं। पहले होते थे फतवे
अब चंबल व यमुना के बीहड़ में डकैत नहीं रहे। 70 के दशक तक चंबल के बीहड़ दस्यु प्रभावित रहे हैं। उस दौरान गिरोह फतवा जारी कर एक प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने को कहते थे। इसका असर भी कई बार देखने को मिला है। गरीब कमजोर वर्ग का मतदाता न चाहते हुए भी भय के कारण फतवा का पालन करता रहा है। अब चुनाव में डकैतों को खलल तो नहीं रहा है। इन थानों के लिए होगी चुनौती मनसुखपुरा थाने की सीमा राजस्थान व एमपी तथा बासौनी, पिनाहट, खेड़ा राठौर, जैतपुर की सीमा एमपी की सीमा से लगती है। ऐसे में मतदान से पूर्व इन थाना क्षेत्र की पुलिस को कड़ी चौकसी बरतनी पड़ेगी। इनके लिए निष्पक्ष चुनाव कराना एक चुनौती रहेगी।