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बाबर के बनाए रामबाग का सुधरा हाल, पानीपत का युद्ध जीतने के बाद बनाया था आगरा में ये उद्यान

बारिश में गिरी दक्षिणी दीवार की मरम्मत की गई। स्मारक के प्रवेश द्वार के बाहर रोड संवारी गई। बाबर ने यहां बाग-ए-गुल अफशां बनवाया था। इसे चारबाग पद्धति पर भारत में मुगलों द्वारा बनवाए गए प्रारंभिक उद्यानों में से एक माना जाता है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 11:53 AM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 11:53 AM (IST)
बाबर के बनाए रामबाग का सुधरा हाल, पानीपत का युद्ध जीतने के बाद बनाया था आगरा में ये उद्यान
यमुना किनारे आगरा में बाबर द्वारा बनवाया गया रामबाग।

आगरा, जागरण संवाददाता। बाबर द्वारा तामीर कराए गए रामबाग की सूरत को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने संवारा है। मुख्य मार्ग से स्मारक के प्रवेश द्वार तक जाने वाली सड़क की स्थिति को सुधारा गया है। बारिश में गिरी दीवार का संरक्षण भी किया गया है। दोनों कार्यों पर करीब 45 लाख रुपये व्यय हुए हैं।

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वर्ष 1526 में पानीपत के युद्ध में जीतने के बाद आगरा आए मुगलों ने यमुना पार को रहने के लिए चुना था। बाबर ने यहां बाग-ए-गुल अफशां बनवाया था। इसे चारबाग पद्धति पर भारत में मुगलों द्वारा बनवाए गए प्रारंभिक उद्यानों में से एक माना जाता है। ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल (1803-1857) में इसका उपयोग आरामगाह के लिए किया गया था। कालांतर में यह रामबाग के नाम से प्रसिद्ध हो गया। पिछले वर्ष 19 मई को रामबाग की सर्विस रोड की तरफ स्थित चहारदीवारी 19 मई को गिर गई थी। जुलाई में बारिश होने पर स्मारक में नाले का गंदा पानी भर गया था। यह दीवार सीमेंट व ककैया ईंटों की बनी हुई थी।

सीमेंट का इस्तेमाल होने से इसे करीब 35-40 वर्ष पूर्व बनाने का अनुमान लगाया जा रहा है। दीवार व अन्य कार्यों की मरम्मत को एएसआइ ने करीब 80 लाख रुपये से संरक्षण के कार्य का प्रस्ताव बनाया था। एएसआइ के पास पहले से काफी मैटेरियल उपलब्ध होने की वजह से संरक्षण कार्य पर करीब 45 लाख रुपये ही व्यय हुए। अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि स्मारक के प्रवेश द्वार की स्थिति को सुधारा गया है। चहारदीवारी की मरम्मत कराई गई है।

इसमें पहले से उपलब्ध मैटेरियल का इस्तेमाल हुआ है। नाले की समस्या का नहीं हुआ समाधानहाईवे की सर्विस रोड और रामबाग की चहारदीवारी के बीच नाला है। इसमें सफाई नहीं होने से सिल्ट भरी हुई है। एएसआइ ने दीवार गिरने व स्मारक में नाले का पानी भरने के बाद भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को नाले की मरम्मत के लिए पत्र भेजा था, लेकिन इसका संज्ञान नहीं लिया गया। एएसआइ ने जितने क्षेत्र में चहारदीवारी का निर्माण कराया, वहां नाले की सफाई कराई है। नाले की मरम्मत न होने से चहारदीवारी की दीवार पर अभी भी संकट मंडरा रहा है। 


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