हो गया है कोरोना तो घबराएं नहीं, मेडिकल किट की इन दवाओं से हो सकते हैं घर बैठे ठीक
आगरा में एक हजार समितियां घर-घर कोरोना संक्रमितों पर रख रही हैं नजर। कोरोना वायरस जांच में पॉजिटिव होने पर करा रहीं हैं आइसोलेट घर पर ही पहुंचा रही हैं दवा किट। ग्राम स्तर पर 690 और आगरा शहर में 450 निगरानी समितियां कर रहीं कार्य।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले में एक हजार से ज्यादा निगरानी समितियां काम कर रही हैं। यह समितियां अपने क्षेत्र में मिल रहे कोरोना संक्रमितों को आइसोलेट करा रही हैं और उन्हें दवा किट भी पहुंचा रही हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जनपद में 690 निगरानी समितियां ग्राम स्तर पर और 450 निगरानी समितियां शहरी क्षेत्र में काम कर रही हैं।
निगरानी समिति के नोडल अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. यूबी सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए यह समितियां अपने क्षेत्र में बाहर से आने वालों पर नज़र रख रही हैं और इसकी सूचना मुख्यालय स्तर तक पहुंचा रही हैं। ऐसे लोग जो गैर जिलों से आए हैं या फिर जिनके स्वास्थ्य में पिछले कुछ दिनों से परिवर्तन दिख रहा है, उन सभी की प्राथमिकता के आधार पर जांच कराने का काम भी निगरानी समितियां कर रही हैं।
डॉ. यूबी सिंह ने बताया कि यह समितियां क्षेत्र में कोरोना संक्रमित के घर तक दवाओं की किट को पहुंचाने और नियमित संक्रमित की सेहत की जानकारी जुटाने का काम भी कर रही हैं। इसके साथ ही ये समितियां लोगों को कोविड टीकाकरण कराने के लिए प्रेरित भी कर रही हैं। एक निगरानी समिति में पंचायत अध्यक्ष, ग्राम सभा के सचिव, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, राशन डीलर, लेखपाल, रोजगार सेवक, स्वच्छाग्राही, युवक मंगल दल के सदस्य और चौकीदार शामिल हैं।
निगरानी समिति के कार्य
- घर-घर सर्वे कराना।
- तापमान मापना।
- क्वारंटीन कराना।
- कंटेनमेंट जोन बनाना।
- कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कराना।
- बाहर से आए लोगों की सूचना विभाग को देना।
- कोविड जांच और कोविड टीकाकरण के लिए प्रेरित करना।
मेडिकल किट में दी जा रही हैं अलग आयु वर्ग के लिए अलग दवाएं
शून्य से 12 माह तक के शिशुओं के लिए निर्धारित दवाएं :
लक्षण युक्त शिशु (जिनका कोविड टेस्ट रिजल्ट अभी ज्ञात नहीं है या टेस्ट नहीं हुआ है) तथा पाजिटिव शिशु जिनको केवल बुखार है, उनके लिए दी जा रही किट में पैरासिटामाल ड्रॉप (100 मिग्रा प्रति मिली.) की दो शीशी, मल्टी विटामिन ड्रॉप की एक शीशी और ओआरएस का एक पैकेट शामिल है। पैरासिटामाल ड्रॉप बुखार आने की स्थिति में बच्चे को देना है और ध्यान रहे इसे खाली पेट नहीं देना है। शून्य से दो माह तक के शिशु को पैरासिटामाल ड्रॉप दशमलव पांच मिली. दिन में तीन बार देना है, तीन से छह माह तक के शिशु को एक मिली. दिन में तीन बार और सात से 12 माह के शिशु को एक मिली. दिन में चार बार बुखार आने पर देना है। मल्टी विटामिन का ड्रॉप छह माह तक के शिशुओं को नहीं देना है, सात से 12 माह तक के शिशु को दशमलव पांच मिली. सात दिन तक देना है। इसके अलावा दस्त की स्थिति में ओआरएस का घोल थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दें।
एक से पांच वर्ष के लिए
पैरासिटामाल सिरप (बुखार आने पर दें, ध्यान रहे खाली पेट नहीं देना है)। एक से दो वर्ष के बच्चे को पांच मिली. छह घंटे के अंतराल पर दिन में चार बार, दो से तीन वर्ष को 10 मिली. आठ घंटे के अंतराल पर दिन में तीन बार, तीन से पांच वर्ष के बच्चे को 10 मिली. छह घंटे के अंतराल पर दिन में चार बार देना है। मल्टीविटामिन सिरप- एक से दो वर्ष के बच्चे को ढाई मिली. रात को एक बार, दो से पांच वर्ष तक के बच्चे को ढाई मिली. सुबह और रात को सात दिन तक देना है। ओआरएस का घोल दस्त आने पर देना है।
छह से 12 वर्ष के लिए
टैबलेट पैरासिटामाल (500 मिलीग्राम) बुखार आने पर आधी गोली दिन में तीन बार (खाली पेट नहीं देना है)। आठ घंटे के अंतराल पर, टैबलेट आइवरमेक्टिन छह मिलीग्राम-रात को खाना खाने के एक घंटे बाद एक गोली तीन दिन तक, मल्टीविटामिन टैबलेट- रात को सोने से पहले एक गोली सात दिन तक, ओआरएस का घोल दस्त आने पर देना है ।
12 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लिए
टैबलेट पैरासिटामाल (650 अथवा 500 मिलीग्राम) की 15 गोली-पांच दिन के लिए, टैबलेट आइवरमेक्टिन 12 मिलीग्राम पांच दिन के लिए पांच गोली-रात के खाने के बाद (गर्भवती व धात्री महिलाओं और 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं देना है), टैबलेट एजिथ्रोमायिसिन-500 मिलीग्राम पांच दिन के लिए पांच गोली, टैबलेट विटामिन-सी, टैबलेट/कैप्सूल विटामिन बी काम्प्लेक्स, विटामिन डीथ्री। इन दवाओं के सेवन के साथ ही सांस संबंधी व्यायाम, योग व प्राणायाम करने की सलाह दी गई है। तीन से चार लीटर प्रतिदिन हल्का गर्म या गुनगुना पानी पियें और दिन में तीन से चार बार आक्सीजन सेचुरेशन पर ध्यान दें। आक्सीजन सेचुरेशन 94 फीसद से अधिक होना चाहिए।
नोट: आप अपने या परिजनों का उपचार किसी योग्य डॉक्टर की निगरानी में ही कराएं । इस मेडिकल किट की दवाओं का उपयोग डॉक्टर / विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही करें।