Move to Jagran APP

Gang War in Jail: मुन्ना बजरंगी हत्याकांड के बाद मान लेते जांच समिति की बात...तो न होता चित्रकूट जेल कांड

बागपत जेल में नौ जुलाई 2018 को हुई थी पूर्वांचल के कुख्यात मुन्‍ना बजरंगी की हत्या। सेवानिवृत्त डीजीपी एडीजी और अपर महानिरीक्षक की तीन सदस्यीय समिति ने तैयार की थी 100 पृष्ठ की रिपोर्ट। अलग अलग बिंदुओं पर जेल में सुरक्षा बढ़ाने की थी सिफारिश।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 11:08 AM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 11:08 AM (IST)
Gang War in Jail: मुन्ना बजरंगी हत्याकांड के बाद मान लेते जांच समिति की बात...तो न होता चित्रकूट जेल कांड
चित्रकूट की जेल, यहीं अभी हाल में गैंगवार के चलते तीन कैदी मारे गए थे। फाइल फोटो

आगरा, अली अब्बास। बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी हत्या के बाद बनी जांच समिति की रिपोर्ट पर यदि अमल किया गया होता तो शायद चित्रकूट जेल कांड नहीं होता। समिति ने करीब 100 पृष्ठ की अपनी रिपोर्ट में जेलों में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सुझाव दिए थे। जांच समिति ने अपने जेलों के लिए अल्पकालीन और दीर्घकालीन दो तरह के सुझाव दिए थे। मगर, जांच समिति की रिपोर्ट शासन में करीब ढाई साल से धूल फांक रही है।

loksabha election banner

बागपत जेल में नौ जुलाई 2018 को पूर्वांचल के डाॅॅन मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दुस्साहसिक हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सुनील राठी पर है। घटना के बाद जेलर समेत कई लोगों पर गाज गिरी थी। सरकार ने भविष्य में जेलों में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। इसमें सेवानिवृत्त डीजीपी सुलखान सिंह, एडीजी हरि शंकर सिंह एवं अपर महानिरीक्षक कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं डाक्टर शरद शामिल थे। तीन सदस्यीय समिति ने बागपत, गाजियाबाद, नैनी, वाराणसी समेत कई जेलों का निरीक्षण किया था। करीब तीन महीने की मशक्कत के बाद करीब 100 पृष्ठ की रिपोर्ट को तैयार किया गया था।इसमें जेलों मे तत्काल व दीर्घकालीन सुधार एवं बदलाव करने के सुझाव दिए गए थे। जांच समिति ने रिपोर्ट शासन को सौंपी थी।

जांच समिति द्वारा दिए गए प्रमुख सुझाव

-जेल एक्ट में संशोधन: अभी तक बंदी के पास मोबाइल मिलने पर उसे कम सजा का प्रावधान है। एक्ट में बदलाव करके बंदी के पास मोबाइल मिलने पर उसकी सजा बढ़ाने का सुझाव दिया गया था।

-हाई सिक्योरिटी जेलों का निर्माण: कुख्यातों के लिए हाई सिक्योरिटी वाली विशेष जेल बनाने का सुझाव समिति ने दिया था। इन जेलों में हाई सिक्योरिटी बैरक, पर्याप्त मात्रा में स्टाफ और हाईटेक तकनीकी से युक्त बनाने का सुझाव दिया गया है। इससे कि कुख्यातों को कड़ी निगरानी के बीच रखा जा सके।

तलाशी के चक्रव्यूह को अभेद्य बनाना: समिति ने जेलों पर तलाशी के चक्रव्यूह को अभेद्य व पारदर्शी बनाने का सुझाव दिया था। तलाशी का तरीका और व्यवस्था बदले बिना जेलों में प्रतिबंधित चीजों के पहुंचने से रोकना नामुमकिन है। तलाशी के चक्रव्यूह को ्रिििद्विस्तरीय करने का सुझाव दिया गया था। इसमें जेल के बाहर और अंदर हाईटेक स्क्रीनिंग रूम बनाने का सुझाव दिया था। इससे कि पूरी तलाशी प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में रहे। तलाशी के लिए अलग से बंदी रक्षक तैनात करने का सुझाव था।

मेटल डिटेक्टर : जेलों के गेट पर तलाशी के लिए मेटल डिटेक्टर की संख्या बढ़ाने का सुझाव था। इससे कि सभी बंदियों, मुलाकातियों व जेल के स्टाफ को गेट पर ही प्रतिबंधित सामान ले जाने से रोका जा सके।

पीएसी की तैनाती: अभी तक जिन जेलों में हत्या व संघर्ष की घटनाएं हुईं हैं, अधिकांश में पीएसी तैनात नहीं थी। समिति ने जेलों पर पीएसी तैनात करने का सुझाव दिया था। पीएसी की तैनाती से कुख्यातों के मुलाकाती प्रतिबंधित सामान अंदर ले जाने से घबराते हैं। इसके साथ ही पीएसी की तैनाती से किसी भी तरह की स्थिति को तत्काल नियंत्रित करने में अासानी रहती है।

जेलों में सीसीटीवी कंट्रोल रूम: जेलों को पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरों से लैस करने का सुझाव दिया गया था। इसमें जेल के मुख्य गेट से लेकर, परिसर, सर्किल और बैरकों में सीसीटीवी कैमरे लगाना था। इससे कि प्रत्येक बैरक में हर बंदी की गतिविधि पर नजर रखी जा सके। सीसीटीवी कंट्रोल रूम में बंदियों की हरकतों पर नजर रखने के लिए निगरानी स्टाफ बढ़ाने का सुझाव दिया गया था।

कौन था मुन्ना बजरंगी: पूर्वांचल के कुख्यात जौनपुर के पूरेदयाल गांव के रहने वाले मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। हथियारों का शौक रखने वाले मुन्ना बजरंगी के खिलाफ पहला मुकदमा 17 साल की उम्र में दर्ज हुआ था। उसने वर्ष 1984 में जौनपुर में लूट के दौरान एक व्यापाारी की हत्या कर दी थी। इसके बाद एक भाजपा नेता की हत्या करके वह सुर्खियों में आया था। वर्ष 2005 में मुन्ना बजरंगी और उसके गैंग ने गाजीपुर के भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत कई लोगों को गोलियों से भून दिया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.