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Danger for Nature: नहीं थमा वायु प्रदूषण तो सर्दियां साबित होंगी ताजनगरी के लिए घातक

Danger for Nature दिसंबर व जनवरी में होती है सबसे खराब वायु गुणवत्ता। कोरोना काल में लोगों को हो सकती है अधिक परेशानियां। इस बार सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ा तो काेरोना के चलते उसका असर और घातक हो सकता है।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 01:35 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 01:35 PM (IST)
Danger for Nature: नहीं थमा वायु प्रदूषण तो सर्दियां साबित होंगी ताजनगरी के लिए घातक
सर्दियों में ताजमहल के आसपास प्रदूषण के चलते ऐसी स्थिति होती है। फाइल फोटो

आगरा, निर्लोष कुमार। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल को वायु प्रदूषण से बचाने को 30 दिसंबर, 1996 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) बनने के बाद दो दशक से अधिक के समय में जो नहीं हुआ, वो लाॅक डाउन में हो गया। लाॅक डाउन में ताजनगरी की वायु गुणवत्ता बेहतर हो गई। अगस्त तक पाबंदियों और बारिश के संयोग से सब कुछ बेहतर रहा। सितंबर में एक बार फिर वायु प्रदूषण बढ़ा। अक्टूबर शुरू हो चुका है और सर्दियों का मौसम शुरू होने जा रहा है। पिछली सर्दियों की यादें जेहन में अब भी ताजा हैं, जब दिसंबर-जनवरी में वायु गुणवत्ता खराब और बहुत खराब स्थिति में पहुंच गई थी। इस बार सर्दियों में वायु प्रदूषण बढ़ा तो काेरोना के चलते उसका असर और घातक हो सकता है।

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आगरा में वायु गुणवत्ता दिसंबर व जनवरी के महीनों में सबसे अधिक खराब रहती है। हवा नहीं चलने से प्रदूषक तत्व फिजां में स्थिर हो जाते हैं और हवा में प्रदूषण का जहर घोलते रहते हैं। दिसंबर, 2019 में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 131-489 के बीच और जनवरी, 2020 में एक्यूआइ 112-428 के बीच में रहा था। यह स्थिति मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है और इस स्थिति के अधिक समय तक रहने पर स्वस्थ मनुष्य भी अस्वस्थ हो सकते हैं। कोरोना काल में मार्च से अगस्त तक लाॅक डाउन, पाबंदियों के चलते आगरा में वायु गुणवत्ता अधिकांश दिन अच्छी व संतोषजनक स्थिति में बनी रही, लेकिन सितंबर में यह खराब और मध्यम स्थिति में पहुंच गई। अब कोरोना काल में वायु प्रदूषण को नहीं थामा गया तो उसका असर अत्यंत घातक हो सकता है।

आइआइटी कानपुर ने बताईं प्रदूषण की वजह

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), कानपुर द्वारा ताजनगरी में की गई सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी में ताजमहल पर गर्मी के मौसम में वायु प्रदूषण के कारणों को चिह्नित किया गया है। अध्ययन में पीएम2.5 बढ़ने के कारणों में कोयला 35 फीसद, वाहन 19 फीसद, लकड़ी-बायोमास 18 फीसद मिले। पीएम10 बढ़ने के कारणों में मिट्टी व सड़क की धूल 39 फीसद, कोयला जलाना 34 फीसद, लकड़ी-बायोमास 12 फीसद आैर वाहनों का प्रदूषण 12 फीसद रहा।

वायु प्रदूषण के मुख्य कारण

-प्लास्टिक, पेपर और म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट का जलना।

-यमुना में पानी नहीं होने से उसकी तलहटी से हवा चलने पर धूल कण उड़ना।

-फैक्ट्रियों में प्रतिबंध के बावजूद कोयला जलना।

-निर्माण कार्यों में मानकों की अनदेखी किया जाना।

-निर्माण सामग्री की ढुलाई में मानकों की अनदेखी करना।

-बायोमास जलाया जाना।

-वाहनों की अच्छी सर्विस नहीं कराना।

-वाहनों में मिलावटी ईंधन का प्रयोग किया जाना।

-किसानों द्वारा डीजल पंपसेट में कैरोसिन का इस्तेमाल किया जाना।

-सड़कें खराब होना व उनकी उचित सफाई नहीं होना।

एक्यूआइ की स्थिति

माह, एक्यूआइ की रेंज

दिसंबर 2019, 131-489

जनवरी 2020, 112-428

मॉनीटरिंग स्टेशनों पर स्थिति (2019-2020)

ताजमहल

माह, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम

अक्टूबर, 6, 23, 115, 158, 284

नवंबर, 6, 29, 195, 231, 374

दिसंबर, 7, 26, 197, 238, 322

जनवरी, 7, 22, 159, 196, 257

फरवरी, 5, 22, 107, 156, 239

मार्च, 4, 19, 65, 105, 193

जून, 5, 9, 32, 82, 210

जुलाई, 4, 9, 27, 49, 104

अगस्त, 4, 11, 24, 26, 54

एत्माद्दौला

माह, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम

अक्टूबर, 4, 35, 134, 146, 303

नवंबर, 9, 44, 227, 278, 468

दिसंबर, 5, 38, 233, 283, 379

जनवरी, 8, 32, -, 188, 273

फरवरी, 5, 30, -, 148, 289

मार्च, 4, 22, -, 106, 219

जून, 4, 11, 35, 117, 326

जुलाई, 5, 15, 33, 52, 182

अगस्त, 4, 14, 26, 48, 112

रामबाग

माह, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम

अक्टूबर, 4, 22, 97, 131, 258

नवंबर, 4, 27, -, 247, 411

दिसंबर, 8, 25, 216, 228, 309

जनवरी, 5, 21, 155, 190, 260

फरवरी, 4, 19, 129, 149, 270

मार्च, 5, 17, -, 109, 205

जून, 4, 13, -, 116, 175

जुलाई, 4, 15, 40, 65, 112

अगस्त, 4, 21, 27, 33, 86

नुनिहाई

माह, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम

अक्टूबर, 6, 40, 176, 264, 532

नवंबर, 5, 39, 241, 284, 568

दिसंबर, 9, 34, 233, 298, 448

जनवरी, 10, 36, -, 232, 372

फरवरी, 4, 44, 102, 185, 372

मार्च, 5, 19, 66, 103, 203

जून, 4, 13, 41, 104, 329

जुलाई, 4, 11, 31, 81, 189

अगस्त, 5, 16, 34, 74, 131

वायु गुणवत्ता की वार्षिक स्थिति

ताजमहल

वर्ष, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम

2013, 4, 17, 96, 153, 275

2014, 4, 15, 92, 152, 277

2015, 4, 16, 85, 166, 298

2016, 4, 18, 95, 168, 315

2017, 4, 17, 103, 168, 287

2018, 5, 19, 93, 180, 304

2019, 5, 19, 96, 148, 267

एत्माद्दौला

वर्ष, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम

2013, 4, 23, -, 174, 352

2014, 4, 21, -, 190, 340

2015, 4, 25, -, 186, 348

2016, 4, 25, 95, 197, 376

2017, 5, 23, 115, 180, 341

2018, 5, 23, 92, 211, 405

2019, 5, 27, 124, 155, 323

रामबाग

वर्ष, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम

2013, 4, 25, -, 181, 338

2014, 5, 24, -, 175, 341

2015, 4, 26, -, 167, 339

2016, 4, 27, 97, 171, 358

2017, 4, 26, 110, 190, 355

2018, 5, 23, 106, 194, 367

2019, 5, 23, 92, 161, 308

नुनिहाई

वर्ष, एसओटू, एनओटू, पीएम2.5, पीएम10, एसपीएम

2013, 5, 35, -, 227, 472

2014, 5, 33, -, 212, 441

2015, 4, 34, -, 212, 434

2016, 5, 36, 115, 242, 457

2017, 4, 26, 137, 235, 445

2018, 5, 25, 111, 234, 450

2019, 5, 28, 112, 213, 413

नोट: वर्ष 2020 में अप्रैल व मई में लाॅक डाउन के चलते मॉनीटरिंग स्टेशनों पर प्रदूषक तत्वों की गणना नहीं हो सकी।

फुल फार्म अौर मानक

एसओटू: सल्फर डाइ-ऑक्साइड: इसका वार्षिक औसत 20 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।

एनओटू: नाइट्रोजन डाइ-ऑक्साइड: इसका वार्षिक औसत 30 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।

पीएम2.5: अति सूक्ष्म कण: इसका वार्षिक औसत 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।

पीएम10: धूल कण: इसका वार्षिक औसत 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।

एसपीएम: श्वसनीय निलंबित कण।

आगरा में वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से पर्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5 व पीएम10) जिम्मेदार हैं। निर्माण कार्यों में मानकों की अनदेखी, सड़कों की उचित सफाई नहीं होना और म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट को जलाया जान, अव्यवस्थित ट्रैफिक और वाहनों की बढ़ती संख्या वायु प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

-कमल कुमार, प्रभारी अधिकारी सीपीसीबी

सर्दियों में वाहनजनित प्रदूषण कम करने को चार पहिया व दोपहिया वाहनों के बजाय पांच से सात किमी की दूरी के लिए साइकिल का प्रयोग कर सकते हैं। वायु प्रदूषणकारी उद्योगों आैर सरकारी व निजी निर्माण कार्याें पर दिसंबर में बंद रखकर भी हम वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोक सकते हैं।

-उमेश शर्मा, सदस्य ताज ट्रेपेजियम जोन अथॉरिटी


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