'मैं नहीं हम' से बनेगा देश महान
आगरा: मैं नहीं हम कहिए। मैं अहंकार दर्शाता है तो हम दूरियां मिटाता है। मैं की भावना को त्यागना बहुत जरूरी है।
आगरा: मैं नहीं हम कहिए। मैं अहंकार दर्शाता है तो हम दूरियां मिटाता है। मैं की भावना को त्यागना बहुत जरूरी है। हम से समाज एकजुट होता है। मंगलवार को मदिया कटरा स्थित एसपी पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य कृष्णा सिंह ने ये विचार व्यक्त किए।
दैनिक जागरण की संस्कारशाला में 'मैं नहीं हम' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसमें स्कूल की प्रधानाचार्य ने कहा कि संस्कारहीनता की वजह से समाज में बुराई पनप रही है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को मैं रूपी अहंकार त्यागकर हम के आचरण में रहने की सीख दी। ये बने विजेता
कहानी के बाद पूछे गए पांच प्रश्नों का सही उत्तर देने पर छात्राओं वर्षा, अलीशा, सुहाना, मुस्कान, समायरा को संस्कारशाला की पुस्तक भेंट कर पुरस्कृत किया गया।
जागरण की संस्कारशाला हमें संस्कारों की समझ सिखाती है। इससे शिक्षक व शिष्य के रिश्ते बेहतर होंगे और हमारा भविष्य उज्ज्वल होगा।
सोहिल कुरैशी मैं और हम की गहराई को समझना होगा। हम अपनापन देता है और मैं अहंकार। 'हम' से ही हम अपने परिवार को साथ लेकर चल सकते हैं।
अनस सिद्दीकी समाज में संस्कारों की कमी होती जा रही है। इस तरह के कार्यक्रम हमें संस्कारों की सीख देते हैं। आचरण से ही संस्कारों का पता चलता है।
आदिल कुरैशी बड़ों का सम्मान करना चाहिए। यह हमारा महत्वपूर्ण संस्कार है। हम देश की संस्कृति के अनुरूप लिबास का चयन करेंगे। यह संस्कारों का ही हिस्सा है।
कासिफ संस्कारशाला ये छात्र-छात्राओं को अपनी संस्कृति के बारे में सीखना का मौका मिला। मोबाइल के बढ़ते चलन की वजह से हम संस्कार भूलते जा रहे हैं।
प्रियांशी 'मैं नहीं हम' कहानी को सुनकर काफी सीख मिली। मैं में अहंकार होता है संस्कार नहीं। जबकि हम शब्द हमें अपनों से जोड़ता है।
समीर दूसरों की मदद करने से जिस सुख की प्राप्ति होती है, उसे बयां नहीं किया जा सकता। हमें किसी भी परेशान व्यक्ति की मदद जरूर करनी चाहिए।
यमन माता-पिता और गुरु की डांट ही शिखर पर पहुंचाती है। हमें अपने गुरु की डांट व फटकार का बुरा नहीं मानना चाहिए।
जैनब सड़क पर घायल जानवरों की मदद करना बड़ी सेवा है। हमें स्वार्थ छोड़ निस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए।
सैजल