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दुनिया वालों देखो मुझे मां-बाप मिल गए

जन्म लेने के चंद घंटे बाद अबोध को कड़ाके की ठंड में खेत में छोड़ गए थे अपने रेलवे अधिकारी और उनकी पत्नी ने लिया गोद बेटी के बाद दंपती के नहीं हुई थी कोई संतान

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 11:59 PM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 11:59 PM (IST)
दुनिया वालों देखो मुझे मां-बाप मिल गए

आगरा, (अली अब्बास) नौ महीने कोख में रखने वाली मां दुनिया में लाने के चंद घंटे बाद ही नन्हीं सी जान को कड़़ाके की ठंड में खुले आसमान तले छोड़ गई थी। सुबह का सूरज उगने के साथ ही उसके भाग्योदय की भी इबारत लिखी जाने लगी। एक महीने अस्पताल में रहकर मौत को मात दे उसने पहली परीक्षा भी पास कर ली। उसके बाद राजकीय शिशु गृह में उसे गोद लेने की प्रक्रिया शुरू हुई। प्रक्रिया पूरी करने के बाद मां ने अबोध को गोद में लिया तो उसने झट उनकी उंगली पकड़ ली। शायद वह ऐलान कर रहा था, देखो दुनिया वालों, मुझे मां-बाप मिल गए।

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राजकीय शिशु गृह में सात महीने पहले चाइल्ड लाइन ने एक दुधमुंहे बालक को लाकर रखा था। उसे जन्म देने के बाद हालात के हाथों मजबूर मां खेत में छोड़कर चली गई थी। रात भर सर्दी में पड़े रहने से बालक का पूरा शरीर नीला पड़ गया था। चाइल्ड लाइन ने पुलिस से अबोध को अपनी सुपुर्दगी में लिया। उसे आगरा में एसएन मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। करीब एक महीने तक उसे बचाने के लिए डाक्टरों की पूरी टीम लगी रही। अबोध के स्वस्थ होने पर उसे राजकीय शिशु गृह में आश्रय दिया गया। उसे स्वतंत्र घोषित कर गोद देने की प्रक्रिया शुरू की गई। उधर, रेलवे के एक अधिकारी और उनकी पत्नी ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के माध्यम से बच्चे को गोद लेने के लिए आवेदन किया था। अबोध की उनसे मैचिग कराई गई। करीब दो महीने चली प्रक्रिया के बाद पिछले सप्ताह दंपती ने अबोध को गोद ले लिया। वह राजकीय शिशु गृह से उसे अपने साथ लेकर चले गए। बहन को राखी बांधने के लिए चाहिए था भाई

रेलवे अधिकारी की शादी करीब 14 साल पहले हुई थी। उनकी एक बेटी है, इसके बाद उन्हें कोई बच्चा नहीं हुआ। बेटी की माता-पिता से जिद थी कि उसे भाई चाहिए, रक्षाबंधन पर वह उसकी कलाई पर राखी बांधेगी। काफी सोच-विचार के बाद दंपती ने शिशु गृह से बेटे को गोद लेने का फैसला किया। गोद में लेते ही भावुक हो गई मां

रेलवे अधिकारी की पत्नी अबोध को गोद लेने के लिए काफी उत्साहित थीं। यहां आने से पहले वह पूरी रात नहीं सोई थीं। शिशु गृह में आकर उन्होंने कागजी प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही अबोध को गोद में लेकर बैठी रहीं। अबोध उनकी उंगली पकड़कर खेलने लगा तो मां भावुक हो गईं। उसे सीने से लगा लिया, उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे। बेटी ने भी वीडियो काल पर भाई को कई बार देखा। वह माता-पिता से भाई को जल्दी घर लेकर आने की कह रही थी।

दस दिन में ही बहन के साथ घुलमिल गया अबोध

सात महीने के अबोध को भी प्यार की जुबां समझते देर नहीं लगी। वह कुछ दिन में ही अपनी बहन के साथ खूब घुलमिल गया है। दोनों साथ मिलकर दूध पीते हैं, टीवी देखते हैं। मां को देखते ही अबोध उनकी गोदी में आने के लिए मचलने लगता है।

वर्जन

राजकीय शिशु गृह में कारा के माध्यम से सात महीने के अबोध की मैचिग हुई थी। दत्तक माता-पिता गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अबोध को अपने साथ ले गए।

विकास कुमार, अधीक्षक, राजकीय शिशु एवं बाल गृह


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