आपका बच्चा न बने आलसी और हो जाए बुद्धिमान, घर में ही कर सकते हैं कुछ उपाय
वास्तु शास्त्र की मानें तो घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा रहती हैं। यदि आप इन पर यकीन करते हैं तो बच्चों के पढ़ने की जगह से लेकर दीवारों के रंग में कुछ बदलाव कर सकारात्मक परिणाम महसूस कर सकते हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। सभी माता-पिता की चाहत होती है कि उनकी संतान योग्य और समृद्ध बने। वह आलसी न हो, बुद्धिमान बने। पढ़ाई लिखाई का मामला हो या खेलकूद, हर क्षेत्र में अव्वल रहे। उनका नाम रोशन करे। जिंदगी में जो कुछ वे हासिल न कर सके, वह उनका बेटा या बेटी हासिल करे। जब कभी बच्चे का पढ़ने में मन नहीं लगता देखते तो विचलित हो जाते हैं। वैसे भी वर्तमान दौर में नंबर की होड़ है। सेकेंड डिवीजन क्या अब फर्स्ट डिवीजन पर भी संतोष नहीं हो रहा। सभी को ये चाहिए कि कोई भी परीक्षा हो, उनका बच्चा 99 फीसद से अधिक मार्क्स हासिल करे। ये अपेक्षाएं पूरी नहीं होती तो खुद को भी निराशा होती है। यहां कुछ खुद में भी बदलाव करना होगा। हर बच्चे की अपनी खासियत होती है, वह दूसरे में नहीं हो सकती। इसलिए अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे से न करें। बस अपने बच्चे की प्रतिभा तराशने पर ध्यान दीजिए।
अपने बच्चों का भविष्य उचित दिशा में हो, इसकी कामना और उसकी योजना बनाने में हर अभिभावक चिंतित नजर आते हैं। वास्तु शास्त्र में जो लोग यकीन रखते हैं, वे सकारात्मक ऊर्जा का संचार करनेे के लिए कुछ उपाय भी करते हैं। ज्योतिषाचार्य व वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ महेश कुमार केशव बताते हैंं कि बड़ी संख्या में माता-पिता उनके पास इसी समस्या का समाधान ढूंढने के लिए उनके पास आते हैं। ज्यादातर लोगों की शिकायत होती है कि उनके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता, सब आते हुए भी एग्जाम में सवाल छोड़ आता है या फिर कोई भी काम ठीक से नहीं करता, एकाग्रता का अभाव है।
महेश कुमार केशव की मानें तो वास्तु शास्त्र में नकारात्मक और सकारात्मक, दोनों ही प्रकार की एनर्जी का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है। जहां नकारात्मक ऊर्जा हमारे जीवन को अस्त-व्यस्त और असफल बना देती है, वही सकारात्मक उर्जा हमारे जीवन को सफल और उज्ज्वल बनाती हैं।
बच्चों का भविष्य, उनकी शिक्षा और उसेके अध्ययन के तरीके पर निर्भर करता है। अध्ययन का स्थान और उसकी दिशा का केंद्र आपके घर में ऐसे स्थान पर होना चाहिए, जिससे आपके बच्चों को पढ़ाई में सफलता मिले और अच्छे अंक प्राप्त होंं।
श्री केशव के अनुसार वह दिशा आपके घर में नॉर्थ ईस्ट दिशा है, यह ईशान कोण कहलाती है। यदि ईशान कोण में स्टडी रूम में नहीं बन सकता तो उत्तर या पूर्व दिशा में यह स्थान बना सकते हैं। यह तीनों दिशाएं ही ऊर्जा से भरपूर होती हैंं। इन दिशाओं में बैठकर पढ़ने वाले बच्चे सदा ऊर्जावान रहेंगे, उनका आलस्य दूर होगा। यह दिशाएं पढ़ाई और अध्ययन का उत्तम केंद्र हैंं। इन दिशाओं से उनके भीतर अध्ययन के प्रति नए-नए विचार उत्पन्न होंगे।
दीवारों का रंग हो हल्का, कमरा हो प्राकृतिक रोशनी से भरपूर
रोशनी सकारात्मक और अंधेरा नकारात्मक ऊर्जा का संचार करतेे हैं। इसलिए अध्ययन कक्ष (स्टडी रूम) में दीवारों का हल्का रंग हो, जिससे बच्चों का मन भी प्रसन्नचित्त रहेगा। इस कक्ष में रोशनी की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए। स्टडी रूम हवादार होना चाहिए।
बच्चों की जन्मपत्री
बच्चों की कुंडली का प्रथम भाव लग्न, उनकी बॉडी है और कुंडली का पांचवा भाव, उनका मस्तिष्क या अध्ययन करने की क्षमता दर्शाने वाला होता है। विशेष रूप से यह ध्यान रहे कि लग्न का स्वामी और पंचम भाव के स्वामी की स्थिति अच्छी होनी चाहिए। कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव में ना बैठे हो। पंचम भाव पर या उसके स्वामी पर शुभ ग्रह गुरु, शुक्र, बुध और चंद्रमा की दृष्टि या युति होने पर सफलता प्राप्त करने के अवसर अधिक बनते हैं। क्रूर एवंं पापी ग्रह जैसे राहु-केतु, शनि आदि अशुभ ग्रहों के लिए दान-जाप और उपाय कराना आवश्यक है। ताकि आपके बच्चों के अध्ययन में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न ना हो। पंचम भाव और लग्न भाव में जो राशियां बैठी हैंं, उनके ग्रहों का रंग अध्ययन कक्ष में करवाएंगे तो अधिक अच्छा साबित होगा।
इन बातों का भी रखें ध्यान
- जो बच्चे स्टडी रूम में ही सोते हैं, तो कोशिश करें कि साउथ वेस्ट दीवार की तरफ उनका बेड होना चाहिए और उनके सिर की दिशा पूर्व या दक्षिण में ही होनी चाहिए।
- ध्यान रहे कि बेड पर बच्चे को कभी भी पढ़ाई नहीं करनी चाहिए।
- अध्ययन कक्ष अस्त व्यस्त नहीं होना चाहिए।
- अध्ययन कक्ष को कभी भी स्टोर रूम की तरह उपयोग ना करें। अन्यथा एनर्जी का संतुलन खराब होगा और बच्चों में एकाग्रता कम होगी, वह जल्दी से याद नहीं कर पाएंगे।
- पढ़ाई का समय सुबह का होना चाहिए। जिस समय मस्तिष्क एकदम तरोताजा होता है और हम एक आसानी से समझ और याद रख सकते हैं।