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बिना नाम के हास्पिटल, न डाक्टर न मानक, 24 घंटे इमरजेंसी सेवा फोटो

अभियान 10 बेड के हास्पिटल के बोर्ड पर पांच से छह डाक्टरों के नाम गंभीर मरीजों का इलाज कर रहे कंपाउंडर ठेके पर डाक्टर कर रहे इलाज मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ 10 बेड के हास्पिटल के बोर्ड पर पांच से छह डाक्टरों के नाम गंभीर मरीजों का इलाज कर रहे कंपाउंडर ठेके पर डाक्टर कर रहे इलाज मरीजों की जान के साथ खिलवाड़

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 08:49 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 08:49 PM (IST)
बिना नाम के हास्पिटल, न डाक्टर न मानक, 24 घंटे इमरजेंसी सेवा फोटो
बिना नाम के हास्पिटल, न डाक्टर न मानक, 24 घंटे इमरजेंसी सेवा फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता। मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ हो रही है। बिना नाम के हास्पिटल चल रहे हैं। इन हास्पिटल में न डाक्टर और न मानक ही पूरे हैं। मगर, 24 घंटे इमरजेंसी सेवा की सुविधा है।

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यमुना पार में गोपाल हास्पिटल संचालित था, यह हास्पिटल बंद हो गया। इस बिल्डिग में बिना नाम के हास्पिटल चल रहा है। वहीं, यमुना पार, शमसाबाद रोड, बोदला सिकंदरा, फतेहपुर सीकरी रोड पर 50 हास्पिटल संचालित हैं। इन हास्पिटलों में 24 घंटे इमरजेंसी सेवा का बोर्ड है। मगर, कोई डाक्टर हास्पिटल में उपलब्ध नहीं होता है। मरीज के आने के बाद कंपाउंडर इलाज करते हैं, आन काल डाक्टर बुलाए जाते हैं। आपरेशन से लेकर गंभीर बीमारी के लिए डाक्टर से 5 से 10 हजार रुपये में ठेका लिया जाता है। आपरेशन करने के बाद दोबारा डाक्टर नहीं आते हैं, कंपाउंडर ही आगे इलाज करते हैं। वहीं, मरीज का बिल 80 हजार से दो लाख तक का बनाया जाता है।

हास्पिटल का पंजीकरण के लिए एक डाक्टर पूर्णकालिक होना चाहिए। इसके अलावा सुविधा के हिसाब से डाक्टर होने चाहिए। 20 से 50 हजार रुपये में डाक्टरों से डिग्री ली जा रही है, उनके नाम से पंजीकरण हो रहा है। मगर, वे डाक्टर इलाज करने नहीं आते हैं। बोर्ड पर भी पांच से छह डाक्टरों के नाम दर्ज हैं। इसमें से अधिकांश डाक्टर हास्पिटल नहीं आते हैं। सरकारी डाक्टर कर रहे इलाज

50 से अधिक हास्पिटल में सरकारी अस्पताल में काम करने वाले डाक्टर इलाज कर रहे हैं। इनका नाम दर्ज नहीं किया जाता है। मरीज को भी इलाज कौन कर रहा है, यह पता नहीं होता है। एक डाक्टर के नाम से दो पंजीकरण की ही अनुमति एक नाम से आठ से 10 हास्पिटल का पंजीकरण होने पर सख्ती की गई। पिछले तीन साल से पंजीकरण के समय डाक्टर का शपथ पत्र लिया जाता है, जिसमें वे बताते हैं कि उनके नाम से कितने हास्पिटल और लैब का पंजीकरण है। एक डाक्टर को दो ही पंजीकरण की अनुमति ही, फिर चाहें वे दो हास्पिटल हों या फिर एक हास्पिटल और एक लैब हो। दो साल से नहीं हुआ नवीनीकरण

हर साल अप्रैल में हास्पिटल के पंजीकरण का नवीनीकरण होता है। इस दौरान हास्पिटल में डाक्टर, स्टाफ और सुविधाओं का ब्योरा दिया जाता है। मगर, कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो साल से एक भी हास्पिटल के पंजीकरण का नवीनीकरण नहीं हुआ है। सील होने के बाद नाम बदल कर खुल गए हास्पिटल

अवैध हास्पिटल किराए के मकानों में चल रहे हैं। पिछले पांच सालों में 20 हास्पिटल सील हो चुके हैं। मकान मालिक की प्रार्थना पत्र पर हास्पिटल की सील खोल दी जाती है। इसके बाद हास्पिटल दूसरे नाम से शुरू हो जाते हैं। ये हैं मानक

10 बेड के हास्पिटल के लिए एक डाक्टर और तीन नर्सिंग स्टाफ और वार्ड ब्वाय आइसीयू होने पर तीन बेड पर एक नर्सिंग स्टाफ, तीन घंटे की डयूटी के हिसाब से स्टाफ सुविधाओं के हिसाब से डाक्टरों की उपलब्धता, हृदय रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ सहित अन्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अग्निशमन विभाग, नगर निगम की एनओसी ये है हाल

चिकित्सकीय प्रतिष्ठान -1280

हास्पिटल और नर्सिंग होम -450

पैथोलाजी लैब, एक्सरे सेंटर और क्लीनिक -830 एक डाक्टर दो हास्पिटल या एक हास्पिटल और एक लैब का पंजीकरण करा सकता है, ज्यादा पंजीकरण हैं तो उसकी शिकायत कर सकते हैं। जल्द ही हास्पिटलों में मानक और डाक्टरों की उपलब्धता के लिए अभियान चलाया जाएगा।

डा. आरसी पांडेय, सीएमओ


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