Swine Flu: रसोई में ही मौजूद है जानलेवा बीमारी से बचने के हथियार
संक्रमण के कारण होने वाले स्वाइन फ्लू अधिकांश होता है कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों को।
आगरा, जागरण संवाददाता। स्वाइन फ्लू की दस्तक राजस्थान के बाद अब धीरे धीरे ताजनगरी में भी आ गई है। स्वाइन फ्लू यानि वायरल बुखार जो वायरस से फैलता है। चिकित्सकों की सलाह है कि यदि सर्दी, खांसी और बुखार हो और यह दो- तीन दिनों में ठीक न हो, तो एच1 एन1 की जांच कराएं। आयुर्वेदाचार्य डॉ. कविता गोयल के अनुसार स्वाइन फ्लू उन्हीं व्यक्तियों में होता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसके आसान टार्गेट पहले से बीमार चल रहे मरीज, गर्भवती महिलाएं आदि होते हैं।
बचाव है सबसे अच्छा उपाय
डॉ. कविता गोयल सलाह देती हैं कि अगर घर में कोई शख्स स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गया हो तो, घर के बाकी लोगों को भी इससे बचने के लिए डॉक्टरी सलाह लेकर दवा खा लेनी चाहिए। डॉक्टर के अनुसार स्वाइन फ्लू से बचाव ही इसे रोकना का सबसे बड़ा उपाय है। आराम करना, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना इसका सबसे बेहतर उपाय है।
एलोपैथी में क्या है उपचार
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ के अनुसार स्वाइन फ्लू की शुरुआत में पैरासिटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। बीमारी के बढऩे पर ऐंटी-वायरल दवा टैमी फ्लू और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है। लेकिन इन दवाओं को कभी भी खुद से नहीं लेना चाहिए।
ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू का वायरस हवा में ट्रांसफर होता है और खांसने, छींकने, थूकने से वायरस सेहतमंद लोगों तक पहुंच जाता है।
ऐसे करें बचाव
दूरी बनाकर रखें
किसी व्यक्ति में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखें। स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए। बहुत जरूरत पडऩे पर मास्क का प्रयोग करके ही मरीज के पास जाना चाहिए।
गले न मिलें
अगर किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे हाथ मिलाने और गले मिलने से बचना चाहिए।
टीका लगवाएं
स्वाइन फ्लू का टीका अवश्य लगवाएं। जैसे ही टीका उपलब्ध हो एच1एन1 संक्रमण से बचाव के लिए यह सबसे बढिय़ा रास्ता है।
हाथ साबुन से धोएं
अपने हाथों को हमेशा साबुन और पानी से करीब 20 सेकंड तक अच्छी तरह से धोएं। ये कई तरह के सामान्य संक्रमणों को रोकने के लिए सबसे बढिय़ा उपाय है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू में 100 डिग्री से ज्यादा का बुखार आना आम बात है। साथ ही सांस लेने में तकलीफ, नाक से पानी बहना, भूख न लगना, गले में जलन और दर्द, सिरदर्द, जोड़ों में सूजन, उल्टी और डायरिया भी हो सकता है। स्वाइन फ्लू से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि यह लाइलाज बीमारी नहीं है। थोड़ी सी एहतियात बरतकर इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।
रसोई में औषधि
तुलसी
भारतीय घरों में तुलसी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। तुलसी में मौजूद एंटी- बैक्टीरियल और एंटी-वायरस दोनों प्रकार के तत्वों के कारण यह सबसे लाभकारी जड़ी- बूटी मानी जाती है। यह किसी की भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकती है। इसलिए ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि यह स्वाइन फ्लू को बिल्कुल ठीक कर देगी, लेकिन एच1एन1 वायरस से लडऩे में निश्चित रूप से सहायक हो सकती है। तुलसी से लाभ पाने का सबसे आसान तरीका है कि हर रोज इसकी पांच अच्छी तरह से धुली हुई पत्तियों का इस्तेमाल करें।
कपूर
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए कपूर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। वयस्क चाहें तो कपूर की गोली को पानी के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं, वहीं बच्चों को इसका पाउडर आलू अथवा केले के साथ मिलाकर देना चाहिए। लेकिन कपूर के सेवन के बारे में इस बात का ध्यान रखें कि कपूर का रोज नहीं लेना चाहिए। महीने में एक या दो बार ही इसका इस्तेमाल पर्याप्त है।
गिलोय
गिलोय देश भर में बहुतायत में मिलने वाली एक दिव्य औषधि है। इसका काढ़ा बनाने के लिए इसकी एक फुट लंबी शाखा को लेकर तुलसी की पांच छह पत्तियों के साथ 10 से 15 मिनट तक उबालना चाहिए। ठंडा होने पर इसमें थोड़ी काली मिर्च, मिश्री, सेंधा नमक अथवा काला नमक मिलाएं। यह औषधि आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति को चमत्कारिक ढंग से बढ़ा देती है। साथ ही गिलोय हर तरह के बुखार में कारगर होता है। यदि यह पौधा आपको अपने आसपास नहीं मिलता है तो किसी आयुर्वेद की दुकान से भी आप इसे ले सकते हैं।
लहसुन
लहसुन भी मौजूद एंटी-वॉयरल गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करने में मदद करते है। इसके लिए आप लहसुन की दो कलियां रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए। इससे रोग प्रतिरोधक शक्ति में इजाफा होता है।
एलोवेरा
एलोवेारा एक और ऐसी लोकप्रिय जड़ी-बूटी है जो आपके भीतर फ्लू से लडऩे की क्षमता बढ़ाती है। इसका इस्तेमाल दवाइयों तथा सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। इसके अलावा एलोवेरा व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है। एलोवेरा जैल की एक चम्मच पानी के साथ इस्तेमाल करने से न सिर्फ त्वचा को खूबसूरत बनाया जा सकता है, बल्कि यह स्वाइन फ्लू के असर को कम करने में भी कारगर साबित होता है।
विटामिन सी
आमतौर पर माना जाता है कि सर्दी से बचने का सबसे बेहतर तरीका विटामिन सी का इस्तेमाल है, जो कि स्वाइन फ्लू के लिए भी कारगर साबित होता है। इसलिए अपने आहार में विटामिन सी को शामिल करें। विटामिन सी सभी प्रकार के खट्टे फलों जैसे नींबू, आंवला, अंगूर, संतरा आदि में भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
हल्दी
सालों से हल्दी का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधन के अलावा सर्दी खांसी को दूर करने के लिए भी किया जाता रहा है। हल्दी में अनिवार्य तेल और हल्दी को रंग देने वाला पदार्थ करक्युमिन होता है। करक्युमिन में कई औषधीय गुण होते हैं। इसके अलावा हल्दी की सबसे बड़ा गुण यह है कि ऊंचे तापमान पर गर्म करने के बावजूद भी इसे औषधीय गुण नष्ट नहीं होते है। जानकारों के अनुसार गुनगुने दूध में हल्दी मिलाकर पीने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है। और रोजाना एक गिलास दूध में थोड़ी सी पिसी हल्दी मिलाकर पीने से स्वाइन फ्लू का असर कम होने लगता है।
आगरा में स्वाइन फ्लू
लोहामंडी क्षेत्र की 26 वर्षीय महिला को शनिवार को एसएन में भर्ती कराया गया था। वह पांच महीने की गर्भवती है, जांच में स्वाइन फ्लू (एच1एन1) की पुष्टि होने के बाद मेडिसिन के साथ स्त्री रोग विभाग के डॉक्टरों की टीम इलाज कर रही है। सांस फूलने में परेशानी के साथ हाई ग्रेड बुखार और हीमोग्लोबिन भी कम था। उनकी तबीयत में सुधार हो रहा है। आइसोलेशन वार्ड में डॉक्टर, पैरा मेडिकल स्टाफ के साथ परिजनों से मास्क लगाकर रहने को कहा गया है। उधर, स्वाइन फ्लू पीडि़त महिला मरीज के परिजनों पर भी नजर रखी जा रही है। उनसे परिवार के किसी भी सदस्य को बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत संपर्क करने के लिए कहा है।
निजी लैब और हॉस्पिटल से मांगी जा रही रिपोर्ट
स्वाइन फ्लू के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट कर दिया है। रैपिड रेस्पोंस टीम बनाई गई है, एसएन और जिला अस्पताल में स्वाइन फ्लू पीडि़त मरीजों को भर्ती करने के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। इसके साथ ही एसएन में जांच कराई जा रही है। सीएमओ डॉ. मुकेश वत्स ने बताया कि निजी लैब और हॉस्पिटल से स्वाइन फ्लू संदिग्ध मरीजों की रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। जिससे बीमारी को फैलने से रोका जा सके।