UP Weather2019: सूरज की शह पर और भडका पारा, फिलहाल नहीं राहत के आसार Agra News
शनिवार को अधिकतम तापमान पहुंचा 42 पर। न्यूनतम तापमान रहा 30 डिग्री सेल्सियस।
आगरा, जागरण संवाददाता। सूरज की शह पर शनिवार को पारा और भडक गया। दिन भर चलीं गर्म हवाओं से नागरिक परेशान दिखे तो उमस ने भी खूब पसीना निकाला। इस दौरान सार्वजनिक स्थानों पर भी भीड़ का आलम कम दिखा। दिन का अधिकतम तापमान भी और उछलकर 42 डिग्री पर जा पहुंचा।
कई दिन से सता रहा गर्मी का मिजाज शनिवार को और परेशान करने वाला रहा। सुबह कुछ देर के लिए आसमान में बदली छाई, लेकिन इसके बाद उमस और तपिश का अहसास शरीर से पसीने छ़ुड़ाता रहा। ऐसे मौसम के तेवरों से नागरिकों को बेचैनी का अहसास भी हुआ। पंखों की हवा भी राहत नहीं दे सकी। वैसे रात का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस पर बना रहा, जबकि दोपहर को यह 42 डिग्री पर आ गया।
एक बार तापमान के उछाल लेने के बाद बाजार और सड़कों पर भीड़ का आलम कम नजर आया। बाजारों में भी इक्का-दुक्का ग्राहक ही नजर आ रहे थे। मौसम गर्म होने से हवा भी राहत देने वाली साबित नहीं हो रही है। सुबह से शाम तक गर्म हवाएं भी नागरिकों को सता रही है। पारे के एक बार फिर उछाल लेने से नागरिक भी हैरान हैं तो किसान भी परेशान नजर आ रहे हैं। बारिश के पिछडऩे से खेतों में अभी तक बुबाई और धान रोपाई का काम शुरू नहीं हो सका है।
गर्मी में हांफे हिरन, प्यास से भागे गांव की ओर
आसमान से आग उगल रहे सूरज से चंबल की बालू तप रही है। पेड़ की छांव भी जंगल में रहने वाले जीवों को राहत नहीं दे पा रही है। राजस्थान से सटे चंबल सेंच्युरी के बीहड़ में काले चितकबरे हिरन तक हांफ रहे हैं। गर्मी व प्यास से व्याकुल होकर वे गांव का रुख कर रहे हैं। बीहड़ के किनारे वाले गांव में बने तालाब पोखर सूख चुके हैं। उनमें बिल्कुल भी पानी नहीं बचा है। देश-विदेश के आने वाले पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करने वाले काले व चितकबरे हिरन की प्रजाति संकट में है। घड़ियाल, मगरमच्छ,डाल्फिन, सात प्रजाति के कछुए व विभिन्न प्रकार के पक्षियों के अलावा चंबल सेंच्युरी में काले व चितकबरे हिरन भी पर्यटक के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। इनकी संख्या चंबल के बीहड़ में एक हजार के आसपास है। राजस्थान से सटे रेहा, तासौड़, मंसुखपुरा, बरेंडा, देवगढ़, महगौली, करकौली, सुखभान पुरा,अनुरुद्ध पुरा,मेदीपुरा ,पलोखरा गांव के आसपास के बीहड़ में इनकी प्रजाति पाई जाती है। इस समय सूरज की आग से तप रही बालू हिरनों के लिए मुसीबत बन गई है। नदी का जलस्तर कम होने से बीहड़ के किनारे के पोखर व तालाब सूख गए हैं। इससे हिरन भटक रहे हैं। ऐसे में प्यास बुझाने को हिरन गांवों का रुख कर रहे हैं। क्षेत्र में रहने वाले अजय कौशिक बताते हैं कि हिरन गांव की ओर आकर घरों तक पहुंच जाते हैं। ग्रामीण उनकी पीने की पानी के लिए बाहर बर्तन रख देते हैं। यहां तक कि हिरन घरों के अंदर तक पहुंच जाते हैं। जीव जंतु विशेषज्ञ सतेंद्र शर्मा बताते हैं कि हिरन चंबल नदी गर्मी में पहुंचने में परेशानी होती है। बीहड़ के किनारे के तालाब पोखरों को गर्मी में भरा जाना चाहिए ताकि हिरनों की व्यवस्था हो सके। रेंजर अमित सिसौदिया ने बताया हिरनों की सुरक्षा के लिए गांव के लोगों को समय समय पर जागरूक किया जाता है।