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बढ़ेगी मुश्किल, आधे शहर में 12 से हो सकता है पेयजल संकट, ये है कारण Agra News

गुरुवार सुबह जलापूर्ति के बाद बंद होंगे सिकंदरा के दोनों वाटरवर्क्‍स। 16 दिसंबर की सुबह से शुरू हो सकेगी जलापूर्ति 67 साल पुरानी है पाइप लाइन पहली बार बदला जाएगा टी प्वाइंट।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 05:16 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 05:16 PM (IST)
बढ़ेगी मुश्किल, आधे शहर में 12 से हो सकता है पेयजल संकट, ये है कारण Agra News
बढ़ेगी मुश्किल, आधे शहर में 12 से हो सकता है पेयजल संकट, ये है कारण Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। मदिया कटरा तिराहा स्थित पानी की राइजिंग लाइन की मरम्मत 12 दिसंबर की दोपहर एक बजे से शुरू होगी। आधे शहर में सुबह जलापूर्ति के बाद सिकंदरा के दोनों वाटरवक्र्स को बंद किया जाएगा। 15 दिसंबर की रात 12 बजे तक बंद रहेंगे। 16 दिसंबर से जलापूर्ति शुरू होगी। हालांकि वाटरवक्र्स कम बंद हों, जल संस्थान के अधिकारी इसकी प्लानिंग में लगे हुए हैं। जल संस्थान के एक अधिकारी ने बताया कि राइजिंग लाइन 67 साल पुरानी है। यह पहला मौका है जब टी प्वाइंट बदला जा रहा है। टी प्वाइंट का आकार दो मीटर के आसपास है। लाइन 750 एमएम की है।

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हर दिन बर्बाद होता है लाखों लीटर पानी

मदिया कटरा तिराहे पर लीकेज की समस्या पुरानी है। लीकेज से हर दिन लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है। अब जाकर जल संस्थान लीकेज की सही तरीके से मरम्मत कराने जा रहा है।

ये हैं वैकल्पिक इंतजाम

सिकंदरा के दोनों वाटरवक्र्स बंद होने से आधे शहर में पेयजल संकट रहेगा। जिस पर जल संस्थान के अफसरों ने वैकल्पिक इंतजाम किए हैं। जीवनी मंडी वाटरवक्र्स से आधे शहर में पानी की आपूर्ति की जाएगी। इस कार्य के लिए दर्जनभर ट्रैक्टर और दो दर्जन टंकियां रहेंगी। इसका जल्द ही रोस्टर जारी किया जाएगा।

कंट्रोल रूम का नंबर

8192095401

एमबीबीआर प्लांट

- यह इजरायल तकनीक से संचालित है।

- कुल क्षमता 144 एमएलडी। हर दिन 60 से 65 एमएलडी यमुना जल की आपूर्ति होती है।

- पानी की प्रमुख जांच में सोडियम हाइपो, पाली इलेक्ट्रोलाइड शामिल है।

- हर दिन क्लोरीन सहित अन्य का प्रयोग किया जाता है।

- पानी के शोधन पर हर माह 70 लाख रुपये खर्च होते हैं।

सिकंदरा वाटरवक्र्स

- प्लांट की क्षमता 144 एमएलडी। हर दिन 142 एमएलडी गंगाजल की आपूर्ति होती है।

- यमुना जल के मुकाबले गंगाजल की क्वालिटी अ'छी है।

- पानी की अतिरिक्त जांचों की जरूरत नहीं पड़ती है।

- पानी में पाली एलमिना क्लोराइड मिलाया जाता है। इसकी कीमत चालीस हजार रुपये प्रतिदिन है। कुल 12 लाख रुपये प्रति माह।

- हर दिन एक सिलिंडर क्लोरीन खर्च होता है। यह फ्री में मिलता है।

इन प्रमुख क्षेत्रों में नहीं होगी जलापूर्ति

सिकंदरा, बोदला, शाहगंज, आवास विकास के सभी सेक्टर, केदारनगर, लोहामंडी, संजय प्लेस व लॉयर्स कॉलोनी, खंदारी।

फिर बर्बाद होगा 65 एमएलडी गंगाजल

जीवनी मंडी वाटर वक्र्स से बचे हुए आधे शहर को गंगाजल सप्लाई की तैयारी विधायक योगेंद्र उपाध्याय और पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने सोमवार को जांची। उन्होंने प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया और दूरदर्शिता के अभाव में अधिकारियों से नाराजगी जताई।

दोनों विधायकों का कहना था कि जीवनी मंडी जल संस्थान को जनवरी, 2020 तक 200 एमएलडी गंगाजल उपलब्ध हो जाएगा, लेकिन उसकी सप्लाई के लिए पम्पिंग सेट नहीं तैयार किया गया है। ऐसे में मात्र 135 एमएलडी गंगाजल ही जनता को उपलब्ध हो सकेगा बाकी यमुना में बहाना पड़ेगा। विधायक ने जलनिगम के मुख्य अभियंता आरके गर्ग से पम्पिंग स्टेशन अधिष्ठापन का कार्य शुरू न होने के बारे में पूछा। विधायक ने बताया कि अधिकारियों का कहना था कि उन्होंने नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव का हवाला दिया। पहले पुरानी मेन राईजिंग लाइन, अन्य लाइन जो लगभग 25-30 किमी लंबाई की है, बदली जाएंगी और उसके बाद पम्पिंग स्टेशन आवश्यक क्षमता अनुसार विकसित होगा। मुख्य अभियंता आरके गर्ग ने बताया कि 25-30 किमी पाइप लाईन बदलने की योजना शासन ने स्वीकृत कर दी है और फंड आवंटित हो चुका है। विधायक ने कहा कि अगर पम्पिंग स्टेशन का काम निर्धारित समय से शुरू हो जाता तो फरवरी से बचे हुए आधे शहर को पानी की आपूर्ति दी जा सकती थी। विधायक योगेंद्र उपाध्याय ने अधिकारियों द्वारा लापरवाही भरा रवैया अपनाने की शिकायत विभागीय मंत्री और सीएम से करने की बात कही है।


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