खारे पानी की जमीन पर मीठे पानी का कुआं, जानिये क्या था गुरुनानक देव का मथुरा से रिश्ता
एक माह से ज्यादा रहे थे गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची पर। मथुरा के बाद गए थे वृंदावन।
आगरा [नवनीत शर्मा]: भगवान श्रीकृष्ण की भूमि मथुरा सिख धर्म के लिए भी धार्मिक स्थल मानी जाती है। सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव ने गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची पर करीब चालीस दिन रहकर भक्तों को उपदेश दिए थे। यहां स्थित कुएं का खारी पानी मीठा कर दिया था।
शुक्रवार को गुरुनानक जयंती मनाई जाएगी। दिन भर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव वर्ष 1512 में अपनी दूसरी उदासी (यात्रा) के दौरान शिष्य मरदाना और बाला के साथ मथुरा आए थे। उन्होंने जीवन में चार उदासी की थीं। जिनमें से दूसरी मथुरा में की थी। गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची मसानी पर संगत कर शिष्यों को उपदेश दिया था। संगत से नानक देव को पता चला था कि यहां खारे पानी की विकराल समस्या है। गुरु नानक देव ने उसी वक्त पानी की समस्या का समाधान करने के लिए वहां कुआं खुदवाया। कुआं का पानी मीठा निकला। जबकि आसपास के क्षेत्र का पानी खारा था और आज भी पानी खारेपन पर ही है। करीब पांच सौ वर्ष बाद भी यहां वो कुआं है। कालांतर में उसका पानी बहुत कुछ सूख चुका है लेकिन यहां समर्सिबल लगवा दी गई है।सिख समुदाय के लिए यह स्थान धार्मिक स्थल है। दूर-दूर से आने वाले भक्त इस कुआं का पानी अपने साथ ले जाना नहीं भूलते हैं।
मथुरा के बाद गुरुनानक देव टीला वृंदावन गए थे। यहां भी कई दिन रहकर शिष्यों को उपदेश दिए थे। तब से इसका नाम गुरुनानक टीला पड़ गया। गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची के मुख्य ग्रंथी गोपीसिंह ने बताया कि गुरुनानक देव अपनी दूसरी उदासी के दौरान गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची पर करीब चालीस दिन रहे थे।
अखंड पाठ शुरू
गुरुनानक जयंती शुक्रको मनाई जाएगी। गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची पर बुधवार से अखंड पाठ शुरू हो चुका है। शुक्रवार को अखंड पाठ का समापन होगा और इसके बाद सुबह दस बजे से गुरुवाणी होगी। दोपहर दो बजे से लंगर का आयोजन किया जाएगा।
चल रह है जीर्णोद्धार
गुरुद्वारा गुरुनानक बगीगी का जीर्णोद्धार वर्ष 2006 में शुरू हुआ था। अभी भी कार्य चल रहा है। गुरुनानक देव के चरण यहां पडऩे के कारण यह स्थल सिख समाज के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।