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Guru Purnima 2020: अनलॉक और चंद्रग्रहण के बीच ऐसे करें गुरु का पूजन, जानिए विधि भी

Guru Purnima 2020 सूतक मान्‍य न होने के कारण घर पर आसानी से की जा सकती है गुरु पूजा। अनलॉक के कारण घर पर गुरु की तस्‍वीर रखकर करें पूजा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 05:23 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 09:46 AM (IST)
Guru Purnima 2020: अनलॉक और चंद्रग्रहण के बीच ऐसे करें गुरु का पूजन, जानिए विधि भी
Guru Purnima 2020: अनलॉक और चंद्रग्रहण के बीच ऐसे करें गुरु का पूजन, जानिए विधि भी

आगरा, जागरण संवाददाता। गुरु वंदन का दिन रविवार पांच जुलाई को है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को देशभर में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस दिन गुरु और अपने इष्ट देव की आराधना की जाती है। इस बार गुरु पूर्णिमा कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में होगी तो चंद्रग्रहण भी इस दिन होगा। ऐसे में लोगों में संशय है कि गुरु पूजन के लिए सुदूर रहने वाले अपने गुरु के दर्शन को भी नहीं जा सकते और ग्रहण होने के कारण घर पर भी पूजन नहीं कर सकते। लोगों के इस संशय को दूर करने के लिए धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी से बात की गई।

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पंडित वैभव जोशी के अनुसार साल 2020 के जून में लगातार दो ग्रहण का संयोग बना। पांच जून को पहला चंद्रग्रहण पड़ा, जबकि दूसरा सूर्यग्रहण 21 जून को पड़ा, जो देश भर में दिखाई दिया। अब पांच जुलाई को चंद्रग्रहण है और इसी दिन गुरु पूर्णिमा भीमनाई जाएगी। यह ग्रहण दक्षिण एशिया के अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा। यह उपछाया चंद्रग्रहण होने से और भारत में प्रभावी न होने से सूतक नहीं लगेंगे। ऐसे में लोग गुरु पूजन को बिना किसी बाधा के कर सकते हैं।

ऐसे करें गुरु पूजन

पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि गुरु पूर्णिमा की पूजा को सफल बनाने के लिए, उसे सही मुहूर्त और सही पूजन विधि के अनुसार करना अनिवार्य होता है। गुरु पूर्णिमा के दिन, सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद अपने गुरु या इष्ट देव की तस्वीर या चित्र को घर के एक स्वच्छ स्थान पर रखें। इसके बाद अपने गुरु या उनकी तस्वीर को किसी ऊंंचे पवित्र आसन पर विराजमान कर, उन्हें ताजे पुष्प की माला पहनाएं। अब उन्हें तिलक और फल आदि अर्पित कर, अपनी श्रद्धानुसार दक्षिणा दें। इसके बाद पूर्ण आस्था के साथ अपने गुरु की पूजा करें और उनका आशीर्वाद लें। माना जाता है कि इस दिन अपने गुरु (शिक्षक) के साथ-साथ, जीवन का पाठ सिखाने वाले अग्रज लोग जैसे- माता-पिता, भाई-बंधु, कोई विशेष व्यक्ति, घर के बड़े-बुजुर्ग, आदि का भी आशीर्वाद लेना उचित होता है। इसके पश्चात अंत में, इस दिन विशेष तौर पर अपने गुरु से कोई भी एक गुरु मंत्र ज़रूर लें और उसे अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करें।  


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