आगरा में दंपती पर जानलेवा हमला करने वाले को मिल ही गई सजा, पढ़ें क्या था पूरा मामला
आगरा में दंपती की हत्या के प्रयास में दोषी को दस साल कारावास की सजा। फरवरी 2018 की घटना घर में घुसकर किया था चाकू से हमला। सजा के साथ छह हजार रुपये का अर्थ दंड भी आरोपित पर लगाया गया।
आगरा, जागरण संवाददाता। शाहगंज में चार साल पहले पति-पत्नी की हत्या के प्रयास में दोषी को अदालत ने दस साल कारावास की सजा सुनाई है। आरोपित ने घर में घुसकर पति-पत्नी की चाकू से गर्दन काटने का प्रयास किया था।
घटना 22 फरवरी 2018 की है। शाहगंज के नगला तेजा निवासी राहुल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोपित राहुल इलाके की एक विवाहिता पर गलत नजर रखता था। वह विवाहिता पर दाे साल से दोस्ती करने का दबाव बना रहा था। विवाहिता के विरोध करने पर आरोपित 22 फरवरी की रात को विवाहिता के घर में घुस आया।कमरे में सोते विवाहिता के पति की गर्दन को चाकू से काट दिया।
गर्भवती विवाहिता ने पति को बचाने का प्रयास किया तो आरोपित ने उसकी गर्दन पर भी चाकू से वार कर दिया था। चीख-पुकार सुनकर आरोपित वहां से भाग गया था। जानकारी होने पर पहुंची पुलिस ने घायल दंपती को अस्पताल में भर्ती कराया था। पुलिस ने घटना के दो दिन बाद आरोपित राहुल को चाकू समेत गिरफ्तार कर लिया। मामले के विचारण के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता मधु शर्मा ने आठ गवाह अदालत में प्रस्तुत किए। अपर जिला जज परवेख अख्तर ने दस साल कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही उसे छह हजार रुपये अर्थ दंड से दंडित किया।
युवती को बंधक बना दुष्कर्म के आरोपित को नहीं मिली जमानत
युवती को बंधक बना दुष्कर्म के आरोपित को अदालत से जमानत नहीं मिल सकी। आरोपित उपेंद्र की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र को जिला जज विवेक संगल ने खारिज करने के आदेश किए।
घटना 22 नवंबर 2021 की है। बरहन थाना क्षेत्र निवासी युवती शाम काे खेत पर शौच के लिए गई थी। देर रात तक घर नहीं आई तो स्वजन ने उसकी तलाश शुरू कर दी। युवती अगले दिन बदहवास हालत में घर आई। उसने उपेंद्र निवासी चौकडा पर आरोप लगाया कि वह उसे धमकी देकर अपने साथ ले गया। अपने ट्यूबवेल पर बंधक बना उसके साथ दुष्कर्म किया। जिससे वह बेहाेश हो गई थी। सुबह होश आने पर वह घर आई। मामले में युवती के स्वजन ने उपेंद्र के खिलाफ बंधक बना दुष्कर्म के अारोप मुकदमा दर्ज कराया था। आरोपित की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद जिला शासकीय अधिवक्ता बसंत गुप्ता तर्क एवं पीड़िता के 164 के बयान के आधार पर जिला जज ने उसे खारिज करने के आदेश किए।