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Government School Agra: नवाचारी शिक्षण से बनाई सरकारी स्‍कूल की अलग पहचान, आगरा का ये स्‍कूल बन गया खास

हरीपर्वत पर स्थित है प्राथमिक विद्यालय बुढ़ान सैयद। अकेले शिक्षक होने के बाद भी हर सुविधा कराई उपलब्ध। यहां आकर आपकी सोच यकीनन बदल जाएगी क्योंकि यहां विद्यार्थियों को नवाचारी शिक्षण और कान्वेंट विद्यालय जैसी सुविधाओं मिलती हैं जिससे वह कान्वेंट विद्यालयों को टक्कर देते नजर आते हैं।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 09:21 AM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 09:21 AM (IST)
Government School Agra: नवाचारी शिक्षण से बनाई सरकारी स्‍कूल की अलग पहचान, आगरा का ये स्‍कूल बन गया खास
आगरा के बुढ़ान सैयद प्राइमरी स्‍कूल में लगे बच्‍चों के लिए झूले।

आगरा, संदीप शर्मा। परिषदीय विद्यालय का नाम सुनकर कुछ लोग नाक-मुंह सिकोड़ लेते हैं, तो कुछ को लगता है कि वहां पढ़ाई के अलावा सबकुछ होता होगा। यदि आप भी ऐसा सोचते हैं, तो आपको एक बार हरीपर्वत स्थित बुढ़ान सैयद स्थित प्राथमिक विद्यालय आना चाहिए। आपकी सोच यकीनन बदल जाएगी क्योंकि यहां विद्यार्थियों को नवाचारी शिक्षण और कान्वेंट विद्यालय जैसी सुविधाओं मिलती हैं, जिससे वह कान्वेंट विद्यालयों को टक्कर देते नजर आते हैं।

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विद्यार्थियों को खेल-खेल में गणित विषय पढ़ाया जाता है। कोण बनाने का ज्ञान उन्हें कक्षा के दरवाजे मोड़कर चोक की सहायता से लाइन खींचकर सिखाते हैं। बाद में चांदे की सहायता से नाप की बारीकियां सिखाई जाती है कि किस कोण का क्या साइज है? वहीं कैलेंडर के माध्यम से उन्हें गिनती, सप्ताह, महीनों के नाम का ज्ञान दिया जाता है, उसमें एक से लेकर 30-31 तक की गिनती, सप्ताह और महीनों के नाम, साल, महीनों व सप्ताह के दिन आदि की गहन जानकारी दी गई है।

जहां पिता थे शिक्षक, वहीं मिली जिम्मेदारी

प्रधानाध्यापक राजीव वर्मा को विद्यालय से बेहद लगाव हैं क्योंकि उनके पिता भी इस विद्यालय में शिक्षक थे। राजीव वर्मा की शिक्षक पद पर पहली नियुक्ति शमसाबाद ब्लाक में हुई, लेकिन वर्ष 1995 में स्थानांतरित होकर वह यहां आ गए। उस समय यहां पांच शिक्षक थे, धीरे-धीरे सब सेवानिवृत हो गए, अब वह अकेले शिक्षक हैं। फिर भी लगाव के कारण वह अकेले पूरी शिक्षण व्यवस्था संभालते हैं। पंजीकरण बढ़ाने और ड्रापआउट विद्यार्थियों को विद्यालय तक लाने के लिए नियमित रूप से स्कूल चलो अभियान रैली निकालते हैं। अभिभावकों की काउंसिलिंग कर पढ़ाई व योजनाओं के लाभ गिनाते हैं। वर्तमान में विद्यालय में 94 विद्यार्थी हैं।

जर्जर था विद्यालय

राजीव वर्मा बताते हैं कि विद्यालय की बिल्डिंग जर्जर थी। विद्यार्थियों के लिए न कोई सुविधा थी, न मनोरंजन के अन्य साधन। मैदान भी खराब था। तब उन्होंने स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमसी) की बैठक कर बिल्डिंग सही कराने के लिए समाजसेवी से मदद मांगी। सहयोग मिला, तो हालात बदलने लगे। अच्छा फर्नीचर, झूले आदि की व्यवस्था हुई। स्तरीय शौचालय आदि बने। अब विद्यार्थी पढ़ने के बाद पौष्टिक मिड-डे-मील खाकर झूलों पर खूब मस्ती करते हैं। विद्यालय में किचन गार्डन भी है, जिसमें हरी सब्जियां उगाई जाती हैं, उनका प्रयोग मिड-डे-मील में करते हैं।

कई बार हुआ सम्मान

जर्जर से बेहतरीन विद्यालय तक के सफर में प्रधानाध्यापक राजीव वर्मा की मेहनत और लगन को प्रदेश से स्थानीय स्तर तक सराहा गया। उनकी सामाजिक सक्रियता के कारण उन्हें प्रदेश शासन ने सिविल डिफेंस का बेस्ट वार्डन भी चुना। जिला पंचायत अध्यक्ष डा. मंजू भदौरिया ने उन्हें 2021 में आदर्श शिक्षक पुरस्कार भी प्रदान किया।


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