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हस्‍तशिल्पियों को प्रोत्‍साहन देगी सरकार, शिल्‍पी बनाएं सीएफसी तो मिलेगा अनुदान Agra News

प्रमुख सचिव एमएसएमई व निर्यात प्रोत्साहन ने दिए निर्देश। लागत अधिक होने पर ओडीओपी में सरकार देगी अनुदान।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 11:34 AM (IST)Updated: Sat, 31 Aug 2019 11:34 AM (IST)
हस्‍तशिल्पियों को प्रोत्‍साहन देगी सरकार, शिल्‍पी बनाएं सीएफसी तो मिलेगा अनुदान Agra News
हस्‍तशिल्पियों को प्रोत्‍साहन देगी सरकार, शिल्‍पी बनाएं सीएफसी तो मिलेगा अनुदान Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। शहर का मार्बल इनले वर्क दुनिया भर में अनूठा है। इसे ओडीओपी योजना में सरकार शामिल करे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इस उद्योग पर संकट है। शुक्रवार को एक जिला एक उत्पाद योजना पर सर्किट हाउस में हुई वर्कशाप में हस्तशिल्पियों ने यह बात उठाई। हस्तशिल्पियों को सुझाव दिया गया कि वह सीएफसी का निर्माण करें, सरकार उन्हें 90 फीसदी अनुदान देगी।
लेदर और मार्बल उत्पाद (ओडीओपी) योजना में ओडीओपी ईको सिस्टम (लेदर व मार्बल इनले) विषय पर इस वर्कशॉप का उद्घाटन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) राज्य मंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने किया। नेशनल चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष राजीव तिवारी ने कहा कि दुनिया में केवल आगरा में ही मार्बल इनले का काम होता है। इसमें करीब 60 हजार कारीगर काम कर रहे हैं। जीएसटी की मार के बाद कारीगर काम छोड़ रहे हैं। इसे ओडीओपी में अवश्य शामिल किया जाना चाहिए। डॉ. एसके त्यागी ने मार्बल इनले के साथ स्टोन हैंडीक्राफ्ट को जोड़ने का सुझाव दिया। उन्होंने 12 फीसद जीएसटी पर सवाल उठाए।
प्रमुख सचिव एमएसएमई एवं निर्यात प्रोत्साहन नवनीत सहगल ने कहा कि हस्तशिल्पी सोसायटी, ट्रस्ट, एसोसिएशन बनाकर कॉमन फेसिलिटी सेंटर बनाएं। उन्हें 90 फीसद तक अनुदान मिलेगा। सरकार निर्णय लेगी तो ओडीओपी में मार्बल इनले को शामिल किया जाएगा। इससे पूर्व एमएसएमई राज्य मंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने कहा कि उद्यमियों को हरसंभव मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का सरकार प्रयास कर रही है। आगरा जूते के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। पत्थर और पच्चीकारी के काम से भी इसकी पहचान मुगल काल से है।

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केले बेच रहे हैं हस्तशिल्पी
उद्यमी अशोक ओसवाल ने कहा कि हस्तशिल्पी केले बेचने को मजबूर हैं। स्टोन और मार्बल हैंडीक्राफ्ट को जीएसटी से मुक्त किया जाना चाहिए। एयरपोर्ट पर पर्यटकों को जीएसटी रिटर्न का सिस्टम शुरू नहीं हो सका है। भारतीय पर्यटक जीएसटी की मार नहीं सह पा रहे हैं। रिफंड नहीं मिलने से पैसा फंसा हुआ है।

जूता मंडी की दुकानों की फिर तय होगी कीमत
एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना की वर्कशॉप में जूता दस्तकारों ने जूता मंडी की दुकानों की कीमत अधिक होने का मुद्दा उठाया। प्रमुख सचिव एमएसएमई व निर्यात प्रोत्साहन नवनीत सहगल ने दुकानों की कीमत फिर तय करने के निर्देश डीएम एनजी रवि कुमार व एडीए के अधिकारियों को दिए।
सर्किट हाउस में वर्कशॉप में जूता कारोबारियों ने जूता मंडी की दुकानों की कीमत कम करने की मांग उठाई। इस पर प्रमुख सचिव एमएसएमई एवं निर्यात प्रोत्साहन नवनीत सहगल ने कहा कि दुकानों की लागत का आगणन कराया जाए। मौजूदा रेट से लागत कम है तो दुकानों की कीमत कम कर दें। कीमत अधिक है तो हमें प्रस्ताव भेज दें। ओडीओपी योजना में हम दुकान लेने वाले कारोबारियों को अनुदान देंगे। उन्हें प्रतिपूर्ति के माध्यम से यह अनुदान मिलेगा। जूता मंडी में करीब 250 दुकानें बनी हुई हैं। अधिक कीमत के चलते उनकी बिक्री नहीं हो सकी है और अधिकांश दुकानें खाली पड़ी हैं। वर्कशॉप में निदेशक एमएसएमई व निर्यात प्रोत्साहन गौरव दयाल, डीएम एनजी रवि कुमार, सीडीओ जे. रीभा, एडीएम प्रोटोकॉल मंजूलता, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र अंजू रानी, पूरन डाबर, गोपाल गुप्ता, भरत सिंह पिप्पल आदि मौजूद रहे।

प्रशिक्षण को उपलब्ध कराएं सूची
प्रमुख सचिव ने प्रशिक्षण के लिए इच्छुक व्यक्तियों की सूची उपलब्ध कराने को कहा। उन्हें शॉर्ट टर्म कोर्स कराए जाएंगे, जिससे स्किल्ड लेबर की समस्या नहीं हो। प्रशिक्षण के बाद स्वयं का कारोबार करने के इच्छुक व्यक्तियों को उन्होंने मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना में ऋण दिलाने के निर्देश दिए। बैठक में बैंकों द्वारा ऋण नहीं देने का मुद्दा उठने पर उन्होंने आनाकानी करने वाले बैंकों के प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश डीएम एनजी रवि कुमार को दिए।

एक ट्रिलियन डॉलर इकोनोमी का लक्ष्य
प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने कहा कि मुख्यमंत्री का लक्ष्य प्रदेश में एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का है। जीडीपी बढ़ाने में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग का बड़ा योगदान है। इसके लिए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में प्रदेश भर में आ रही परेशानियों को दूर करने पर जोर दिया जा रहा है। हर जिले में एक सलाहकार नियुक्त किया गया है। आगरा में आइएलएस को यह जिम्मा सौंपा गया है। हितधारकों से विचार-विमर्श कर कार्य योजना बनाई जाएगी। पिछले वर्ष निर्यात में 28 फीसद वृद्धि हुई थी। इसमें लेदर प्रोडक्ट्स और हैंडीक्राफ्ट्स इंडस्ट्री का बड़ा योगदान है।


12 फीसद से अधिक जीएसटी न रखने की मांग
जूता दस्तकार फेडरेशन के अध्यक्ष भरत सिंह पिप्पल ने जूते के कंपोनेंट्स पर 12 फीसद जीएसटी और फाइनल प्रोडक्ट्स पर पांच फीसद ही जीएसटी होने के मुद्दे को रखा। एफमेक के अध्यक्ष पूरन डाबर ने जूते पर जीएसटी 12 फीसद से अधिक नहीं लगाए जाने की मांग उठाई।

दोबारा चालू हो लेम्को
जूता कारोबारियों ने वर्कशॉप में वर्ष 2000 से बंद लेम्को को दोबारा शुरू कराने की मांग उठाई। वर्ष 1974 से 2000 तक लेम्को जब चालू थी तब आगरा के कारोबारियों द्वारा पुलिस, पीएससी और सेना के लिए जूते बनाए जाते थे। एमएसएमई राज्य मंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने इसे प्राथमिकता से देखने को कहा।

लेदर पार्क का उठा मुद्दा
लेदर पार्क का मुद्दा भी जूता कारोबारियों ने उठाया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। प्रमुख सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन मुद्दों में अपना पक्ष रखने और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रलय द्वारा लगाई गई तदर्थ रोक को हटवाने के मामले को देखने की बात कही।

लैब के लिए एफमेक को दिया 1.58 करोड़ रुपये का चेक
राज्य मंत्री चौ. उदयभान सिंह और प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने आगरा फुटवियर मैन्यूफक्चर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर (एफमेक) के अध्यक्ष पूरन डावर को 1.58 करोड़ रुपये का चेक दिया। सींगना स्थित ट्रेड सेंटर में एफमेक द्वारा टेस्टिंग लैब व डिजाइन स्टूडियो बनाया जा रहा है। प्रमुख सचिव नवनीत सहगल बैठक के बाद निरीक्षण के लिए सींगना गए।

ग्लू से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को होगा अध्ययन
वर्कशॉप में जूता उद्यमियों द्वारा जूते को ग्रीन से व्हाइट कैटेगरी में कराने की मांग की गई। प्रमुख सचिव एमएसएमई एवं निर्यात प्रोत्साहन नवनीत सहगल ने उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी भुवन यादव को रिपोर्ट भेजने को कहा। उन्होंने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की उद्योगों की कैटेगरी का हवाला दिया। इस पर प्रमुख सचिव ने उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव आशीष तिवारी से फोन पर वार्ता की। ग्लू व्हाइट कैटेगरी में नहीं है। इस पर प्रमुख सचिव ने जूता इंडस्ट्री में ग्लू के प्रयोग और पर्यावरण पर उसके प्रभाव का अध्ययन कराने को कहा।


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