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आगरा के यमुना किनारा स्थित एक बगीची जो बन गई स्‍मारक, जानें कैसे

एत्माद्दौला के पास पहले थी ब्रजमोहनलाल की बगीची। गांधी जी की हत्या के बाद जमीन की दान, बन गया स्मारक कमरों को बनाया संग्रहालय।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 12:52 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 12:52 PM (IST)
आगरा के यमुना किनारा स्थित एक बगीची जो बन गई स्‍मारक, जानें कैसे
आगरा के यमुना किनारा स्थित एक बगीची जो बन गई स्‍मारक, जानें कैसे

आगरा: बात सितंबर 1929 की है। 11 से 21 सितंबर के बीच बापू ने ब्रजमोहन की बगीची में स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रवास किया था। यमुना के किनारे वातावरण शुद्ध था। उनके साथ आचार्य कृपलानी, कस्तूरबा गांधी, मीरा बहन, प्रभावती और लोक नायक जयप्रकाश नारायण की पत्नी भी थीं। इस दौरान उनसे मिलने बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते थे। बापू की हत्या के बाद 1948 में उनकी यादें संजोने को ब्रजमोहन दास मेहरा ने बगीची दान कर दी। इसे नाम दिया गांधी स्मारक।

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बापू की सेहत में सुधार लाने वाली वो बगीची स्थित है एत्माद्दौला के पास, यमुना के किनारे। आज इस बगीची को गांधी स्मारक के नाम से जाना जाता है।

एत्माद्दौला के पास स्थित गांधी स्मारक। कलकल बहती यमुना के किनारे स्थित स्मारक आंचल में बहुतेरी यादें समेटे है। महात्मा गांधी ने यहां स्वास्थ्य लाभ के लिए 11 दिन तक प्रवास किया था। उनकी हत्या के बाद यादें संजोने को बगीची दान कर दी गई। इसके साथ ही यह बन गया गांधी स्मारक।

तब हुए थे जीर्णोद्धार के प्रयास

करीब दो साल पहले तत्कालीन मंडलायुक्त प्रदीप भटनागर ने इसके जीर्णोद्धार के लिए कोशिश की थी। तब दीवार बनाने के साथ ही चबूतरा सही कराया। रंगाई पुताई भी की गई थी। जीर्णोद्धार के लिए प्रयास करने वाली वत्सला प्रभाकर का कहना है कि गंभीर प्रयास की जरूरत है। विदेशों तक में लोग बापू को आदर्श मानते हैं।

जिन कमरों में गांधी जी रुके थे, वहां संग्रहालय बना दिया गया है। उनसे जुड़ी तस्वीरें भी कमरों में लगाई हैं। चार बीघा में फैले इस स्मारक में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।

प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत दृश्य है स्मारक

गांधी स्मारक का मुख्य भवन मराठा शैली में निर्मित दो मंजिला भवन है। वर्षों तक नगर प्रसूति अस्पताल, जच्चा बच्चा कल्याण केन्द्र तथा आयुर्वेदिक चिकित्सालय के रूप में संचालित रहा। वर्ष 2015 में जीर्णोद्धार के उपरांत इसे गांधी स्मारक एवं संग्रहालय के रूप में पुन: जीवित किया गया।

यमुना किनारे बसे गांधी स्मारक पर अद्भुत नजारा है। चारों तरफ हरियाली है। बापू जिस स्थान पर ठहरे थे, उस स्थान पर विशाल और आकर्षक सफेद रंग का भवन बनाया गया है। कुछ समय तक उजाड़ पड़े रहने वाले गांधी स्मारक को अब नगर निगम द्वारा संरक्षित किया गया है। इसके बाद से यहां की हरियाली और इसके साथ यमुना होने की वजह से चलने वाली शीतल हवाएं, शांत वातावरण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

संग्राहलय में हैं मौजूद गांधी की वस्तुएं

गांधी स्मारक पर महात्मा गांधी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं और उनके समय के महत्वपूर्ण पलों की वृहद चित्र प्रदर्शनी है, जिससे अगर आप गांधी जी के जीवन को जानना चाहते हैं, तो आपको बेहद आसानी होगी। इसके अलावा गांधी जी की चरखा चलाते हुए प्रतिमा भी अपनी ओर आकर्षित करती है। गांधी जी के तीन बंदर बुरा न बोलने, बुरा न देखने और बुरा न सुनने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके अलावा गांधी जी की घड़ी को भी इस कार्यालय में संरक्षित किया गया है। यहां पर प्रवेश निशुल्क है।


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