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Good News: तज आईं वनवास, कर रहीं कौशल विकास, सीखिए कुछ इनसे Agra News

सुदूर गिरि-वनवासी क्षेत्रों की छात्राएं प्राप्त कर रहीं व्यावसायिक शिक्षा छात्रावास में रहकर ले रहीं हवन-पूजन संगीत साधना के संस्कार।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 03 Aug 2019 12:44 PM (IST)Updated: Sat, 03 Aug 2019 07:57 PM (IST)
Good News: तज आईं वनवास, कर रहीं कौशल विकास, सीखिए कुछ इनसे Agra News
Good News: तज आईं वनवास, कर रहीं कौशल विकास, सीखिए कुछ इनसे Agra News

आगरा, आशीष भटनागर। नार्थ सिक्किम के हीग्यथांग की रहने वाली पिंटसो डोमा लेपचा आगरा के एक प्रतिष्ठित निजी नर्सिंग कॉलेज में लेक्चरर हैं। पढ़ाने के साथ वह मास्टर डिग्री लेने की भी तैयारी कर रही हैं। वनवासी क्षेत्र की बौद्ध धर्मावलंबी पिंटसो के इस ख्वाब में रंग भरने का काम कर रहा है वनवासी कल्याण आश्रम।

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दिल्ली-कानपुर हाईवे पर सुल्तानगंज पुलिया चौराहे से चंद कदम की दूरी पर स्थित छात्रावास में रहकर व्यावसायिक शिक्षा हासिल करने वाली पिंटसो अकेली नहीं हैं। उन जैसी कुल 21 छात्राएं यहां रह रही हैं। सभी वनवासी क्षेत्र के निर्धन परिवारों की। सिक्किम की रहने वाली रिमित लेपचा होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर शहर के ही एक प्रतिष्ठित होटल में कार्यरत हैं। हिंदी भाषी न होने के बावजूद उन्होंने शहर में हुई प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ हिंदी राइटिंग का पुरस्कार हासिल किया। मेघालय की वृष्टि, अर्पिका, मिजोरम की रिश्वा और नेपाल की सुनीता हसदा मुरैना में तीन साल का नर्सिंग कोर्स कर रही हैं। मेघालय की अन्वेषा और सिक्किम की विद्या लिंबू आइआइएमटी से ओटी टेक्नीशियन का कोर्स कर रही हैं तो नेपाल की अंजू राई आरबीएस कॉलेज से एमबीए। नगालैंड की केविदियानी ले और केयिगुमलुले समेत सात छात्राएं स्नातक भी कर रही हैं। संत राम-कृष्ण स्कूल से बीए कर रहीं रंजना शतरंज की चैंपियन हैं। असम की सविता सिलाई-कढ़ाई में आइटीआइ कर रही हैं। हाल में ही अंडमान निकोबार से आइएएस बनने की चाहत लेकर आईं फूलवंती ने डीईआइ दयालबाग में प्रवेश लिया है। झारखंड की काजल और अरुणाचल की रिगम 12वीं और असोम की पोरोस्मिता 11वीं में अध्ययनरत हैं। शिक्षा के साथ कोई ब्यूटीशियन का कोर्स कर रही है तो कोई संगीत का रियाज।

आठवीं में पढऩे वाली देहरादून की कुंती केदारनाथ हादसे में मां-बाप को खोने के बाद से अवसाद में थी, अब छात्रावास में सबसे छोटी और सभी की लाडि़ली। मिजोरम की रिनी चकमा उसकी सहपाठी है तो सहेली भी।

तीन मंजिला भवन में बसे इस लघु भारत को परिवार की तरह सहेजने का काम कर रही हैं लखनऊ की 77 वर्षीय सुधा और राजस्थान के कॉलेज से सेवानिवृत्त मिथलेश। छात्राओं की क्रमश: दादी और मां। बताती हैं कि साल में एक बार छात्राओं को देशाटन के लिए ले जाया जाता है। हवन और ग्राम्य विकास के प्रशिक्षण के लिए छात्राओं को आंवलखेड़ा स्थित गायत्री पीठ भेजा जाता है। छात्रावास में भी प्रतिदिन प्रार्थना तो हर पखवाड़े यज्ञ होता है। सप्ताह में दो दिन संगीताचार्य आते हैं। परिणाम यह है कि लोग छात्राओं को यज्ञ कराने के लिए आमंत्रित करने लगे हैं। दो वर्ष से योग दिवस के सरकारी आयोजन में वंदेमातरम गायन के लिए बुलाई जाती हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रकल्प वनवासी कल्याण आश्रम की इस योजना को मूर्तरूप देने में जुटे हैं डॉ. पंकज भाटिया और उनकी पत्नी अनुराधा। बताते हैं कि सभी छात्राएं वनवासी क्षेत्रों में संगठन द्वारा संचालित छात्रावासों में ही रहकर प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करती हैं।

उच्च और व्यावसायिक शिक्षा के लिए उन्हें यहां भेजा जाता है। समाज के उदारमना लोगों के आर्थिक सहयोग से संचालित समग्र योजना का उद्देश्य यही है कि गिरि-वनवासी स्वावलंबी बनें। भारतीय संस्कृति के साथ समाज की मुख्य धारा से जुड़ें। उनमें 'तू-मैं, एक ही रक्त' का भाव पैदा हो ताकि ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के जाल से बच सकें। 

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