ढोल- नगाड़ों संग घर- घर विराजित हो रहे गणपति बप्पा, दस दिनों के गणेश उत्सव में डूबा शहर
शहरभर में मची धूम। अबीर और फूलों की बरसात संग नाचते गाते हुए लोग घर लेकर आए गणपति।
आगरा(जेएनएन): यूं तो गुरुवार की भोर अन्य दिनों की भांति ही हुई। सूर्य देव का उदय प्रतिदिन जैसा ही था और चिड़ियों की चहचहाहट भी रोज की भांति ही थी लेकिन चारों दिशाओं में छाया था एक विशेष उल्लास। हर ओर से उठ रही थी गणपति की जय जयकार। गुरुवार को गणेश चतुर्थी पर
सुबह से ही घर- घर विराजित होने शुरू हुए। शहर में हर ओर गणेश उत्सव की धूम दिखी। गौरी नंदन को विराजित करने के लिए लोगों ने पंडाल एक दिन पहले ही सजा लिये थे। सुबह से भगवान गणेश को ढोल नगाड़ों के साथ विराजमान कराया जा रहा है। उत्साह का चरम घरों में भी दिखा। सुबह छह बजे से साढ़े आठ बजे तक के पहले मुहूर्त में गणपति को विराजित करने के लिए लोगों ने एक दिन पहले ही गणेश प्रतिमा बाजार से खरीद ली थी। दस दिवसीय उत्सव के लिए शहर पूरी तरह सा उत्साह से परिपूर्ण दिखाई दे रहा है।
जगह- जगह सज गए पंडाल: गणेश चतुर्थी के साथ दस दिवसीय गणेशोत्सव का आगाज हुआ है। शहर के हर गली मुहल्ले में पंडाल सजकर तैयार हो गए हैं। कई जगह बुधवार को ही गणेश प्रतिमाओं को लाकर विराजमान कराया गया, तो वहीं कई जगह गुरुवार को प्रतिमाओं की स्थापना कराई जाएगी। वहीं कमला नगर- बल्केश्वर में लगने वाला गणेश पंडाल इस बार पूरे शहर के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। यहां इस बार 5100 किलो वजनी और 23 फुट ऊंची गणेश प्रतिमा स्थापित की जा रही है। शाम को स्थापित होने वाली गणेश प्रतिमा को कोलकाता के कारीगरों ने तैयार किया है। प्रतिमा की विशेषता है कि यह इको फ्रेंडली है। मिट्टी, गोबर, जौ आदि से इसे बनाया गया है।
गणपति स्थापना में रख रहे पर्यावरण का भी ध्यान: पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इस बार शहर में अच्छी पहल देखने को मिल रही है। प्रतिमा विसर्जन से यमुना प्रदूषित न हो इसके लिए शहर के अधिकांश लोग जागरुक हुए हैं। लोगों ने मिट्टी गणेश सहित फल और फूलों के बीजों से तैयार गणेश प्रतिमाओं की स्थापना भी की है। आस्था और पर्यावरण का समायोजन करते हुए लोग प्रतिमा विसर्जन के लिए भी टब या कुंड को अपनाने पर जोर दिया रहे हैं। मोदक की हो रही जमकर बिक्री:
गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा को भोग लगाने के लिए भी विशेष तैयारियां हुई हैं। इसके लिए मिष्ठान विक्रेताओं ने विशेष मोदक तैयार किए हैं। इनमें बेसन, चॉकलेट, मावा, ड्राइ फ्रूट्स, दाल आदि के मोदक की मांग सबसे ज्यादा है। इसके साथ ही बूंदी के लड्डू का भी भोग लगाने की तैयारी है। महिलाओं ने सुबह उठकर लंबोदर के उदर को तृप्त करने के लिए विशेष पकवान बनाने के साथ गणेश जी का प्रिय मोदक का भोग भी तैयार किया।
गोकुलपुरा में प्राचीन मंदिर पर उत्सव
गोकुलपुरा स्थित 372 वर्ष प्राचीन श्री सिद्धी विनायक मंदिर में इस बार भी गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। यह 13 से 23 सितंबर तक चलेगा। 13 सितंबर को मंदिर में विराजमान गणेश जी का भव्य श्रृंगार होगा और फूल बंगला व छप्पन भोग की झांकी सजाई जाएगी। शाम साढ़े पांच बजे 59वें सवारी मेले का उद्घाटन कैबिनेट मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, विधायक योगेंद्र उपाध्याय आदि करेंगे। शाम साढ़े सात बजे 60 वर्ष पुरानी चंदन की प्रतिमा की शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो हाटकेश्वर मंदिर, ठठेरा बाजार, गोकुलपुरा सब्जीमंडी, बल्काबस्ती, राजामंडी होते हुए रात को संपन्न होगी। अन्य दिनों में महिलाओं द्वारा भजन संध्या कार्यक्रम होंगे।