साहित्य उत्सव: गांधीजी ने बताया कि भारत एक देश और एक संस्कृति Agra News
आगरा कॉलेज में चल रहे साहित्य उत्सव में बीसवीं सदी के प्रमुख वैचारिक अधिष्ठापन सत्र में दिल्ली विवि के प्रो. शिवशंकर अवस्थी ने रखे विचार।
आगरा, जागरण संवाददाता। अंग्रेज हमें एक देश नहीं उपमहाद्वीप मानते थे, जहां कई संस्कृतियां हैं। हमें गांधीजी और उनके साथियों ने बताया कि पूरा उपमहाद्वीप एक देश है। हमारी एक संस्कृति है। उन्होंने यह भी बताया कि हमें करना क्या है?
आगरा कॉलेज मैदान में चल रहे आगरा साहित्य उत्सव व राष्ट्रीय पुस्तक मेले में दिल्ली विवि के प्रो. शिवशंकर अवस्थी ने यह बात कही। वे साहित्य उत्सव में हुए सत्र 'बीसवीं सदी के प्रमुख वैचारिक अधिष्ठापन में विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गांधीजी के कुलदेवता श्रीराम थे। वे संकट में हमेशा उनका स्मरण करते थे। उनके अंतिम शब्द भी हे राम थे। एक कंपनी का मुकदमा लडऩे दक्षिण अफ्रीका गए गांधीजी ने वहां भारतीयों को एकत्र करने के साथ उनके लिए संघर्ष किया। करारी प्रथा को समाप्त कराया। उन्होंने महात्मा गांधी के वर्ष 1915 में भारत लौटने, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन पर भी प्रकाश डाला। डॉ. रजनीश त्यागी ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भारत में जाति के ताने-बाने के सुदृढ़ होने के बारे में कहा था कि देश में रामायण लिखने के लिए वाल्मीकि, वेद लिखने के लिए वेदव्यास और संविधान के लिए उन्हें मौका दिया गया। तीनों में से कोई पंडित नहीं है। देश उनके ऋण को कभी नहीं उतार सकता है। जब क्रिश्चियन मिशनरी और इस्लामिक संगठन धर्मांतरण के लिए दबाव बना रहे थे, तब उन्होंने अपने देश में जन्मे बौद्ध धर्म को अंगीकार किया। उन्होंने राम मनोहर लोहिया के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि वे कहते थे कि भारत की नारी को सावित्री नहीं, द्रोपदी जैसा होना चाहिए। सत्र का संचालन डॉ. सुषमा सिंह ने किया।
सुभाषचंद्र बोस के बारे में अधिक जानने की जरूरत
डॉ. रजनीश त्यागी ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस के बारे में अधिक जानने की जरूरत है। 30 दिसंबर, 1943 को जब उन्होंने सरकार बनाई तो सात देशों ने उनकी सरकार को मान्यता दी थी। फैजाबाद के कंपनी गार्डन में फौज ने क्यों गुमनामी बाबा का अंतिम संस्कार किया था?