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शहीद की पार्थिव देह गांव में पहुंचते ही टूटा मातम का सन्‍नाटा, देर होने पर ग्रामीणों आक्रोश Agra News

फीरोजाबाद के मक्खनपुर के चमरौली पहुंची शहीद विजयभान की पार्थिव देह। बीजेपी विधायक डॉ मुकेश वर्मा सपा जिलाध्यक्ष डीपी यादव व अन्य पहुंचे।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 04:29 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 04:29 PM (IST)
शहीद की पार्थिव देह गांव में पहुंचते ही टूटा मातम का सन्‍नाटा, देर होने पर ग्रामीणों आक्रोश Agra News
शहीद की पार्थिव देह गांव में पहुंचते ही टूटा मातम का सन्‍नाटा, देर होने पर ग्रामीणों आक्रोश Agra News

आगरा, जेएनएन। बांग्लादेश से लगी सीमा पर शहीद हुए बीएसएफ में हेड कांस्‍टेबिल विजयभान की पार्थिव देह उनके गांव पहुंची चुकी है। फीरोजाबाद जिले के मक्‍खनपुर के चमरौली गांव में शहीद की पार्थिव पहुंचते ही कोहराम मच गया। शहीद के पार्थिव देह के देर से पहुंचने पर परिजन और ग्रामीण आक्रोशित थे। ग्रामीणों का कहना था कि जान बूझकर प्रशासन ने देरी की। मांगे पूरी करने के बाद ही अंतिम संस्कार करवाने की मांग ग्रामीण कर रहे हैं। वहीं सांसद के अभी तक नहीं पहुंचने से भी ग्रामीण आक्रोशित हैं। डीएम ने ग्रामीणों से मांग पत्र मांगा है। ग्रामीण शहीद की प्रतिमा लगवाने की भी मांग कर रहे हैं। 

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मौके पर बीजेपी विधायक डॉ मुकेश वर्मा, सपा जिलाध्‍यक्ष डीपी यादव व अन्‍य लोग भी पहुंच चुके हैं। तिरंगे में लिपटी शहीद की देह को सैनिकों की टुकड़ी सलामी देगी। शवयात्रा में उमड़ी लोगों की भीड़ विजयभान अमर रहें और बांगलादेश मुर्दाबाद के नारे लगा रही है। 

इससे पूर्व गुरुवार को शहीद जिले के लाल विजयभान की पार्थिव देह के इंतजार में सूनी आंखों में रात कटी थी। शुक्रवार का दिन भी इसी इंतजार में बीता। जिला मुख्यालय से लगभग सात किमी दूर चमरौली गांव के विजयभान सिंह यादव (52) बीएसएफ में हेड कांस्टेबिल पद पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद बांग्लादेश बार्डर पर तैनात थे। गुरुवार सुबह बांग्लादेश बार्डर गार्डस(बीजीबी) ने तीन भारतीय मछुआरों को बंधक बना लिया था। विजय भान अपनी टीम के साथ मोटरबोट से मछुआरों की तलाश को निकले थे। बीजीबी के जवान की ताबड़तोड़ फायरिंग में विजयभान शहीद हो गए। दोपहर में इसकी खबर मिलते ही यहां परिवार में कोहराम मचा गया।

बिखर गए आशियाने के ख्वाब, मन से टूटा परिवार

त्योहार के महीने में फौजी के परिवार को सरहद पार से ऐसा जख्म मिला जो शायद कभी नहीं भरेगा। दीपावली पर नए आशियानेे की नींव रखने का भरोसा दे ड्यूटी पर गए जांबाज विजयभान सिंह यादव अब कभी नहीं लौटेंगे। ड्यूटी पर कुर्बान होने से ख्वाब बिखर गया और परिवार मन से टूट गया है।

बांग्लादेश बार्डर पर शहीद हुए विजयभान तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। बड़े भाई सत्यभान फौज से रिटायर्ड हैं। दूसरे नंबर के भाई किसान है। बड़ा बेटा विवेक एयरफोर्स में तैनात है तो छोटा ग्रेजुएशन कर रहा है। विजयभान सिंह ने नया घर बनवाने के लिए शिकोहाबाद में जमीन खरीदी थी। बड़े बेटे विवेक ने बताया कि वह बंगलुरू से एक महीने की छुट्टी लेकर परिवार के साथ घर आया, लेकिन तब तक पिताजी लौट चुके थे। उन्होंने कहा था कि 26 अक्टूबर को वह वापस आएंगे। इसके बाद घर का काम शुरू कराएंगे। विजयभान के साथ उनकी 80 साल की मां फूलन देवी रहती हैं। कई घंटे तक उन्हें बताया ही नहीं गया, मगर जब घर पर चीत्कार मची और गांव की महिलाएं पहुंची तो जानकारी हो गई। करवाचौथ के दिन पति के शहीद होने की जानकारी मिलने के बाद पत्नी सुनीता देवी की हालत खराब है।

परिवार वालों ने नहीं खाया निवाला

गुरुवार दोपहर शहादत की खबर आई तो परिवार की महिलाएं व्रत में थीं। पुरुषों के खाने का समय नहीं हुआ था। इसके बाद कोहराम मच गया। सुबह से परिवार वाले इंतजार करते रहे, लेकिन शव न पहुंचने की खबर आ गई। पूरा परिवार भूखा ही रहा। शाम तक किसी तरह बेमन से परिवार वालों को जबरन कुछ खिलाया गया।

अप्रैल में आखिरी बार हुई थी पिता-पुत्र की मुलाकात

एयरफोर्स में तैनात बेटे विवेक ने बताया कि उनकी पापा से आखिरी मुलाकात अप्रैल में हुई थी। इस बार परिवार के साथ एक माह की छुट्टी लेकर घर पहुंचा तो पापा नौकरी पर लौट चुके थे।

बांग्लादेश के फौजियों ने किया छल

शहीद के बड़े भाई रिटायर्ड फौजी सत्यभान का कहना था कि मेरा भाई जांबाज था, बांग्लादेश के गार्डस ने छल कर उस पर फायरिंग की। सरकार को इस पर कड़ा एक्शन लेना चाहिए।

फौजियों और पुलिस के जवानों का है गांव

मक्खनपुर थाना क्षेत्र का चमरौली गांव फौजियों और पुलिस के जवानों से भी पहचाना जाता है। गांव के आठ लोग सेना में हैं वहीं 13 परिवारों के जवान यूपी पुलिस में हैं।

गांव में बने शहीद स्मारक और कॉलेज

परिवार वालों का कहना था कि विजयभान सिंह ड्यूटी पर रहते हुए शहीद हुए हैं। उनके सम्मान में गांव में शहीद स्मारक बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा कॉलेज का नामकरण भी हो।


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