'प्रियंका' ने मनाया आजादी का जश्न, जानिये गुलामी से आजादी की पूरी दास्तां
वाइल्ड लाइफ एसओएस और वनविभाग के सहयोग से एक वर्ष पूर्व रेस्क्यू किया गया था प्रियंका हाथी को। चालीस वर्ष तक भिक्षुक हाथी बनकर कैद रही थी।
आगरा, जेएनएन: चालीस वर्ष की गुलामी, कोई कम समय नहीं है। चार दशकों तक प्रकृति के खुले वातावरण में रहने वाले प्राणी के लिए कैद की जंजीरों में जकड़े रहना असहनीय ही होता है। प्रियंका मादा हाथी के गुलामी से आजादी तक के सफर को शनिवार को जब एक वर्ष हुआ तो त्योहार की तरह ही खुशियां मनाई गईं।
मथुरा जिले के फरह ब्लॉक में स्थित हाथी संरक्षण गृह में शनिवार को प्रियंका की आजादी के एक वर्ष का जश्न मनाया गया। तरबूज और केले से तैयार केक काटकर प्रियंका को खिलाया गया। संरक्षण गृह को गुब्बारों और झालरों से इस अवसर पर सजाया भी गया था।
चार दशकों की गुलामी
वाइल्ड लाइफ एसओएस के सहसंस्थापक कार्तिक सत्यनारायण के अनुसार 44 वर्षीय प्रियंका मादा हाथी को चार दशकों तक कैद में रखा गया था। तमाम यातनाएं देकर उसे भिक्षुक हाथी बनाया गया था। 2017 में जब संस्था को इसकी जानकारी हुई तो उप्र वन विभाग के साथ मिलकर इलाहाबाद के पास से उसे रेस्क्यू किया। लंबे समय तक मिली यातनाओं के निशान प्रियंका के शरीर पर थे।
शरीर के हर हिस्से में थे जख्म
प्रियंका मादा हाथी का इलाज करने वाले डॉ. यदुराज के अनुसार चार दशकों की गुलामी के दौरान प्रियंका को लोहे की मोटी जंजीरों में कैद करके रखा गया था। भिक्षा के लिए उसे प्रतिदिन कई किमी चलवाया जाता था। इसके कारण उसके पैर बुरी तरह से जख्मी थे। हड्डियां कमजोर हो गईं थीं और पेट भर भोजन न मिलने के कारण कुपोषण की शिकार थी। एक वर्ष के इलाज से आज प्रियंका पूरी तरह से स्वस्थ है।
साथी हाथियों संग प्रियंका की मस्ती
हाथी संरक्षण गृह में प्रियंका सहित 20 अन्य हाथी भी रहते हैं। सभी को देश के विभिन्न हिस्सों से रेस्क्यू करके यहां लाया गया है। परिसर में हाथियों को प्राकृतिक वातावरण के मध्य रखा जाता है। उनके नहाने के लिए अलग- अलग तालाब बनाए गए हैं। प्रियंका अन्य हाथियों के साथ प्रतिदिन सुबह और शाम सैर पर भी निकलती है। अनानास और तरबूज उसके पसंदीदा फल हैं।
संरक्षण गृह में है अब अस्पताल भी
हाथी संरक्षण गृह में विगत सप्ताह हाथी अस्पताल की शुरुआत भी की गई है। अत्याधुनिक तकनीक से परिपूर्ण अस्पताल में विशेषज्ञों की निगरानी में बीमार हाथियों का इलाज किया जा रहा है।