Fraud Case: आगरा में YAMAHA के तीन निदेशकों समेत छह लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा
Fraud Case अदालत के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा दो अपर निदेशकों व सेक्रेटरी भी आरोपित। पूर्व डीलर ने बीएस-4 वाहन व पार्टस वापस नहीं लेने का लगाया आरोप। नियमानुसार डीलरशिप निरस्त करने से पहले कंपनी को अपने वाहन उनके पार्टस वापस लेने चाहिए थे।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा में इंडिया यामाहा के तीन निदेशकों समेत छह कंपनी अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है। कंपनी के पूर्व डीलर राजीव मोहन सक्सेना ने कंपनी के तीन निदेशकों, दो अपर निदेशकों व एक सेक्रेटरी के खिलाफ साजिश के तहत धोखाधड़ी, अमानत में खयानत और कूट रचित दस्तावेज तैयार करने के आरोप में अदालत में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था। इसमें कंपनी पर अपने बीएस-4 वाहन और पार्टस वापस नहीं लेने और बिना किसी हिसाब-किताब के डीलरशिप खत्म करने का आरोप लगाया है।
अदालत के आदेश पर दर्ज मुकदमे के अनुसार राजीव मोहन सक्सेना, यामाहा इंडिया के अधिक़ृत प्रतिनिधि हैं। उनका सिकंदरा हाईवे पर मंडी के पास जेआर आटाेमोटिव्स के नाम से शोरूम है। राजीव मोहन के अनुसार उन्हें इंडिया यामाहा मोर्टस के तीन निदेशकों, दो अपहर निदेशकों और एक सेक्रेटरी ने कंपनी का प्रतिनिधि नियुक्त किया था। वो कंपनी के दोपहिया वाहनों और पार्टस की बिक्री करते हैं।
अधिकृत सर्विस सेंटर का संचालन कंपनी की शर्तों के मुताबिक कर रहे हैं। कंपनी ने डीलर बनाते समय तय किया था कि फ्री सर्विस कूपन, वारंटी क्लेम और वाहनों के बेचने के लिए मार्केटिंग में भी सहयोग किया जाएगा। कंपनी के अधिकारी समय-समय पर वादी की मदद के लिए उसके संपर्क में रहेंगे। वादी ने कंपनी की शर्तों के अनुसार ही शोरूम और वर्कशाप को निर्माण कराया। इसमें उसके लाखों रुपये खर्च हुए। कंपनी ने वादी से सिक्योरिटी के रूप में धनराशि भी जमा कराई थी। मगर, कंपनी अधिकारियों की ओर से कोई सहयोग नहीं किया गया।
कंपनी ने बंद कर दिया साफ्टवेयर, नहीं बिके बीएस-4 वाहन
वादी राजीव मोहन सक्सेना का आरोप है कि 31 मार्च 2020 तक बीएस-4 वाहनों की बिक्री होनी थी। बेचे गए वाहनों का डाटा कंपनी के साफ्टवेयर में दर्ज होना था। मगर, कंपनी ने मार्च के प्रथम सप्ताह में ही साफ्टवेयर बंद कर दिया। इससे बीएस-4 वाहनाें की बिक्री नहीं हो सकी। कंपनी ने इन वाहनों और लाखों रुपये के पार्टस को वापस नहीं लिया। कंपनी अधिकारियों द्वारा सहयोग नहीं करने से वादी का व्यापारिक नुकसान हुआ। उसने कंपनी अधिकारियों से इसे लेकर कई बार संपर्क किया। इस पर कंपनी के अधिकारियों ने डीलरशिप निरस्त करने का ईमेल वादी को भेज दिया। नियमानुसार डीलरशिप निरस्त करने से पहले कंपनी को अपने वाहन उनके पार्टस वापस लेने चाहिए थे। दो महीने पहले सभी हिसाब-किताब समेत अन्य तथ्यों से अवगत कराना था। कंपनी पर वादी के करोड़ाें रुपये बकाया हैं।
इन्हें किया नामजद
-हिरोशी सेतोगावा, निदेशक इंडिया यामाहा निवासी शि शिजुओका जापान
-युकिहिको टाडा, निदेशक इंडिया यामाहा निवासी डिफेंस कालोनी नई दिल्ली
-तोरू यामा गुचि, निदेशक इंडिया यामाहा निवासी कांचीपुरम ग्रेटर चेन्नई तमिलनाडु
-मोटोफुमि शितारा, अपर निदेशक इंडिया यामाहा निवसी ग्रेटर चेन्नई तमिलनाडु
-हिरोयुकि तसुड़ा, अपर निदेशक इंडिया यामाहा निवासी नई दिल्ली
-आकृति यादव, कंपनी सेक्रेटरी इंडिया यामाहा निवासी माडल टाउन नई दिल्ली
न्यायिक आदेश पर यामाहा इंडिया के निदेशक, अपर निदेशक व सेक्रेटरी के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने, अमानत में खयानत व अापराधिक साजिश के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। इसकी विवेचना की जा रही है,।
कमलेश सिंह इंस्पेक्टर सिकंदरा