Hathi Khana: ताजमहल के नजदीक स्मारक हाथीखाना की बुनियाद को संरक्षण से मिली मजबूती
अगस्त 2018 में मिला था संरक्षित स्मारक का दर्जा। ताजमहल के पास स्थित है मुगलकालीन स्मारक। यहां 10 फुट की ऊंचाई तक दीवारों को सही किया गया है। बाकी काम दूसरे चरण में होगा। पहले चरण का करीब 95 फीसद काम हो चुका है।
आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने संरक्षण कर हाथीखाना की बुनियाद को मजबूत कर दिया है। वर्षों से संरक्षण न होने व देखरेख के अभाव में स्मारक की दीवारें खोखली हो गई थीं। चूने का प्लास्टर गिरने से हाथीखाना के पास टीला बन गया था। यहां 10 फुट की ऊंचाई तक दीवारों को सही किया गया है। बाकी काम दूसरे चरण में होगा।
ताजमहल के नजदीक मुगलकालीन स्मारक हाथीखाना है। ताजमहल के निर्माण के समय यहां हाथियों को रखा जाता था। यहां हाथीखाना के नाम पर केवल एक विशाल द्वार है। अगस्त, 2018 में इसे संरक्षित स्मारक घोषित करते हुए एएसआइ ने इसकी सुध ली थी। यहां दीवारों से चूने का प्लास्टर झड़ गया था और ईंटें निकलने की वजह से दीवारें खोखली हो चुकी थीं। एएसआइ ने नवंबर, 2020 में यहां संरक्षण कार्य की शुरुआत कराई थी। यहां मलबा हटाने पर तीन फुट नीचे मूल फर्श मिला था। एएसआइ ने सबसे पहले हाथीखाना की बुनियाद को मजबूत किया, जिससे कि स्मारक सुरक्षित बना रहे। 10 फुट की ऊंचाई तक दीवारों को सही कर प्वाइंटिंग व चूने का प्लास्टर किया गया। दरवाजे में बनी कोठरियों के साथ ही जीने (सीढ़ियों) को सही किया गया है।
अधीक्षण पुरातत्वविद डा. वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि हाथीखाना के संरक्षण में सबसे पहले उसके स्ट्रक्चर को नीचे से सही किया गया है। पहले चरण का करीब 95 फीसद काम हो चुका है। दूसरे चरण का एस्टीमेट तैयार कराया जा रहा है। दूसरे चरण में पूरे स्मारक का संरक्षण होगा।
दूसरे चरण में आएंगी दिक्कतें
हाथीखाना के मेहराब में दरार है। उसकी छत के ऊपर झाड़ियां उगी हुई हैं, जिनकी जड़ें दीवार व छत में प्रवेश कर गई हैं। एएसआइ को दूसरे चरण के संरक्षण में झाड़ियाें की जड़ों को निकालना होगा।