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Poisonous Liquor: अलीगढ़ के जहरीली शराब कांड का पर्दाफाश करेगी आगरा की लैब, जांच हुई शुरू

आगरा फोरेंसिक लैब भेजे गए अलीगढ़ जहरीली शराब कांड में मृत 80 से ज्यादा लोगों का विसरा। शराब में मिथाइल अल्कोहल मिलाने से गईं आखों की रोशनी और हुई मौतें। फोरेंसिक वैज्ञानिक जहरीली शराब पीने से मृत लोगों के विसरा की जांच तीन चरणों में करेंगे।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Sat, 05 Jun 2021 08:47 AM (IST)Updated: Sat, 05 Jun 2021 08:47 AM (IST)
Poisonous Liquor: अलीगढ़ के जहरीली शराब कांड का पर्दाफाश करेगी आगरा की लैब, जांच हुई शुरू
अलीगढ़ में जहरीली शराब से हुई मौतों की जांच आगरा लैब में शुरू हो गई है। प्रतीकात्‍मक फोटो

आगरा, अली अब्‍बास। अलीगढ़ के जहरीली शराब कांड में मृत 80 से ज्यादा लोगों का विसरा जांच के लिए आगरा फोरेंसिक लैब में भेजा गया है। यहां वैज्ञानिकों द्वारा विसरेे की जांच करके यह पता लगाएंगे कि जहरीली शराब को तैयार करने में कौन-कौन से केमिकल मिलाए गए थे। वैज्ञानिकों की जांच रिपोर्ट मौत की मदिरा का कारोबार करने वालों के खिलाफ पुख्ता सबूत बनेगी। लैब में वैज्ञानिकों ने जहरीली शराब कांड में मृत लोगों के विसरेे की जांच को प्राथमिकता सूची में रखा है। इससे कि जल्द से जल्द विसराेें की जांच करके उसकी रिपोर्ट शासन-प्रशासन को भेजी जा सके।

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तीन चरणों में फोरेंसिक वैज्ञानिक करेंगे जांच

फोरेंसिक वैज्ञानिक जहरीली शराब पीने से मृत लोगों के विसरा की जांच तीन चरणों में करेंगे। इससे कि आरोपितों के खिलाफ वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के साथ ही शराब पीने से होने वाली मौतों की तह तक पहुंचा जा सके।

पहला चरण: विसरा की स्टीम डिस्टिलेशन जांच से मिलेगा वैज्ञानिक साक्ष्य

जहरीली शराब से मौत होने पर इसमें मिथाइल अल्कोहल मिलाया है कि नहीं, इसे जानने के लिए फोरेंसिक वैज्ञानिक स्टीम डिस्टिलेशन तकनीकी का प्रयोग करते हैं। इसमें जांच के लिए भेजे गए विसरे से मिथाइल, ईथाइल और पानी का पता लगाने के लिए स्टीम डिस्टिलेशन प्रक्रिया से गुजारा जाता है। पानी 100 डिग्री सेल्सियस पर भाप बनता है, इसी तरह ईथाइल अल्कोहल 78 डिग्री सेल्सियस और मिथाइल अल्कोल 64 डिग्री सेल्सियस पर भाप बनता है। स्टीम डिस्टिलेशन की प्रक्रिया में सबसे पहले मिथाइल अल्कोहल मिलता है। वैज्ञानिक 15 से 20 मिलीलीटर पानी व मिथाइल अल्कोहल, ईथाइल अल्कोहल मिश्रण (वैज्ञानिक नाम एजियोट्राप मिक्सचर) इस मिश्रण का परीक्षण करके इसमें मिथाइल अल्कोहल और उसकी मात्रा का पता लगाते हैं।

दूसरा चरण: विसरा परीक्षण में यूरिया की जांच

कच्ची शराब बनाने वाले मिथाइल अल्कोहल के अलावा यूरिया भी मिलाते हैं। शराब में यूरिया मिलाया गया है कि नहीं इसे जानने के लिए फोरेंसिक वैज्ञानिक दूसरे चरण में विसरा में मिलने वाले अपच पदार्थों की जांच करते हैं। परीक्षण के बाद यह पता चल जाता है कि शराब में यूरिया मिलाया गया है कि नहीं।

तीसरा चरण: क्लोरल हाइड्रेड की जांच

कच्ची शराब शराब तैयार करने वाले मिथाइल अल्कोहल, इथाइल अल्कोहल और यूरिया के अलावा तेज नशे के लिए क्लोरल हाइड्रेछड का प्रयोग भी करते हैं। इससे कि नशे की तीव्रता को बढाया जा सके। विसरा परीक्षण के तीसरे चरण में वैज्ञानिक उसमें मिले अपच पदार्थों का परीक्षण करके क्लोरल हाइड्रेड का पता लगाते हैं।

आंखों की रोशनी जाना शराब में मिथाइल अल्कोहल मिलाने का पुख्ता संकेत

जहरीली शराब पीने वाले अधिकांश लोगों की पहले आंखों की रोशनी गई, इसके बाद उनकी जान गई। वैज्ञानिकों के अनुसार आंखाें की रोशनी जाना शराब में मिथाइल अल्कोहल को मिलाने का संकेत है। मिथाइल अल्कोहल मिली शराब के सेवन से सबसे पहले आखों की रोशनी जाती है। इसके बाद आक्सीजन का स्तर से गिरने से उसका सेवन करने वाले को सांस लेने में दिक्कत होती है। उसके शरीर में आक्‍सीजन की मात्रा का स्तर 70 से 60 तक रह जाता है। इसके चलते जहरीली शराब का सेवन करने वाले की मृत्यु तक हो जाती है।


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