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सीखिए इनसे: गांधी के देश में विदेशियों की 'गांधी‍गीरी', जुटे यमुना साफ करने में Agra News

यमुना किनारे व पंचकोसीय परिक्रमा में अभियान चला रहे ब्रज वृंदावन एक्ट नाऊ के सदस्य। रोजाना विदेशी श्रद्धालु बटोरते हैं गंदगी और पहुंचाते हैं खत्‍ताघर तक।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 08:48 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 09:08 PM (IST)
सीखिए इनसे: गांधी के देश में विदेशियों की 'गांधी‍गीरी', जुटे यमुना साफ करने में Agra News
सीखिए इनसे: गांधी के देश में विदेशियों की 'गांधी‍गीरी', जुटे यमुना साफ करने में Agra News

आगरा, विपिन पाराशर। भगवान कृष्‍ण के प्रति मन में आस्‍था लेकर भारत पहुंचे विदेशी श्रद्धालु यमुना की गंदगी को देखकर व्‍यथित हैं। सफाई के नाम पर बड़ी बातें और स्‍वच्‍छता अभियान के नाम पर जनप्रतिनिधियों के झाड़ू लगाते फोटो यमुना को साफ नहीं करा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को सरकारी कारिंदे जब ठेंगा दिखा रहे हैं, तो विदेशी भक्‍तों ने यमुना किनारे स्वच्छता रखने का बीड़ा खुद उठाया है। विदेशी भक्तों के संगठन ब्रज वृंदावन एक्ट नाऊ से जुड़े विदेशी भक्त प्रतिदिन यमुना किनारे कार सेवा कर गंदगी को उठा रहे हैं। यहां एकत्रित हो रही गंदगी को वे नगर निगम के खत्ताघर तक भी पहुंचा रहे हैं। यमुना किनारे स्वच्छता अभियान चला रहे इन विदेशी भक्तों में अमेरिका, रूस, आस्ट्रेलिया, स्विटजरलैंड, इजराइल जैसे देशों के वे लोग शामिल हैं, जो कि कृष्ण की भक्ति में डूबकर ब्रज में साधना करने को डेरा डाले हुए हैं।

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मथुरा में यमुना किनारे केशीघाट, बिहारघाट, भ्रमरघाट, श्रृंगारवट घाट, सूरजघाट पर प्रतिदिन देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु यमुना स्नान, पूजन करते हैं। लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण यमुना किनारे गंदगी का आलम ऐसा कि श्रद्धालुओं को पूजा करने को उचित जगह भी मिल पाना मुमकिन नहीं हो रहा। ऐसे में विदेशी भक्तों के सामाजिक संगठन ब्रज वृंदावन एक्ट नाऊ ने यमुना किनारे और पंचकोसीय परिक्रमा मार्ग में स्वच्छता अभियान चलाने का बीड़ा उठा रखा है। स्वच्छता अभियान में शामिल विदेशी भक्त महिला अंबिका देवी दासी ने बताया कि जब भी वे परिक्रमा अथवा यमुना पूजन को आते हैं, तो गंदगी देख द्रवित हो जाते हैं। भगवान की भूमि को भी लोग गंदा रखने से बाज नहीं आते। इसलिए हमारे संगठन ने स्वच्छता अभियान चलाने का निर्णय लिया। संगठन में जेनिम गोमेज, प्रणेश्वरी देवी दासी, सुबल लोवटो, माखनचोर पेलीज, पार्वती महारानी, हरीहरा, अभय, फेडेरिको, जगदीश, गोपिका शामिल थे।

प्रचार सेे दूर एकांत में काम

ये विदेशी भक्‍त बिना किसी प्रचार या शोरशराबे के नियमित रूप से यमुना के घाटों पर पहुंचते हैं। हैंड ग्‍लव्‍स पहनकर ये लोग यमुना किनारे फैले कचरे को बटोरकर अपने साथ लाए प्‍लास्टिक बैग्‍स में एकत्र करते जाते हैं। इनको देखकर कुछ आसपास के लोग भी जुट जाते हैं, वे भी सहयोग करने लगते हैं। कचरा एकत्र कर, जहां भी नगर निगम का डस्‍टबिन जहां भी रखा होता है, ये कचरा वहां ले जाकर फेंकते हैं।

गांधी के देश में 'गांधीगीरी

राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने आजादी से पहले विदेशी धरती पर जो संदेश दिया था, वही संदेश विदेशी भक्‍त आज भारत की धरती पर दे रहे हैं। भगवान कृष्‍ण की जन्‍मस्‍थली पर यमुना की दुर्दशा देखकर आहत हुए विदेशियों ने तय किया कि हम अपना प्रयास तो करेंगे ही, शायद इससे ही भारत के लोग प्रभावित हों और अपने देश को साफ-सुथरा रखने के लिए प्रेरित हों।  


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