विदेशी मेहमानों पर मंडरा रहा है मौत का साया, शिकारी लगाए बैठे हैं घात
समान पक्षी विहार में सक्रिय हुए शिकारी। डेढ़ से दो हजार रुपये में बिक रही हैं विदेशी चिडिय़ां।
आगरा, जेएनएन। कम संसाधनों के बावजूद सुरक्षा चाक चौबंद है लेकिन फिर भी विदेशी मेहमानों की जिंदगी खतरे में है। स्वछंदता से खुले आसमां में विचरण करने वाले पक्षी सात समुंद्र पार भारतीय मौसम का आनंद लेने आ तो गए हैं लेकिन आने के साथ उनकी जिंदगी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सर्दियां शुरू होते ही मैनपुरी जिले के समान पक्षी विहार में आए विदेशी पक्षियों पर यही खतरा गहरा रहा है। शिकारी कुछ धन के लालच में इन परिंदों का सौदा कर रहे हैं। हालांकि कम स्टाफ के बावजूद वन विभाग ने सुरक्षा व्यवस्था की हुई लेकिन शिकारी सुरक्षा में सेंध कर अपने मंसूबे पूरे करने का कोई मौका नहीं गवां रहे।
दरअसल नवंबर से विदेशी मेहमानों की आमद शुरू हो गई है। साइबेरिया से आए करीब 26 प्रजाति के पङ्क्षरदे समान पक्षी विहार की झील में मस्ती करते दिखाई दे रहे हैं। इन पङ्क्षरदों के शत्रु भी सक्रिय हो गए हैं। विदेशी पक्षियों के मांस के शौकीन इन पक्षियों को मारकर खाने का कोई मौका नहीं जाने देते हैं। समान पक्षी विहार की सुरक्षा फिलहाल सिर्फ रेंजर सहित चार वन कर्मियों के हाथ में है। पक्षी विहार का रकबा 526 हैक्टेयर है। ये पूरा क्षेत्रफल बरसात के दिनों में जलाच्छादित हो जाता है। वर्षा के बाद धीरे- धीरे पानी सूखना शुरू हो जाता है। बाद में 10 से 15 हैक्टेयर क्षेत्र में फैली झील में पानी पूरे वर्ष बना रहता है। देशी, विदेशी पक्षी इसी क्षेत्र में रहते हैं। पक्षी विहार के इलाके में झाडिय़ां व पेड़ होने के कारण शिकारी इस इलाके में आराम से छिप जाते हैं। वन कर्मियों की नजर चूकते ही पक्षियों का शिकार कर लेते हैं।
अचानक चेङ्क्षकग करते हैं वनकर्मी
शिकारियों की चहल कदमी से वन विभाग अंजान नहीं है। लेकिन कर्मचारियों की कमी के चलते ठीक से निगरानी नहीं हो पा रही है। इसीलिए विभाग द्वारा अन्य रेंज के कर्मचारियों की टीम बुलाकर एक साथ पूरे क्षेत्र में चेङ्क्षकग कराई जाती है। इस दौरान टीम का प्रयास रहता है कि शिकारियों को पकड़कर जेल भेजा जा सके। लेकिन अब तक कोई शिकारी पकड़ा नहीं गया है।
झील से होता है कछुओं का शिकार
झील से कछुओं का शिकार होता है। रविवार को भी पुलिस ने तीन तस्करों को 30 कछुओं के साथ पकड़ा था। तस्करों ने स्वीकार किया था कि समान पक्षी विहार की झील से कछुओं को पकड़कर लाए हैं। वन कर्मियों को पता भी नहीं लगा।
दो हजार में बिकती है एक चिडिय़ा
विदेशी पक्षियों के मांस के शौकीन ने बताया कि क्षेत्र में कई शिकारी सक्रिय हो गए हंै। विदेशी चिडिय़ा डेढ़ हजार से दो हजार रुपये में बेची जाती है। यहां से पकड़ी गई चिडिय़ा दूसरे जिलों में भी बेची जाती है।