Footwear Export: फुटवियर इंडस्ट्री को लगा बड़ा झटका, उबरने में लगेगा अभी और समय
Footwear Export आगरा की फुटवियर इंडस्ट्री को विंटर के बाद समर सीजन के आर्डर मिलने में भी बड़ी गिरावट दर्ज। इंटरनेशनल फ्लाइट बंद होने से नहीं तलाश पा रहे नए बाजार। अनलॉक होने के बाद भी पटरी पर नहीं आ रहा पा रहा निर्यात।
आगरा, निर्लोष कुमार। अागरा को दुनिया में ताजमहल के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां का जूता भी कुछ कम नहीं है। यूरोपीय देशों में आगरा में बने चमड़े की जूते की अच्छी मांग रहती है। कोरोना वायरस के संक्रमण काल में मुगलकालीन जूता उद्याेग भी जूझ रहा है। इंटरनेशनल फ्लाइट बंद होने से उसे नए बाजार तलाशने में मुश्किल आ रही है। समर सीजन के आर्डर में भी बड़ी गिरावट है। इस स्थिति से उबरने में जूता उद्योग को एक से दो वर्ष का समय लग सकता है।
आगरा में जूता उद्योग मुगलकालीन (करीब 500 वर्ष प्राचीन) है। यहां के उद्योगों में जूता उद्योग प्रमुख है और इससे करीब चार लाख लोगों को राेजगार के साथ ही सरकार को राजस्व भी मिलता है। काेराेना वायरस के संक्रमण के चलते हुए लाक डाउन ने उद्योग पर बुरा असर डाला। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद आगरा में 23 मार्च से लॉकडाउन हो गया था। बड़ी जूता फैक्ट्रियां और कारखाने इससे पूर्व ही 17-18 मार्च से बंद होना शुरू हो गए थे। छोटे कारखाने तो होली पर ही बंद हो गए थे। आगरा में मार्च से सितंबर तक विंटर सीजन और अक्टूबर से फरवरी तक समर सीजन के ऑर्डर पर जूते बनाए जाते हैं। कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से विंटर सीजन के ऑर्डर 60 फीसद तक कैंसिल हो गए थे। लॉकडाउन की वजह से समर सीजन का माल यूरोपीय बाजार बंद होने से बिका नहीं। इसका असर समर सीजन के आर्डर पर भी पड़ा है। करीब 30-35 फीसद आर्डर ही मिल पाए हैं। कोरोना वायरस का संक्रमण कई देशों में एक फिर बढ़ने, मैनचेस्टर व बर्मिंघम में लाक डाउन होने, इंटरनेशनल फ्लाइट बंद होने से जूता उद्यमी नए बाजार को नहीं तलाश पा रहे हैं। काेरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने से जूता निर्यातकों को यह चिंता सता रही है कि स्थिति में सुधार नहीं होता है तो जो आर्डर मिला भी है, वो भी फंस सकता है।
80 फीसद निर्यात यूरोपीय देशों को
आगरा से 80 फीसद जूता निर्यात यूरोपीय देशों को होता है। इनमें इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी आदि प्रमुख हैं। 20 फीसद में अमेरिका समेत अन्य देश आते हैं।
जूता उद्याेग: एक नजर
-आगरा में प्रतिदिन करीब 15 लाख जोड़ी जूते बनते हैं।
-करीब पांच हजार करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से होता है प्रतिवर्ष निर्यात।
-करीब दो हजार करोड़ रुपये का समर और करीब तीन हजार करोड़ रुपये का विंटर सीजन में कारोबार होता है।
-करीब 20 हजार करोड़ रुपये का प्रतिवर्ष घरेलू कारोबार।
-देश के जूता निर्यात में आगरा की 28 फीसद भागीदारी।
-घरेलू बाजार में 65 फीसद तक की हिस्सेदारी।
-छोटी-बड़ी करीब 7.5 हजार जूता निर्माण इकाइयां शहर में।
-करीब चार लाख लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से आश्रित हैं।
एक माह पहले होगा गार्डा फेयर
इटली में जून में गार्डा फेयर कोविड-19 के चलते नहीं हो सका। वहीं, जनवरी, 2021 में होने वाला गार्डा फेयर एक माह पहले 11 से 14 दिसंबर तक होने जा रहा है। इस स्थिति में सड़क मार्ग से आपूर्ति संभव होने के चलते यूरोपीय उद्यमी अपना माल आर्डर प्राप्त कर दो से तीन सप्ताह में दे सकेंगे, जबकि आगरा के जूता निर्यातकों को शिप से माल भेजने में अधिक समय लगेगा।
जर्मन कंपनी ने शुरू किया आगरा में उत्पादन
कोरोना काल में जर्मन कंपनी कासा एवर्ज जीएमबीएच ने चीन से अपना उत्पादन समेटकर आगरा में उत्पादन शुरू कर दिया है। उसने आगरा की कंपनी आइ-ट्रिक से करार किया है।
रिटेल बाजार में 30 से 35 फीसद तक बिक्री डाउन है। इंटरनेशनल फ्लाइट बंद होने से हम ना तो नए बाजार तलाश पा रहे हैं और ना आक्रामक प्रचार-प्रसार कर पा रहे हैं। डिजिटल मार्केटिंग में पुराने ग्राहक ही विश्वास करते हैं। नया ग्राहक तो कम से कम एक बार आकर उत्पाद देखना चाहता है, जो इस समय संभव नहीं है। उद्योग को इस स्थिति से उबरने में दो वर्ष लगेंगे।
-पूरन डावर, अध्यक्ष आगरा फुटवियर्स मैन्यूफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैंबर
अभी अनिश्चितता का माहौल है। इंटरनेशनल फ्लाइट बंद होने से ग्राहक यहां नहीं आ सकते हैं और जूता निर्यातक भी अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार को कहीं नहीं जा सकते हैं। इंटरनेट के माध्यम से उत्पादों से संबंधित जानकारी ग्राहकों को उपलब्ध कराई है। यूरोपीय देशों में दोबारा लॉक डाउन हो रहा है। उद्योग को इस स्थिति से उबरने में वक्त लगेगा।
-रूबी सहगल, उपाध्यक्ष आगरा फुटवियर्स मैन्यूफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स चैंबर