बाढ़ भी न डिगा पाई बीच यमुना के शिवालय को, ये है इतिहास Agra News
बीच यमुना में तपस्वी की तरह खड़ी है बाबाजी की बुर्जी। 1906 में हुआ था मंदिर का निर्माण।
आगरा, आदर्श नंदन गुप्त। बाबाजी का बुर्जी वाला मंदिर। मानो, यमुना नदी में शांत, धीर और गंभीर होकर एक तपस्वी की तरह खड़ा है। इसके मंदिर होने का भान तब होता है जब इसके सामने आरती, घंटे-घडिय़ाल के साथ भगवान शंकर और यमुना मैया के जयकारे लगाते लोग भक्तिभाव में मगन नजर आने लगते हैं।
हाथी घाट से बेलनगंज की ओर जाने पर कचहरी घाट वाले रास्ते के ठीक सामने यमुना में यह शिवालय है। तट से यमुना में करीब 100 मीटर अंदर। यह भूतल से करीब 70 फुट ऊंचाई पर बना है। इसकी चौड़ाई 25 फुट है। यमुुना किनारे पर जब जल नहीं होता तो आसानी से मंदिर में जाया जा सकता है। इसमें नीचे बाबा का कमरा है। उसके किनारे से सीढिय़ां है, जिनसे ऊपर जाया जाता है। मंदिर में ऊपर शिव दरबार है।
बाबा रामस्वरूप की है साधना स्थली
सन् 1900 के आसपास एक बाबा रामस्वरूप यहां आकर रहने लगे थे। वे कहीं नहीं जाते, यमुना में पैर डाल ही साधना करते थे। उनका यश बढ़ता गया, जिससे उनके श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई। श्रद्धालुओं ने नाव की व्यवस्था कर दी तो वे नाव में पैर लटकाए बैठे रहते। उनके भक्तों ने मंदिर का निर्माण कराना शुरू किया जो वर्ष 1906 तक पूर्ण हो गया। बाबा यहां नियमित पूजा अर्चना करते थे।
भयंकर बाढ़ में भी नहीं डिगा
यमुना में सामान्य उफान तो हर साल आता है। वर्ष 1910, 1924 और 1978 में तो बाढ़ में यह मंदिर डूब सा ही गया था, इसके बावजूद यह अपना मस्तक ऊंचा करके खड़ा हुआ है। प्राचीन होने के वजह से जरूर यह जर्जर हो गया है।
ऐसे बना यह मंदिर
वर्ष 1900 के करीब बेलनगंज मेें स्ट्रेची ब्रिज का निर्माण हुआ। तभी मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई। पुल का निर्माण करने वाले इंजीनियरों और मजदूरों का भी इसमें सहयोग रहा। यमुना की धारा रोक कर पिलर बनाया गया। चूने, मिट्टी और ककइया ईंटों से इसका निर्माण किया गया।
क्या कहते हैं आस्थावान
सामान्य दिनों में तो थोड़ी कठिनाई उठाते हुए इस मंदिर में जाया जा सकता है। महाशिवरात्रि पर जब यहां विशेष उत्सव होता है, तब यहां अक्सर पानी होता है। इसलिए यहां आयोजकों द्वारा अस्थायी पुल का निर्माण कराया जाता है। यहां स्थायी पुल की मांग भी कई सालों से की जा रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
-जुगल किशोर शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता
मंदिर मेंं ऊपर जाना मुश्किल कार्य है, अत: घाट पर से ही यमुना और मंदिर की हम नियमित आरती करते हैैं। हर साल महाशिवरात्रि को विशेष उत्सव होता है, मेला लगाया जाता है। जिसमें श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
- होरी सिंह, श्रद्धालु