विदेश पहुंचने पर नहीं पढ़नी होगी वहां की भाषा, ब्रज के इस विवि में सिखाई जाएंगी पांच भाषाएं
वेटेरिनरी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाएंगी पांच भाषाएं दो विदेशी भाषाओं के लिए दूतावासों से किया संपर्क। पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो-अनुसंधान संस्थान छात्रों को जर्मनी फ्रेंच अंग्रेजी हिंदी संस्कृत समेत यूरोपियन देशों की भाषा का भी ज्ञान कराएगा।
आगरा, मनोज चौधरी। विदेशों में शोध, कारोबार और पढ़ाई करने के लिए जाने वाले छात्रों को अब वहां की स्थानीय भाषा को सीखने के लिए समय जाया नहीं करना पड़ेगा। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान में पांच भाषा पढ़ाने का कार्य शुरू होने जा रहा है। हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा पढ़ाने की तैयारियां लगभग अंतिम चरण हैं, जबकि फ्रेंच और जर्मनी भाषा के साफ्टवेयर हासिल करने को फ्रांस और जर्मनी के दूतावास से यूनिवर्सिटी से संपर्क स्थापित किया है।
जनवरी से इन भाषाओं का अध्ययन शुरू हो जाएगा। यहां पढ़ाई करने के बाद जब कोई छात्र विदेश में अध्ययन करने और अपने कारोबार की शुरुआत करने के लिए जाता है। उसे वहां की स्थानीय भाषा भी सीखनी पड़ती है। संबंधित देश की भाषा की बेसिक जानकारी करने के लिए कम से एक से दो सेमेस्टर पढ़ाई करनी होती है। इसमें करीब छह महीने लगते हैं। पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो-अनुसंधान संस्थान छात्रों को जर्मनी, फ्रेंच, अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत समेत यूरोपियन देशों की भाषा का भी ज्ञान कराएगा। इसके लिए यूनिवर्सिटी में एक आधुनिक क्लासरूम स्थापित किया गया है। अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत भाषा के लिए साफ्टवेयर यूनिवर्सिटी ने हासिल कर लिया है। जर्मन और फ्रेंच भाषा का साफ्टवेयर लेने के लिए फ्रांस और जर्मन के दूतावास से यूनिवर्सिटी ने संपर्क किया है। प्रोजेक्ट के प्रभारी डा. अतुल सक्सेना ने बताया, एक दो दिन में यूनिवर्सिटी की टीम दूतावास जाएगी और साफ्टवेयर कंपनियों से संपर्क करेगी। इस संबंध में दूतावास से बातचीत हो गई है। उन्होंने बताया, तीनों भाषाओं का भी की पढ़ाई का कार्य जनवरी में शुरू हो जाएगा।
छात्रों के अलावा आम नागरिकों को भी यूनिवर्सिटी इन भाषाओं का ज्ञान कराएगी। इसके लिए यूनिवर्सिटी न्यूनतम शुल्क लेगी, जो अभी निर्धारित नहीं किया गया है। जनवरी से शिक्षण कार्य शुरू हो जाएगा। छात्रों को भाषा का ज्ञान कराने को साफ्टवेयर की मदद ली जाएगी। भाषा विशेषज्ञ तैनात किए जाएंगे। क्लास आफ लाइन संचालित की जाएंगी। यूनिवर्सिटी यहां से विदेशी भाषा की पढ़ाई करने वाले छात्रों को प्रमाण पत्र भी देगी, विदेशों में भी उसकी मान्यता होगी। यह कार्यक्रम विश्व बैंक के सहयोग से संचालित किया जा रहा है।
-प्रोफेसर डा. जीके सिंह, कुलपति, पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान