मोहम्मद के दीवाने रोज आबाद करते हैं बुजुर्गो के आस्थाने
चमेली शाह बाबा की मजार पर 30 वर्ष से छत पर खड़ा नीम का पेड़, दरगाह कदम रसूल पर पांच दिवसीय उर्स का आगाज
आगरा (जागरण संवाददाता): इस्लाम से प्यारे मोहम्मद के दीवाने रोज आबाद करते हैं बुजुर्गो के आस्थाने। एक तरफ नबी रसूल के कदम शरीफ (पद चिन्ह) के दर्शन को असंख्य जायरीन उमड़ते हैं। दूसरी तरफ चमेली शाह बाबा की मजार पर खड़े नीम के पेड़ पर मन्नतों का धागा बांधते हैं।
सराय बोदला में दरगाह नबी करीम (कदम रसूल) में इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद (सल्लाह अलैहिअस्लम) के कदम शरीफ हैं। यहां पर पांच दिवसीय उर्स में असंख्य जायरीन पहुंचते हैं। खास बात ये है कि यहां पर कई आस्थान-ए-बुजुर्ग (हजरत ख्वाजा उस्मान रहमतुल्लाह अलैह नबी शाह बाबा, हजरत चमेली शाह बाबा सहित कई बुजुर्गो की मजार) हैं। भूतल में इनकी मजार हैं। हजरत उस्मान बाबा की मजार के ऊपर कदम शरीफ हैं और चमेली शाह बाबा की मजार के ऊपर ताबीज (मजार के ऊपर का स्थान) बना है। जहां एक नीम का पेड़ है। जायरीन 35 वर्ष पुराने नीम के पेड़ अपनी मन्नतें मांग कर धागा बांधते हैं। दरगाह के सज्जादानाशीं शेख मोहम्मद शफीक बाबा लाल शाह कादरी ने बताया कि जो शख्स दरगाह में अपनी मुराद मांगते हैं। वे नीम के पेड़ के पास कढ़ाई में ताले बांधकर जाते हैं और मुराद पूरी होने पर उन्हें खोलते हैं।
1992 में पहले एक दिन का होता था उर्स
शेख मोहम्मद आमिर कादरी शफीकी ने बताया कि दरगाह में एक दिन का उर्स होता था। 1992 के बाद दरगाह के सज्जादानशीं ने पांच दिवसीय उर्स के आयोजन की पहल की।
दूध से होता गुस्ल
दरगाह में उर्स के दौरान कदम शरीफ के गुस्ल में दूध का प्रयोग होता है। उस दूध को प्रसाद के रूप में वितरित कर दिया जाता है।