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Fish Hunter: दर्जनों बार जेल जा चुके हैं कीठम के शिकारी, फिर भी रहते हैं शिकार करने को तैयार

जनवरी से हर 15 दिन में पकड़े जाते है शिकारी। 11 शिकारियों पर 83 मुकदमे 20 दिन में जेल से मिल जाती है रिहाई।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 02:41 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 02:41 PM (IST)
Fish Hunter: दर्जनों बार जेल जा चुके हैं कीठम के शिकारी, फिर भी रहते हैं शिकार करने को तैयार
Fish Hunter: दर्जनों बार जेल जा चुके हैं कीठम के शिकारी, फिर भी रहते हैं शिकार करने को तैयार

आगरा, जागरण संवाददाता। सूर सरोवर पक्षी विहार में शिकार करने वाले शिकारियों पर दो-दो दर्जन के करीब मुकदमे दर्ज हैं। उसके बाद भी जलीय जीव और वन्यजीवों का शिकार करने से बाज नहीं आ रहे। बीस दिन सलाखों के पीछे काटने के बाद फिर से अवैध कमाई धंधे में जीवों की जान लेना शुरू कर देते हैं। कीठम स्थित सूर सरोवर पक्षी विहार में देशी-विदेशी पक्षी निवास करते हैं। कीठम झील में बड़ी संख्या में मछलियां हैं। आसपास के जंगल में वन्यजीव हिरण, नीलगाय रहती हैं। सूर सरोवर पक्षी विहार की दो साइडों में बाउड्रीवॉल नहीं है। इसका फायदा उठाकर रुनकता गांव के लोग जंगल के रास्तों से शिकार करने के लिए घुस जाते हैं। पक्षी और जानवारों का शिकार करते हुए तो नहीं पकड़े जाते, लेकिन झील में मछली का शिकार करते हुए पकड़ जाते हैं। हाल यह है कि एक-एक शिकारी पर 16-16 मुकदमे दर्ज हैं। वन विभाग वन संरक्षण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा करके झेल भेज देता है। बीस दिन बाद जेल से जमानत पर रिहा हो जाते हैं। फिर से वही काम शुरू कर देते हैं।

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आरोपित का नाम वर्ष में मुकदमे कुल मुकदमे

इकबाल (2011 में एक, 2012 में चार, 2013 में एक, 2014 में दो, 2015 में एक, 2016 में एक, 2017 में एक, 2019 में दो, 2020 में दो) 16

भूरा ( 2011 में एक, 2012 में दो, 2013 में एक, 2014 में दो, 2015 में एक, 2016 में दो) 10

निरंजन (2010 में दो, 2011 में दो, 2014 में एक, 2019 में एक, 2020 में एक) सात

राकेश (2009 में तीन, 2010 में दो, 2013 में एक, 2015 में एक, 2016 में दो ) नौ

हीरा (2012 में एक, 2014 में दो, 2017 में 2018) चार

अलीम (2011 में एक, 2012 में एक, 2018 में एक, 2016 में दो, 2017 में एक, 2019 में एक) सात

सोनू ( 2014 में एक, 2015 में एक, 2019 में एक, 2020 में एक ) चार

अप्पू (2011 में दो, 2012 में एक, 2015 में एक , 2018 में एक, 2020 में एक) छह

वकील (2010 में दो, 2011 में एक, 2012 में एक, 2013 में एक, 2015 में एक) छह

रईस ( 2011 में एक, 2012 में दो, 2015 में एक, 2017 में एक, 2019 में एक, 2020 में एक) सात

सुरेश (2014 में एक, 2015 में एक, 2016 में दो, 2019 में एक, 2020 में एक) छह

वन्यजीवन अधियनिमय 1972 की धारा 27 के तहत सूर सरोवर में प्रवेश वर्जित है। सरकारी संपत्ति के लिए धारा धारा 39 लगाई जाती है। धारा 50 में गिरफ्तार की जाती है और धारा 51 में तीन से सात साल की सजा है व 25000 रुपये का जुर्माने का प्राविधान है। अधिनियम काफी मजबूत है। शिकारी बार-बार छूटने का कारण वन अधिकारियों की कमी है। मामले के पैरोकार तथ्यों को छुपाकर विभाग का पक्ष रखते हैं। इसलिए आरोपित को जमानत मिल जाती है। प्रथम बार लोक अदालत में पैरोकार विभागीय वकील के अलावा दूसरे वकील मुकदमे सौंप देते हैं।

कोमल सिहं वर्मा, अधिवक्ता, वन्यजीव व वन भूमि

संबंधित मामले

वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से पक्षी, मछली और वन्यजीवों का शिकार होता है। कीठम व्यवस्थाएं लचर हैं। वन विभाग शिकारियों को नहीं रोक पा रहा है। पुलिस और प्रशासन की मदद ली जा सकती हैं। शिकार कराने में वनकर्मियों की मिलीभग होती है। इसलिए शिकारियों के हौसले बुलंद होते हैं।

भारत सिंह, अधिवक्ता, सचिव, ग्रेटर आगरा बार एसोसिशन

सभी आरोपितों की सूची तैयार करके प्रशासन को सौंपी जाएगी। जिन पर ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। उनको वन माफिया घोषित किया जाएगा। जिससे सख्त कार्रवाई हो सके।

दिवाकर श्रीवास्तव, चीफ वार्डन, वाइल्डलाइफ


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