यमुना नदी में गंदगी और घाटों की दुर्दशा पर साधु-संत चिंतित
बटेश्वर में यमुना नदी में साधु-संतों ने किया स्नान सप्तकोसी परिक्रमा भी लगाई
जेएनएन, आगरा। कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी पर बुधवार को साधु-संतों ने बटेश्वर में यमुना नदी में पहला स्नान किया। गाजे-बाजे के साथ नागा व साधु-संतों ने सप्तकोसी परिक्रमा की। उन्होंने यमुना में फैली गंदगी और घाटों की दुर्दशा पर चिता जता इसके जीर्णोद्धार की मांग की।
कोरोना संक्रमण के कारण इस बार बटेश्वर मेले का आयोजन नहीं हो रहा। इस कारण साधु-संतों के अखाड़े भी नहीं सज सके। हालांकि प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते हुए एकादशी पर्व पर साधु-संतों ने निर्वाण अखाड़ा के महामंडलेश्वर बाबा बालक दास के नेतृत्व में पहला स्नान किया। यहां साधु-संत तीन स्नान करेंगे। इससे पूर्व सुबह तीर्थ बटेश्वर की सप्तकोसी परिक्रमा की गई। महामंडलेश्वर बाबा बालक दास ने यमुना में फैली गंदगी पर नाराजगी जताई। परिक्रमा मार्ग की सफाई न होने पर जिला पंचायत की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। स्नान के दौरान खड़ेश्वरी महाराज, पागलदास, चरनदास, सियाराम दास, साधू बाबा, भोले गिरि सहित 30 से अधिक साधु-संत शामिल रहे। मंदिर में दर्शन न होने पर भड़के
पहले स्नान के दौरान परिक्रमा व यमुना नदी में स्नान के बाद बृह्मालाल जी मंदिर के पट नहीं खुलने के कारण साधु-संत पूजा अर्चना व दर्शन नहीं कर सके। बालकदास जी महाराज ने सरकार व मंदिर के व्यवस्थापकों पर रोष जताया। कार्तिक पूर्णिमा पर होगा दूसरा स्नान
महामंडलेश्वर बाबा बालकदास जी महाराज ने बताया सरकार को संतों की व्यवस्था करनी चाहिए थी। वे पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए दूसरा स्नान कार्तिक पूर्णिमा व तीसरा व अंतिम स्नान दौज तिथि को करेंगे। श्रद्धालुओं ने भी लगाई परिक्रमा
एकादशी को लगने वाली तीर्थ बटेश्वर की परिक्रमा में आसपास व दूरदराज के श्रद्धालुओं ने भी यमुना नदी का आचमन कर परिक्रमा लगाई। परिक्रमा यमुना के घाट से शुरू होकर शौरीपुर मार्ग, वनखंडेश्वर मंदिर, मनमथ होती हुई मुख्य मंदिर पर पहुंचकर समाप्त हुई।