छोड़ी फसल की बुवाई, सड़क पर हक की लड़ाई
तमाम किसान घर छोड़ खुले आसमान के नीचे गुजार रहे रात
आगरा, जागरण संवाददाता। न भूख और न सर्द हवाओं की चिता। खुला आसमान, बुलंद इरादे। कोई अपनी फसल की बुवाई छोड़कर आया है तो कोई घर का कामकाज छोड़कर। इनका कहना है कि कल को सुरक्षित रखने के लिए वह अपने आज को दांव पर लगा रहे हैं। सरकार को उनकी आवाज सुननी चाहिए। नये कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए।
मध्य प्रदेश के किसान इन दिनों गेहूं की फसल की बुवाई कर रहे हैं। मगर, तमाम किसान बुवाई छोड़ नये कृषि विधेयक के विरोध में समाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के साथ अपनी आवाज बुलंद करने निकल पड़े हैं। बडवानी जिले के रहने वाले पवन यादव का कहना है कि वह अपने जत्थे के साथ 23 नवंबर को अपने घर से निकला है। एक रात गुना में गुजारने के बाद वह लगातार आगे बढ़ रहे थे लेकिन बुधवार रात उन्हें सैंया बार्डर पर रोक दिया। उसका कहना है कि फसल तो मैं लौटकर भी कर लूंगा लेकिन पहले इस नये कृषि कानून के खिलाफ ताई (मेधा पाटकर) का साथ देना है। ऐसा ही कुछ कहना है 60 वर्षीय श्यामा का। वह भी इस जत्थे में शामिल होकर कृषि सुधार के लिए नये कानून को वापस लेने की मांग पर अड़ी हैं। उनका कहना है कि जब तक इस देश का किसान सुखी नहीं रहेगा, तब तक किसी भी प्रकार के सुधार के कोई मायने नहीं है। पंकज यादव और श्यामा जैसे इस जत्थे में तमाम किसान शामिल हैं। उनका कहना है कि जब तक मेधा पाटकर निर्देश नहीं देंगी, वह धरने से नहीं हटेंगे।