डीएपी की किल्लत झेल रहे किसान, बोवाई को परेशान
सहकारी समितियों में डीएपी नहीं उपलब्ध बाजार में जमकर हो रही कालाबाजारी
आगरा, जागरण संवाददाता। सहकारी समितियों पर डीएपी की उपलब्धता नहीं है। सप्ताहभर से किसान बैरंग हो रहे हैं, जबकि कुछ समितियों पर तो 15 दिन से डीएपी की उपलब्धता नहीं है। वहीं, निजी विक्रेता जमकर कालाबाजारी कर रहे हैं। पकड़ में नहीं आने के लिए पहचान के किसानों के माध्यम से ही डीएपी बेच रहे हैं। उनसे भी 400 से 500 रुपये प्रति पैकेट तक अधिक वसूले जा रहे हैं। वहीं, अनजान किसानों को बैरंग कर दिया जाता है। इससे आलू, सरसों की बोवाई में देरी हो रही है।
सितंबर से जिले में डीएपी की किल्लत बनी हुई है, जबकि अब सहकारी समितियों पर पूरी तरह उपलब्धता समाप्त हो गई है। जिले की 105 समितियों के किसान चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनका समय ही बर्बाद हो रहा है। इस कारण सरसों, आलू की बोवाई के लिए संकट खड़ा हो गया है। सरसों की बोवाई का तो समय निकला जा रहा है, जबकि आलू की बोवाई शुरू होने में देरी हो रही है। समितियों के लिए जिले में कुल उपलब्धता 1350 मीट्रिक टन डीएपी को दो अक्टूबर को भेजा जा चुका है, जिसका वितरण भी हो गया है। इसके बाद कोई नई रैक जिले को उपलब्ध नहीं हुई है। वहीं, निजी विक्रेता कालाबाजारी करने में जुटे हैं। किरावली के किसान हरीओम ने बताया कि सप्ताहभर से समिति के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन डीएपी की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। इससे बोवाई प्रभावित हो रही है। बिचपुरी के किसान आनंद ने बताया कि डीएपी समिति पर नहीं मिल पा रही है, जबकि बाजार में मनमाने दाम लिए जा रहे हैं। विक्रेता 1600 से 1700 रुपये का पैकेट दे रहे हैं, जबकि कीमत 1200 रुपये है। एआर कापरेटिव राजीव लोचन ने बताया कि रैक की उपलब्धता नहीं होने के कारण डीएपी में मुश्किल हो रही है।