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फिर जागी उम्‍मीद, खत्‍म हो सकता है इस क्षेत्र का पांच दशकों का इंतजार Agra News

बाह जिला बटेश्वर तहसील बनने की फिर जागी उम्मीद तहसील प्रशासन से मांगा प्रस्ताव।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 03:52 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 03:52 PM (IST)
फिर जागी उम्‍मीद, खत्‍म हो सकता है इस क्षेत्र का पांच दशकों का इंतजार Agra News
फिर जागी उम्‍मीद, खत्‍म हो सकता है इस क्षेत्र का पांच दशकों का इंतजार Agra News

आगरा, जेएनएन। लंबे समय से चली आ रही बाह के जिला बनने की उम्मीद अभी कायम है। एडीएम प्रशासन निधि श्रीवास्तव ने एसडीएम अवधेश कुमार श्रीवास्तव को पत्र लिख तीन दिन में प्रस्ताव तैयार कर मांगा है। इसमें बाह को जिला और बटेश्वर को तहसील बनाने की बात कही गई है। प्रशासन का यह प्रस्ताव मंजूर होने से पांच दशक से चली आ रही बाह के लोगों की मांग पूरी हो सकेगी।

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चंबल और यमुना नदी के बीच बसी बाह तहसील को जिला बनाने की मांग यूं ही नहीं उठी। यहां की भौगोलिक स्थिति ने ऐसा करने पर मजबूर किया है। आगरा से बाह मुख्यालय की दूरी 75 किमी और तहसील की सीमा करीब 100 किमी है। ऐसे में अपनी फरियाद लेकर आगरा जाने में ग्रामीण बेहाल हो जाते हैं। पहली बार बाह को जिला बनाने का सुझाव 1952 में रखा गया। तबसूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत थे। हालांकि 1976 में शासन से बाह को जिला बनाने का प्रस्ताव मांगा गया था। प्रशासन ने प्रस्ताव भेजा भी लेकिन यह ठंडे बस्ते मेें चला गया। इसके बाद कई बार ऐसी कोशिश हुई लेकिन परवान न चढ़ सकी। बीते साल फिर शासन ने प्रस्ताव मांगा तो बाह को जिला और बटेश्वर को तहसील का प्रस्ताव तैयार हुआ। लोगों को आस थी कि नौ जनवरी 2019 को प्रधानमंत्री के आगरा आगमन पर यह घोषणा होगी लेकिन प्रधानमंत्री इस विषय पर कुछ बोले तक नहीं। अब एडीएम प्रशासन के पत्र से लोगों की उम्मीद बंधी है।

ऐसे शुरू हुआ बाह को जिला बनाने मांग का सफर

- 1952 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने बाह की भौगोलिक व दस्यु प्रभावित स्थिति के आधार पर कहा था कि बाह को जिला बनाया जाना चाहिए।

- 1976 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने आर्यन आयोग का गठन किया जिसमें बाह, ललितपुर, भदोही, गाजियाबाद को जिला बनाने की संस्तुति हुई। बाह को छोड़ बाकी सब जिला बन गए।

ये हुए आंदोलन

- 16 मई 2017 से दहेज निवारण एवं समाज कल्याण परिषद के तत्वावधान में बाह में करीब 110 दिन तक धरना चला था।

- 15 अगस्त 2018 को बटेश्वर से लखनऊ तक साइकिल यात्रा निकाली गई थी।

ऐसे चली सरकारी कार्यवाही

- चार मई 2016 -प्रधानमंत्री कार्यालय से बाह को जिला बनाने की बावत जानकारी ली गई।

- एक अक्टूबर 2018 -शासन के उप सचिव ने आयुक्त राजस्व परिषद को पत्र लिखा।

- 16 अक्टूबर 2018 -को आयुक्त राजस्व परिषद ने प्रशासन से आख्या मांगी।

- 11दिसम्बर 2018 -एडीएम प्रशासन ने एसडीएम बाह को पत्र लिख आख्या मांगी ।

नए जिले का ये बना था प्रस्ताव

क्षेत्रफल --876.47 वर्ग किमी

जनसंख्या --4.62 लाख

ब्लॉक --पिनाहट, बाह, जैतपुर

तहसील --बाह, बटेश्वर, पिनाहट और फतेहाबाद

ये भी था प्रस्ताव में

तहसील फतेहाबाद के ब्लॉक क्षेत्र को शामिल करने पर बाह जिले में तहसीलों की संख्या चार बाह, बटेश्वर, पिनाहट और फतेहाबाद होंगी। जनसंख्या बढ़कर 7.50 लाख, क्षेत्रफल 1250 वर्ग किमी। जबकि पूर्व में जिला बन चुके संत रविदास नगर का क्षेत्रफल 950 वर्ग किमी, श्रावस्ती का 1126 और शामली का 1054 वर्ग किमी है। जो इन जिलों की तुलना में काफी अधिक है।

नया जिला बना तो ये होगे पर्यटन स्थल

नया जिला बनने पर बटेश्वर, शौरीपुर, चंबल सेंचुरी के अलावा कमतरी, कछपुरा, होलीपुरा पर्यटकों को आकर्षित करेंगी।

ये होगा फायदा

जिला मुख्यालय से बाह काफी दूर होने के कारण तहसील में अधिकारी अपेक्षाकृत कम आ पाते हैं। जिला बनने पर अधिकारी यही रहेंगे। फरियादियों का समय बचेगा और उनका खर्च भी कम होगा। बाह को जिला बनाने से क्षेत्र का विकास होगा, आवागमन के साधन भी सुलभ होंगे।

तीन दिन के भीतर मांगी गई आख्‍या

एडीएम प्रशासन का पत्र मिल गया है। उन्होंने तीन दिन के भीतर आख्या मांगी है। तहसीलदार हेमचंद शर्मा से इस बारे में आख्या रिपोर्ट तलब की जा रही है।

- अवधेश कुमार श्रीवास्तव, एसडीएम बाह

 


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