अच्छा तो ये है वजह पुलिसकर्मियों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने की, आप भी जानें Agra News
काम का अत्यधिक दबाव ड्यूटी सिस्टम सही नहीं होने से बढ़ रही टेंशन। हाई ब्लड प्रेशर के कारण पुलिसकर्मियों के व्यवहार में चिड़चिड़ापन।
केस एक: कागारौल थाने में तैनात मुंशी जितेंद्र सिंह ने एक महीने पहले खुदकशी कर ली। उनका शव थाने के सामने किराए के कमरे में फंदे पर लटका मिला। वह करीब एक साल से तनाव में चल रहे थे। उन्होंने स्थानांतरण के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया था।
केस दो: ताजगंज और शाहगंज थाने में तैनात रहीं इंस्पेक्टर ममता पंवार को दो सप्ताह पहले ब्रेन हैमरेज हो गया। वह प्रयागराज में महिला थाना प्रभारी थीं। अस्पताल में कई दिन तक मौत से जूझने के बाद वह जिंदगी की जंग हार गईं। उनके ब्रेन हैम्ब्रेज का कारण तनाव बताया गया।
आगरा, जागरण संवाददाता। पिछले दिनों गाजियाबाद और बिजनौर में पुलिसकर्मियों द्वारा भी खुदकशी की घटनाएं सामने आईं। पुलिसकर्मियों में काम के अत्यधिक तनाव उनको अवसाद में ढकेल रहा है। लगातार तनाव के कारण उनका मिजाज बिगड़ रहा है। यही वजह है कि डिप्रेशन की स्थिति में वह खुदकशी जैसा आत्मघाती कदम भी उठा रहे हैं। तनाव के शिकार पुलिसकर्मियों ने मुख्यमंत्री के पोर्टल पर भी शिकायत की हैं।
ये हैं तनाव के प्रमुख कारण
- पुलिसकर्मियों का ड्यूटी सिस्टम सही नहीं होना। सुबह से आधी रात तक दौड़भाग रहती है।
- सुबह दस बजे से दो बजे तक बैंक चेकिंग, शाम को वाहन चेकिंग में कई बार विवाद हो जाता है।
- उप निरीक्षक स्तर पर विवेचनाओं को खत्म करने का दबाव रहता है।
- पत्नी और बच्चों के साथ परिवार एवं रिश्तेदारों के यहां मुख्य कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाने पर कई बार घर में विवाद होता है।
- अपने ही बच्चों से कई-कई दिन संवाद नहीं हो पाना। देर रात घर लौटते हैं तो बच्चे सो चुके हैं। सुबह देर से उठने पर बच्चे स्कूल जा चुके होते हैं।
- खाने का समय निर्धारित नहीं है। रोबोट की तरह काम करने की मजबूरी।
- छुट्टियों का रोटेशन सही नहीं होना। घर में जरूरत होने पर भी पर्याप्त छुट्टी नहीं मिलना।
- अधिकारियों का पुलिसकर्मियों के साथ संवाद कम होना।
- पुलिसकर्मियों के बीच काम का बंटवारा उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार नहीं होना।
पुलिस का त्योहार कौन सा है
अधिकांश पुलिसकर्मियों का यही सवाल है कि पुलिस का त्योहार कौन सा है। होली, दशहरा, दीवाली, ईद, बकरीद समेत अन्य प्रमुख त्योहारों पर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी रहती है। जबकि अन्य पेशे के लोग परिवार के साथ इन त्योहारों को मनाते हैं।
पुलिसकर्मियों की होगी जांच
डीजीपी ने पिछले दिनों सभी जिलों को पुलिसकर्मियों की मनोवैज्ञानिक स्थिति की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने जोनल स्तर पर मनोवैज्ञानिकों की मदद से पुलिसकर्मियों का मानसिक तनाव खत्म करने की कवायद शुरू की है। इसमें अब मनोवैज्ञानिक पुलिसकर्मियों की मानसिक स्थिति और मेंटल लेवल स्ट्रेस चेक करेंगे।
जोन स्तर पर बनेगा मनोवैज्ञानिक पूल
डीजीपी ने जोनल स्तर पर मनोवैज्ञानिक पूल बनाने के निर्देश दिए हैं। यहां पुलिसकर्मियों के मानसिक अवसाद और तनाव से निपटने के लिए विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों से मनोवैज्ञानिकों की मदद ली जाएगी। हर महीने पुलिसकर्मी का जांच शिविर में निजी एवं व्यावसायिक हालात की जांच करके रिपोर्ट तैयार की जाएगी। मेंटल स्ट्रेस की यह रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपी जाएगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सेवानिवृत्त आइपीएस विजेंद्र शर्मा इसके कई कारण मानते हैं। इससे निपटने के सुझाव भी देते हैं
- पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के तरीके में बदलाव होना चाहिए।
- उनके रहने-खाने और ड्यूटी सिस्टम में सुधार किया जाए।
- तबादले और तैनाती में पारदर्शिता की जरूरत।
ऐसे हो सकता है व्यवहार में सुधार
शहर के प्रमुख मनोचिकित्सक यूसी गर्ग इसके तीन प्रमुख कारण मानते हैं। इससे निपटने के सुझाव भी देते हैं
- ड्यूटी का सिस्टम सही नहीं है, क्षमता से अधिक काम लिया जाता है। पुलिसकर्मियों की काउंसिलिंग करनी चाहिए कि ड्यूटी के दौरान कैसे तनाव मुक्त रहें। ताकि सामने वाली की समस्या को सुन सकें।
- पुलिसिया रवैया भी उनके तनाव का प्रमुख कारण है। इसमें सुधार को मैनेजमेंट का तरीका सिखाना होगा। इससे कि वह बदमाश और पीडि़त में फर्क करके अपने व्यवहार और बातचीत में बदलाव लाए।
- अधिकारियों का पुलिसकर्मियों के प्रति व्यवहार बेहतर नहीं होना। अधिकारियों को नीचे वालों के साथ बेहतर संवाद रखना चाहिए।