बाल भिक्षुकों की आवाज बना ये इंजीनियर
आगरा: बाल भिक्षावृति रोकने के लिए दिल्ली का युवा मैकेनिकल इंजीनियर 17 हजार किमी की पदयात्रा पर निकला। ब्रज चौरासी कोस के परिक्रमार्थियों को हर रहा फिलहाल जागरुक। नौकरी छोड़ शुरू किया अभियान।
आगरा(जागरण संवाददाता): सड़कों पर भीख मांगता बचपन। हर कोई हर रोज ही देखता होगा। पैसे देकर पुण्य कमाने की सोच तो कहीं नसीहत का पाठ पढ़ाने की कोशिश। बहुतेरे तो बच्चों की हालत के लिए सरकारी अमले को कोसते होंगे लेकिन इस बच्चों की दशा को क्या दिशा देकर सुधारा जाए यह सोच रखने वाले बिरले ही होते हैं। जमीनी हकीकत तो यह है कि लगभग हर प्रदेश में भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए सरकारी स्तर पर विभाग हैं और योजनाएं भी हैं। इतना ही नहीं ज्यादातर शहरों में भिक्षुक गृह भी बने हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर खाली ही हैं। ऐसे में दिल्ली के युवा इंजीनियर आशीष शर्मा ने बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए एक अनोखे अभियान की शुरुआत की है। पूरे देश में 17 हजार किलोमीटर पदयात्रा पर निकले आशीष इन दिनों बृज चौरासी कोस परिक्रमा में लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
मैकेनिकल इंजीनियर आशीष ने अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए जॉब छोड़ दी और 22 अगस्त 2017 से इस लक्ष्य के लिए पदयात्रा पर निकल पड़े। अशीष अब तक पहले चरण मे 4319 किलोमीटर से ज्यादा पद यात्रा कर चुके हैं। दुआएं फाउंडेशन के तहत 17 हजार किमी की पदयात्रा को आशीष ने उनमुक्त भारत का नाम दिया है। इस अभियान के तहत देश के 29 राज्यों व सात केंद्र शासित राज्यों के 4900 गावों में बाल भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए जागरूक किया जाएगा। उनका कहना है कि लोगों को यह बताना चाहता हूं कि भीख मागते बच्चों को गाली न दें और शोषण करने के बजाय उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने में मदद करें।