CoronaVirus: राजकीय शिशु गृह में बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए कर्मचारियों ने खुद को किया कैद
CoronaVirus शिशु गृह में कर्मचारियों की लगाई 15-15 की दिन की ड्यूटी। कोविड टेस्ट कराने के बाद ही दूसरी शिफ्ट के कर्मचारियों को मिलता है प्रवेश। कोरोना वायरस संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए पिछली बार भी यही तरीका अपनाया गया था।
आगरा, जागरण संवाददाता। राजकीय शिशु गृह में रहने वाले करीब चार दर्जन से बच्चों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने के लिए वहां के कर्मचारियों ने खुद को एक तरह से कैद कर लिया है। कर्मचारियों ने यह कदम बच्चों को महामारी से सुरक्षित रखने के लिए उठाया है।
इससे कि वह खुद को संक्रमित होने बचाने के लिए वहां रहने वाले बच्चों को भी इससे दूर रख सकें।
राजकीय शिशु एवं बाल गृह में चार दर्जन से ज्यादा बच्चे हैं।इन बच्चों कुछ महीने के अबोध से लेकर नौ साल तक के बच्चे हैं। बच्चों को शिशु गृह परिसर से बाहर निकालने की इजाजत नहीं है। उनका ध्यान रखने के लिए वहां पर आया समेत 30 लोगों का स्टाफ है। बच्चों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाने के लिए कर्मचारियों ने रोस्टर प्रणाली बनाई है। इसके तहत कर्मचारियों ने तय किया कि वह 15-15 दिन का रोस्टर बनाएंगे। इसमे 15 कर्मचारी 15 दिन तक बच्चों के साथ अंदर रहेंगे। वह किसी बाहरी व्यक्ति से संपर्क नही ंकरेंगे। वह परिसर से बाहर नहीं निकलेंगे। जबकि बाकी के 15 कर्मचारी बाहर रहकर बच्चों के खाने से लेकर पकाने तक का सारा सामान लेकर आएंगे।
इन कर्मचारियों की जगह रोस्टर के तहत आने वाले 15 कर्मचारियों का कोविड टेस्ट कराया जाएगा। उनकी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद वह बच्चों के पास जा सकेंगे। कोरोना वायरस संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए पिछली बार भी यही तरीका अपनाया गया था। जो कारगर साबित हुआ था।
कोरोना वायरस संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी के रोस्टर के तहत लगाई है। इससे कि वह रहने वाले बच्चों को महामारी से सुरक्षित रखा जा सके। इसके तहत वहां रहने वाले कर्मचारियों को भी कोविड टेस्ट के बाद एंट्री दी जाती है।
विकास कुमार अधीक्षक राजकीय शिशु एवं बाल गृह