आजादी का जश्न, नोएडा में मांगती थी भीख, हथिनी चंचल ने इस तरह किया अपना 'इंडिपेंडेंस डे' सेलिब्रेट, देखें तस्वीरें
आगरा मथुरा रोड पर बने देश के पहले हाथी अस्पताल एवं हाथी संरक्षण केंद्र में किया गया हथिनी चंचल के लिए आयोजन। आजादी की दसवीं वर्षगांठ पर सहेलियों के साथ चंचल ने की पार्टी। वहीं भदोही से मुक्त 39 साल की हथिनी की हालत में भी हो रहा है सुधार।
आगरा, जागरण संवाददाता। सड़क दुर्घटना में घायल हुई चंचल को वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में 10 साल पूरे हो गए। इस खुशी में चंचल ने अपनी सहेलियों के साथ पार्टी की। बता दें कि 2021 में नोएडा के पास हाइवे पर भीख मांगने वाली हथिनी को हाथी अस्पताल में लाया गया था। उसकी स्थिति इतनी गंभीर थी कि वह ठीक से स्वयं का वज़न भी नहीं उठा पा रही थी, इस दुर्घटना ने उसके बाएं पैर के जोड़ को स्थायी रूप से अलग कर दिया था। अस्पताल में मिले उपचार और देखभाल के बाद चंचल के स्वास्थ्य में सुधार है।
संरक्षण केंद्र पर चंचल को बिजली और लक्ष्मी दोस्त के रूप में मिली। जिनके साथ वो लंबी सैर पर जाती है। पौष्टिक खाने का आनंद लेती है। पानी में अठखेलियों का भी शौक है, वह घंटों तक अपने पूल से बाहर ही नहीं आती एवं नदी में भी डुबकी लगाने का भरपूर आनंद उठाती है। केंद्र पर 10 साल पूरे होने की खुशी में उसके लिए कर्मचारियों ने चारे का उपयोग करके '10' संख्या के आकार में एक खाने योग्य संरचना तैयार किया। टीम ने विभिन्न तरह के कटे हुए फलों और सब्जियों के साथ एक जंबो फीस्ट भी तैयार किया। यमुना नदी में अपनी सहेलियों के साथ नहाने के बाद चंचल ने बिजली और लक्ष्मी के साथ ताज़ा रसीले फल और सब्जियों के फीस्ट का आनंद उठाया।
लक्ष्मी के वजन को रखा जा रहा नियंत्रित, रोजी की कराई जा रही दोस्ती
भारत की सबसे कमजोर हथिनी कही जाने वाली लक्ष्मी के स्वास्थ्य में पिछले पांच महीने में काफी सुधार आया है। उसकी उसके महावत से दोस्ती हो चुकी है। हालांकि अभी भी चिकित्सक उसके वजन को कंट्रोल में रखने के लिए उसकी डाइट पर खासा ध्यान दे रहे हैं। अब हाथी अस्पताल में पहुंची रोजी का इलाज भी शुरू होगा। इस समय रोजी को आजाद माहौल में ढालने की कोशिशें की जा रही हैं।
छतरपुर से मथुरा पहुंची थी लक्ष्मी
इस साल जनवरी में मध्यप्रदेश के छतरपुर से मथुरा में वन्यजीव एसओएस के हाथी अस्पताल, संरक्षण एवं देखभाल केंद्र में पहुंची लक्ष्मी की हालत काफी गंभीर थी। उसे गंभीर लंगड़ापन, गठिया और अपक्षयी संयुक्त रोग था। लक्ष्मी के घुटने भी मुड़े हुए थे और उसकी रीढ़ की हड्डी भी दिख रही थी। एक हथिनी का वजन अधिकतम चार हजार किलो तक होता है, लेकिन लक्ष्मी का वजन काफी कम था। लक्ष्मी के कूल्हे पर फोड़े, कानों पर अंकुश के कारण घाव थे।
बुरी तरह थी जख्मी
हाथी अस्पताल में उसकी थर्मल इमेजिंग, अल्ट्रासाउंड,डिजिटल वायरलेस रेडियोलाजी व एक्सरे किया गया। जिसमें पता चला है कि उसके पीछे के पैरों के जोड़ों में काफी ज्यादा दिक्कत है। फुट पैड भी फटे हुए थे। नाखून बढ़े हुए थे। रीढ़ की हड्डी में भी फ्रैक्चर था। उसके दर्द को कम करने के लिए लेजर थेरेपी दी गई। उसे खाने में प्रोटीन और मिनरल्स दिए जा रहे हैं, जिससे कुपोषण कम हो। वर्तमान में उसका वजन तीन हजार किलो है। लक्ष्मी के वजन को इतना रखने के लिए ही उसकी डाइट की लगातार निगरानी की जा रही है। उसके चारों पैर टेढ़े हो चुके हैं, एेसे में वजन बढ़ने से उसके पैरों पर दबाव बढ़ेगा। घाव काफी ठीक हो गए हैं।
ये है डाइट
पूरे दिन में 110 किलो खाना दिया जाता है जिसमें हरा चारा, फल, दलिया दिया जाता है। लक्ष्मी को टार्गेट ट्रेनिंग दी जा रही है। क मांड पूरी करने पर उसे ट्रीट के रूप में भुने चने और खजूर दिया जाता है। दवाएं और एंटी फंगल स्प्रे भी लगातार दिया जा रहा है।
रोजी को दिया जा रहा समय
भदोही वन विभाग द्वारा राज्य की सीमा पर अवैध रूप से ले जाई जा रही 39 वर्षीय भीख मांगने वाली हथिनी रोज़ी को रेस्क्यू कर हाथी अस्पताल भेजा जा चुका है। रोजी के शरीर पर भारी, दर्दनाक नुकीली जंजीरें थीं। उसके पैरों के तलवे और नाखून कटी -फटी हालत में है। उसके शरीर पर कई दर्दनाक फोड़े और चोटें भी हैं। वाइल्ड लाइफ एसओएस के पशु चिकित्सा सेवाओं के उप-निदेशक, डा. इलियाराजा ने बताया कि रोजी को लेजर थेरेपी, डिजिटल वायरलेस रेडियोलाजी और थर्मल इमेजिंग जैसी विशेष चिकित्सा सुविधाएं दी जाएंगी। उसे आजादी के माहौल में धीरे-धीरे ढाला जा रहा है। महावत से दोस्ती कराई जा रही है। उसके बाद स्वास्थ्य परीक्षण होगा।