Eid al Adha 2020: कुर्बानी पर कोरोना का असर, हाट लगने का इंतजार
Eid al Adha 2020 जिले में सात जगह लगती है बकरों की मंडी। जिले में एक लाख से अधिक बकरों की कुर्बानी होती है।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना काल का असर मुस्लिमों के इस त्योहार पर भी पड़ने लगा। मुस्लिमों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कहीं ईद-उल-जुल्हा की तरह ही ईद-उल-अजहा न निकल जाए। वह कुर्बानी के बकरों की खरीद को लेकर बैचेन हैं। आगरा में लगभग सात जगह बकरों की हॉट लगती है। इनमें तकरीबन एक लाख बकरों की खरीद फरोख्त का काम होता है। जो मुस्लिम लोग घरों में बकरे पालते हैं। ईद-उल-अजहा पर इनकी कुर्बानी करते हैं। कुर्बानी के लिए बकरा हींग की मंडी, तोरा चौकी, शमसाबाद, ईदगाह, आंवलखेड़ा, फतेहपुर सीकरी की हॉट से खरीदे जाते हैं, लेकिन इस बार संक्रमण के प्रसार की वजह से हाट लगने की संभावना कम नजर आ रही है। इसलिए मुस्लिम समुदाय बैचेन है। तीन के इस त्योहार को लेकर समुदाय में संशय की स्थिति बनी हुई है।
इनका कहना है..
नाई की मंडी निवासी पचकुइयां कब्रिस्तान कमेटी के सचिव जहुरीद्दीन बाबर ने बताया कि प्रशासन बैठक करके हाट की स्थिति स्पष्ट करे। उसके बाद लोग कुर्बानी के लिए बकरे व भैंस खरीदेंगे। हिंदुस्तानी बिरादरी के अध्यक्ष डॉ. सिराज कुरैशी के अनुसार इस बार लॉकडाउन का असर कुर्बानी पर भी रहेगा। जिले में 60 फीसद मुस्लिम कुर्बानी करते थे। अब लोगों को पास रोजगार की कमी है। इस कारण कुर्बानी करने के लिए बजट गड़बड़ है। कम लोग कुर्बानी करेंगे।
कुर्बानी से मिलता रोजगार
कुर्बानी करने वाले लोग बकरा या भैंस की खाल को मदरसे में देते हैं। जिसे बाद में बेच दिया जाता है। यह खाल पांच सौ से लेकर सात सौ तक भैंस और बकरे की ढेड़ सौ रुपये में बिकती है। इस कारण दिन तक कई लोगों को रोजगार उपलब्ध होता है।
एक नजर
- जिले में एक लाख से अधिक बकरों की कुर्बानी
होती है।
- 15 दिन पहले खरीद शुरू हो जाती है।
- एक-एक लाख तक के बकरे बिक जाते हैं।
- तीन दिन तक कुर्बानी होती है।