कोविड काल में बदली शिक्षक नौकरी की शैक्षिक अहर्ताएं, टेक्नोफ्रेंडली होना अनिवार्य
कोरोना संक्रमण काल ने लोगों की जीवन-शौली तौर-तरीकों आदि को बदला तो इसका असर अन्य बातों पर भी पड़ता दिख रहा है। नए समय में बदला काम करने और कराने का तौर-तरीका। समय की मांग के अनुरूप तकनीकी रूप से मजबूत लोगों की मांग।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद हैं, तो पढ़ाई आनलाइन माध्यमों से कराई जा रही है। यह स्थिति कब तक चलेगी, कोई नहीं जानता। ऐसे में निजी स्कूलों ने अपने यहां शिक्षकों की तैनाती में एक अहर्ता और जोड़ दी है। शिक्षक की नियुक्ति में अब टेक्नोलाजी फ्रेंडली होना भी अब अनिवार्य हो गया है।
कोरोना संक्रमण काल ने लोगों की जीवन-शौली, तौर-तरीकों आदि को बदला, तो इसका असर अन्य बातों पर भी पड़ता दिख रहा है। स्कूल बंद हुए, तो सवा साल से पढ़ाई-लिखाई सिर्फ आनलाइन माध्यमों से चल रही है। लिहाजा बदलाव का यह असर निजी स्कूलों में होने वाली शिक्षक भर्ती में भी दिखने लगा है और शिक्षकों की अनिवार्य न्यूनतम योग्यता बदल गई है। अब निजी स्कूलों में प्रशिक्षण व शैक्षिक योग्यता के साथ टेक्नोलाजी फ्रेंडली शिक्षकों को प्राथमिकता देने के साथ पसंद किया जा रहा है, ताकि वह डिजिटल प्लेटफार्म पर आसानी से आनलाइन शिक्षण व्यवस्था संभाल सकें। निजी स्कूलों ने शिक्षक भर्ती में इस नई व्यवस्था को लागू कर दिया गया है। स्कूल संचालकों का यह मानना है कि यह सिर्फ कुछ समय के लिए ही नहीं है, अब आनलाइन शिक्षा भविष्य का विकल्प बन गई है। इसलिए यह और सुदृढ़ होगी।
वर्चुअल टीचिंग आना जरूरी
नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल आफ आगरा (नप्सा) अध्यक्ष संजय तोमर का कहना है कि सवा साल से पढ़ाई सिर्फ आनलाइन चल रही है। लिहाजा अब शिक्षकों का टेक्नोलाजी फ्रेंडली होना सबसे जरूरी है। इसलिए ही शिक्षक भर्ती विज्ञापन में भी बाकायदा आनलाइन क्लास लेने में सहज अभ्यर्थियों के आवेदनों को वरियता दी जा रही।
रागेंद्र स्वरूप पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य गुरलीन कौर का कहना है कि शिक्षक भर्ती के लिए अब कंप्यूटर का आधारभूत ज्ञान (ट्रिपलसी), टेक्नोलाजी फ्रेंडली व आनलाइन क्लास लेने में सहज अभ्यर्थियों को ही वरियता दी जा रही है। यह अब अनिवार्य शर्त बन गई है।
दी जा रही है ट्रेनिंग
जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल के शिक्षक पुनीत वशिष्ठ का कहना है कि लाकडाउन के बाद से ही तकनीकी रूप से सक्षम शिक्षकों की मांग बढ़ी है क्योंकि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती आनलाइन विद्यार्थियों को पढ़ाना और कक्षा में अनुशासन में बांधकर रखना भी है। यह तभी संभव है, जब शिक्षक टेक्नोफ्रेंडली होंगे। इसलिए शिक्षकों को नियुक्त के बाद स्पेशल ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकी वह विषय और भाषा पर पकड़ बनाने के साथ अनुशासन भी बना सकें।