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Soor Sarovar Bird Century: ई-रिक्शा वाले बनेंगे गाइड, पर्यटकों को बताएंगे परिंदों की खूबी

Soor Sarovar Bird Century सूर सरोवर पक्षी विहार का प्रस्ताव मंजूर होने के बाद दौडे़गी विकास की साइकिल। मुख्य द्वार के पास बनाई जा सकती है कैंटीन। कीठम स्थित सूर सरोवर पक्षी विहार में मुख्य द्वार से झील तक गोल्फकार्ट ई-रिक्शा व साइकिल चलाने का प्रस्ताव भेजा ही है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 04:58 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 04:58 PM (IST)
Soor Sarovar Bird Century: ई-रिक्शा वाले बनेंगे गाइड, पर्यटकों को बताएंगे परिंदों की खूबी
सूर सरोवर पक्षी विहार का प्रस्ताव मंजूर होने के बाद दौडे़गी विकास की साइकिल।

आगरा, जागरण संवाददाता। शासन को भेजा गया प्रस्ताव मंजूर होता है, तो सूर सरोवर पक्षी विहार में विकास की साइकिल खूब दौड़ेगी। ई-रिक्शा वाले गाइड बनेंगे। जो पर्यटकों को परिंदों की खूबी बताएंगे। जिससे पर्यटकों के अंदर पक्षियों के प्रति प्रेम जागृत हो सके।

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कीठम स्थित सूर सरोवर पक्षी विहार में मुख्य द्वार से झील तक गोल्फकार्ट, ई-रिक्शा व साइकिल चलाने का प्रस्ताव भेजा ही है। साथ ही राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी परियोजना के अधिकारी पर्यटकों के लिए पक्षी गाइड उपलब्ध कराने की भी तैयार कर रहे हैं। इसके लिए वे ई-रिक्शा चालक को ही प्रशिक्षण देकर पक्षियों का बोध कराएंगे। जिससे वह अपने ई-रिक्शा में बैठने वाले पर्यटकों को पक्षियों की विशेषता बता सके। पक्षी कौन-कौनसी जगह से कीठम झील में आते हैं और किस पक्षी को किस तरह के हेवीटाट में पसंद है। गाइड सारी जानकारी पर्यटकों को देगा।

मिलेगा रोजगार

वन अधिकारियों के इस प्लान के अनुसार सूर सरोवर पक्षी विहार में कई लोगों को रोजगार मिलेगा। चालक प्रति माह तय राशि जमा करके अंदर रिक्शा चलाएगा। वह पर्यटकों से किराया लेगा और गाइडिंग की शुल्क अलग से लेगा।

वाहनों से पहुंचती है पक्षियों के आराम में खलल

सूर सरोवर पक्षी विहार के चहुंओर एक किलोमीटर के दायरे में ईको सेंसटिव जोन घोषित है। विभाग के पास कोई दूसरी सुविधा नहीं होने से पर्यटक अपना वाहन लेकर ही झील तक जाते हैं। इससे पक्षियों के आराम में खलल पहुंचती है। यही कारण है कि पक्षी झील के अंत में बैठते हैं। पूरी झील खाली नजर आती है। पर्यटक मायूस होकर लौटते हैं और पक्षियों को भरपूर मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता।

यह भी असर

कीठम झील में सितंबर-अक्टूबर तक ग्रेटर फ्लेमिंगो, ग्रे लैग गूज, बार हेडेड गूज, पेलिकन, ग्रेट कोर्मोरेंट, टफ्टिड डक, ब्लैक टेल्ड गोडविट, नोर्दन शोवलर, कामन टील, यूरेशियन कूट, रिवर टर्न, नोर्दन पिनटेल, कामन पोचार्ड, गेडवाल, ब्लैकविंग स्टिल्ट, स्पाट विल्ड डक, लेशर विशलिंग डक, स्पूनविल डक, बुड सेंडपाइपर, ग्रीन शेंक, लिटिल रिंग्ड प्लोवर, पेंटेड स्टार्क सहित अन्य पक्षी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, लेकिन इस बार दिसंबर के अंत तक भी पक्षी ज्यादा संख्या में नहीं दिख रहे हैं। पक्षी विशेषज्ञ इसका कारण पक्षियों के मूल ठिकानों पर बर्फ न पड़ना बता रहे हैं।

अभी पर्यटक आते हैं, लेकिन वह पक्षियों को देखर ही लौट जाते हैं। उन्होंने पक्षियों के नाम व उनकी विशेषता की जानकारी नहीं मिलती। पर्यटक प्रवासी और अप्रवासी पक्षी की पहचान भी नहीं कर पाते हैं। शासन से प्रस्ताव पास होने के बाद पर्यटकों को पक्षियों की पहचान कराने के लिए गाइड तैयार किए जाएंगे।

दिवाकर श्रीवास्तव, डीएफओ, राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी परियोजना, आगरा 


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