ऐसे लगते हैं लाखों ठिकाने, छह माह में ही कबाड़ हो गए हैंगिंग डस्टबिन Agra News
डस्टबिन की गुणवत्ता पर लगा सवालिया निशान 4800 रुपये में एक की हुई थी खरीद। छत्ता डिस्पेंसरी में पड़े हैं कंडम। पार्षदों ने डस्टबिन की खरीद में खेल का लगाया आरोप जांच की मांग।
आगरा, जागरण संवाददाता। नागरिकों से मिले टैक्स को कैसे लगाया जाता है ठिकाने, यह मामला उसी की एक बानगी है। शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए लगाए गए हैंगिंग डस्टबिन की खरीद में खेल हुआ है। छह माह में बड़ी संख्या में डस्टबिन कबाड़ हो गए हैं। इससे इनकी गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग गया है। पार्षदों ने मेयर नवीन जैन से मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। डस्टबिन की खरीद को रोकने के लिए कहा है।
सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग रखने के लिए शहर के प्रमुख रोड और बाजार में हैंगिंग डस्टबिन लगवाए गए हैं। लोहे का डस्टबिन 4800 रुपये और स्टील का 14700 रुपये का है। शहर में 1280 हैंगिंग डस्टबिन लगाए गए हैं। छत्ता क्षेत्र में छह माह पूर्व लगाए गए डस्टबिन कबाड़ हो गए हैं। डिब्बा में छेद होने के साथ ही तली भी टूट गई है। मंगलवार को डेढ़ दर्जन डस्टबिन को छत्ता डिस्पेंसरी परिसर में रखा गया है। कुछ यही हाल अन्य वार्डों में भी है। पार्षद रवि माथुर ने बताया कि डस्टबिन की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। महज छह माह में डस्टबिन टूट गए हैं। उन्होंने मामले की शिकायत मेयर से की है। पार्षद राजेश प्रजापति ने बताया कि अशोक नगर व उसके आसपास लगाए गए डस्टबिन टूट गए हैं। किसी का पाइप गल गया है तो किसी के डिब्बे की तली। पार्षद राहुल चौधरी ने बताया कि जरूरत के हिसाब से डस्टबिन नहीं लगाए गए हैं। जो लगाए गए हैं, उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं है।