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चुनाव आयोग बना बॉस तो सिंघम बन गई पुलिस, जानिए आचार संहिता में कैसा चला पुलिसिया डंडा

साढ़े तीन माह से अधिक कार्रवाई चुनावी माह में। शस्त्र और शराब फैक्ट्री पकड़ी और खूब चला गुंडों पर डंडा।

By Prateek GuptaEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 01:15 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 01:15 PM (IST)
चुनाव आयोग बना बॉस तो सिंघम बन गई पुलिस, जानिए आचार संहिता में कैसा चला पुलिसिया डंडा
चुनाव आयोग बना बॉस तो सिंघम बन गई पुलिस, जानिए आचार संहिता में कैसा चला पुलिसिया डंडा

आगरा, यशपाल चौहान। शराब की अवैध फैक्ट्री चल रही थी लेकिन दिख नहीं रही थी, या देखने का समय नहीं था। अवैध असलहों की फैक्ट्री भी चल रही थी पर पुलिस 'वीआइपी को वैध असलहों का कवच देने में व्यस्त थी। चुनाव की घोषणा हुई तो अचानक पुलिस की आंख खुली और यह अवैध कारोबार करने वाले पुलिस को एक झटके में नजर आने लगे। दनादन कार्रवाइयां हुईं और अब इनका धंधा बंद है, कम से कम चुनाव खत्म होने तक। पुलिस महकमा भले यह बात दबे-छिपे ढंग से स्वीकार करे लेकिन आंकड़े दावे के साथ कह रहे हैं कि पॉलिटिकल बॉस की अपेक्षा चुनाव आयोग के बॉस बनते ही पुलिस सिंघम बन गई।

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आगरा और सीकरी लोकसभा सीट के लिए 18 अप्रैल को मतदान हुआ और इसके दो दिन पहले 16 अप्रैल को प्रचार थम गया। इसके ठीक पहले 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच पुलिस रिकार्ड में मौजूद आंकड़ों के मुताबिक महज 30 दिन में ही शस्त्र अधिनियम के तहत न केवल 129 मुकदमे दर्ज हो गए बल्कि दो अवैध शस्त्र फैक्ट्रियों का भी भांडा फूट गया। अधिकतर अब भी जेल में हैं। इसी तरह अवैध शराब कारोबार में लिप्त लोगों के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत 209 मुकदमे लिखे गए और इनका हाल भी अवैध असलाह का कारोबार करने वालों जैसा है।

ऐसा नहीं कि पुलिस हमेशा अपराधियों की तरफ से आंखें मूंदे रहती है, बस थोड़ा धुंधला दिखाई देता है। शस्त्र अधिनियम के तहत हुई कार्रवाई की ही बात करें तो इस साल पहली जनवरी से 15 मार्च तक ढाई महीनों में महज 23 मुकदमे लिखे गए थे, लेकिन इसके बाद महीने भर जो तेजी दिखी उससे यह आंकड़ा दस गुना बढ़कर 232 हो गया। बात करें पिछले साल की तो पहली जनवरी से 15 अप्रैल तक वर्ष 2018 में शस्त्र अधिनियम के तहत 150 लोगों पर कार्रवाई हुई थी, जिसका ग्राफ चुनावी वर्ष में डेढ़ गुना बढ़ गया। इसी तरह चुनाव आयोग की बॉसगीरी में अन्य कानूनों के तहत भी धड़ाधड़ कार्रवाई हुई। 71 इनामी अपराधी वर्षों से फरार चल रहे थे, चुनाव के दौरान पुलिस ने 13 का सुराग लगाकर धर दबोचा और जेल पहुंचा दिया। अब ऐसे में यह धारणा तो बनती ही है कि पुलिस सिर्फ पुलिसिंग ही करे तो अपराध के अंकुर फूटकर विषबेल बनने से पहले ही सूख सकते हैं।

क्‍या कहते हैं जिम्‍मेदार 

'वैसे तो पुलिस हर समय सतर्क रहकर अपराधियों और अराजक तत्वों पर कार्रवाई करती है, लेकिन चुनाव के समय मॉनीटरिंग बढ़ जाती है। इस समय प्राथमिकता के आधार पर निरोधात्मक कार्रवाई और इनामी तथा वांछितों की गिरफ्तारी के प्रयास होते हैं।' 

अमित पाठक, एसएसपी

मतदान पूर्व चुनाव के दौरान महीने भर का पुलिस एक्शन

(15 मार्च से 15 अप्रैल, 2018)

गैंगस्टर एक्ट - 43

गुंडा अधिनियम- 450

आम्र्स एक्ट के मुकदमे- 129

अवैध शस्त्र फैक्ट्री पकड़ी-2

एक्साइज एक्ट के मुकदमे- 209

शराब फैक्ट्री पकड़ीं- 8

जुआ अधिनियम के मुकदमे- 105

एनडीपीएस के मुकदमे-53

साढ़े तीन महीने के पिछले साल से तुलनात्मक आंकड़े

(पहली जनवरी से 15 अप्रैल तक)

विभिन्न अधिनियमों में कार्रवाई, वर्ष 2019, 2018

शस्त्र अधिनियम 232, 150

जुआ अधिनियम 205, 169

आबकारी अधिनियम 356,125

गुंडा एक्ट 464, 82

गैंगस्टर एक्ट 58,24

एनएसए 2, 0 


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