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Lockdown 3.0: ताज की सतह से गायब हुआ गंदगी छोड़ने वाला गोल्डीकाइरोनोमस, ये है बड़ी वजह

यमुना में इंडस्ट्रियल वेस्ट नहीं तो ताज पर गोल्डीकाइरोनोमस नहीं। लॉक डाउन में औद्योगिक गतिविधियों पर रोक से पर्यावरण में हुआ है सुधार।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sat, 16 May 2020 11:36 AM (IST)Updated: Sat, 16 May 2020 11:36 AM (IST)
Lockdown 3.0: ताज की सतह से गायब हुआ गंदगी छोड़ने वाला गोल्डीकाइरोनोमस, ये है बड़ी वजह
Lockdown 3.0: ताज की सतह से गायब हुआ गंदगी छोड़ने वाला गोल्डीकाइरोनोमस, ये है बड़ी वजह

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस के संक्रमण को बढ़ने से किए गए लॉक डाउन के बीच धवल संगमरमरी हुस्न के सरताज ताजमहल से एक अच्छी खबर है। लाॅक डाउन में यमुना में इंडस्ट्रियल वेस्ट नहीं होने से इस वर्ष ताज पर गोल्डीकाइरोनोमस का असर देखने को नहीं मिला है, जबकि पिछले पांच वर्षों में यह समस्या निरंतर अप्रैल-मई में सामने आ रही थी।

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ताजमहल को लॉक डाउन से पूर्व ही केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने 17 मार्च की सुबह से बंद कर दिया था। तभी से यह बंद चला आ रहा है। लॉक डाउन में औद्योगिक गतिविधियों पर ब्रेक लगने से वायु गुणवत्ता में सुधार के साथ ही नदियों की दशा भी सुधरी है। यमुना में भी इंडस्ट्रियल वेस्ट नहीं जाने से उसकी दशा सुधरी है, जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। मार्च-अप्रैल में तापमान 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने पर यमुना की गंदगी में कीड़ा गोल्डीकाइरोनोमस पनपना शुरू होता था। यह ताज की सतह पर गंदगी के दाग छोड़ता था। तापमान में वृद्धि होने के साथ कीड़े की समस्या कम होती जाती थी। सितंबर, 2015 में पहली बार नजर आने के बाद से यह दाग हर वर्ष अप्रैल-मई में ताज की सतह पर नजर अा रहे थे। इस बार लॉक डाउन की अवधि में ऐसा देखने को नहीं मिला। पिछले दिनों एएसआइ की रसायन शाखा ने ताज का निरीक्षण कर स्थिति को जाना था।

अधीक्षण पुरातत्व रसायनज्ञ डॉ. एमके भटनागर ने बताया कि लॉक डाउन में औद्योगिक गतिविधियां बंद हैं। यमुना में इंडस्ट्रियल वेस्ट नहीं आने से यमुना का जल पिछले वर्षों की अपेक्षा साफ है। इससे जलीय परिस्थिति तंत्र भी सही बना हुआ है। पिछले दिनों वो ताजमहल गए थे लेकिन यमुना किनारा की तरफ उन्हें गोल्डीकाइरोनोमस का असर देखने को नहीं मिला।

वर्ष 2015 में नजर आए थे सबसे पहले दाग

ताज की सतह (यमुना किनारा की तरफ) गहरे भूरे व हरे रंग के दाग सबसे पहले सितंबर, 2015 में नजर आए थे। एएसआइ की रसायन शाखा ने यमुना की गंदगी में पनपे कीड़ों द्वारा ताज की सतह पर छोड़ी गई गंदगी के बारिश के पानी में घुलकर बहने से दाग लगने की बात कही थी। अध्ययन से यह साबित हुआ था कि गंदगी छाेड़ने वाले कीड़े गोल्डीकाइरोनोमस, पोडीपोडीलम और ग्लिप्टोटेन यमुना की गदंगी व उसमें फास्फोरस की मात्रा अधिक होने से पनप रहे हैं। रसायन शाखा ने कीड़े की गदंगी से ताज के संगमरमर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने की बात कही थी। यमुना की स्थिति में सुधार पर जोर दिया था। इसके लिए आज तक सार्थक प्रयास नहीं हो सके हैं।

ट्रंप के दौरे से पूर्व कराई थी सफाई

एएसआइ की रसायन शाखा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 24 फरवरी के दौरे से पूर्व ताजमहल में व्यापक स्तर पर सफाई अभियान चलाया था। ताज की सतह पर लगे काई और कीड़े द्वारा छोड़ी गई गंदगी के दागों को धोकर साफ किया गया था। 


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