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स्थापना दिवस: 95 सालों से जल रही 649 कालेजों के साथ शिक्षा की मशाल, पढ़िए डा. भीमराव यूनीवर्सिटी का इतिहास

foundation day of the Ambedkar university आंबेडकर विश्वविद्यालय के स्वर्णित इतिहास पर अब कालिश के निशां ज्यादा। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का 95वां स्थापना दिवस। इस विश्वविद्यालय से निकल चुके हैं देश के दर्जन भर विश्वविद्यालय। होम्योपैथी और आयुर्वेद के प्रदेश भर के कालेज भी संबद्ध है।

By Abhishek SaxenaEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 07:30 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 07:30 PM (IST)
स्थापना दिवस: 95 सालों से जल रही 649 कालेजों के साथ शिक्षा की मशाल, पढ़िए डा. भीमराव यूनीवर्सिटी का इतिहास
foundation day of the Ambedkar university: वर्तमान में आगरा मंडल के चार जिलों में सिमटा यह विश्वविद्यालय

आगरा, जागरण संवाददाता। 95 साल पहले आगरा में भारत के एक एेसे विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी, जहां से कोलकाता तक के कालेज संचालित होते थे। इसका विस्तार क्षेत्र मध्य भारत, आगरा संयुक्य प्रांत से लेकर पूरा राजस्थान तक था। इन 95 सालों में इस विश्वविद्यालय से दर्जन भर विश्वविद्यालय निकल चुके हैं। वर्तमान में आगरा मंडल के चार जिलों में सिमटा यह विश्वविद्यालय 649 कालेजों के साथ शिक्षा की मशाल को जलाए रखने की भरपूर कोशिशें कर रहा है। स्वर्णिम इतिहास के पन्नों पर छात्रों के आरोपों और शिक्षकों की कार्यप्रणाली की कालिख लगातार लग रही है।

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विश्वविद्याल का इतिहास

डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (पूर्ववर्ती आगरा विश्वविद्यालय) की स्थापना एक जुलाई वर्ष 1927 को रेवरेंड कैनन एडब्लू डेविस, मुंशी नारायण प्रसाद अस्थाना, डा. एलपी माथुर, लाला दीवानचंद, रायबहादुर आनंद स्वरूप आदि के प्रयासों से हुई थी।

इस विश्वविद्यालय की स्थापना कोलकाता और प्रयागराज जैसे विश्वविद्यालयों को परीक्षा कराने में हो रही परेशानी के कारण की गई थी।उस समय इस विश्वविद्यालय से महज 14 कालेज संबद्ध थे।34 छात्रों के साथ प्रारंभ हुए इस विश्वविद्यालय में चार संकाय थे, कला, विज्ञान, वाणिज्य और कानून। वर्ष 1936 में चिकित्सा, 1938 में कृषि, 1968 में गृह विज्ञान संकाय खुले।

अब तक इस विश्वविद्यालय में 48 कुलपति रहे

आवासीय संस्थानों में वर्ष 1953 में कन्हैया लाल माणिकलाल मुंशी हिंदी और भाषा विज्ञान विद्यापीठ, वर्ष 1957 में समाज विज्ञान संस्थान और वर्ष 1968 में गृह विज्ञान संस्थान और वर्ष 1984 में बेसिक साइंस इंस्टीट्यूट और पुस्तकालय और सूचना विज्ञान विभाग स्थापित हुए।

इतिहास एवं संस्कृति विभाग वर्ष 1985 में, सेठ पदम चंद जैन वाणिज्य और प्रबंधन संस्थान वर्ष 1993 में, दाऊ दयाल वोकेशनल इंस्टीट्यूट वर्ष 1994 में तथा इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान वर्ष 1998 में शुरू हुए। स्कूल आफ लाइफ साइंसेज वर्ष 1998 में, ललित कला संस्थान वर्ष 2000 में और पर्यटन प्रबंधन संस्थान वर्ष 2004 में खुले। अब तक इस विश्वविद्यालय में 48 कुलपति रहे हैं।

वर्तमान में विश्वविद्यालय की स्थिति

वर्तमान में चार आवासीय परिसरों में फैले इस विश्वविद्यालय में 15 संस्थान हैं और 649 कालेज संबद्ध हैं।इस साल अलीगढ़ में बने राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय से 408 कालेज भी संबद्ध कर दिए गए हैं।

विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं नगीने

विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों में पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा,वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई, फाइबर आप्टिक्स के जनक वैज्ञानिक नरेंद्र सिंह कपानी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नाम शामिल हैं।

पिछले एक साल में हुए कार्य

- विश्वविद्यालय के कुलगीत का निर्धारण किया गया।

- साल 2017 में हुए नैक निरीक्षण में विश्वविद्यालय को सीजीपीए 2.79 के साथ बी++ ग्रेड प्राप्त हुआ था। अब शीघ्र ही नैक का निरीक्षण प्रस्तावित है, जिसके लिए विश्वविद्यालय ने तैयारियां प्रारंभ कर दी हैं।

- कई वर्षों के बाद दीक्षांत पंजिका तैयार की गई है । इसमें दीक्षांत समारोह में दी जाने वाली उपाधियों और अंकतालिकाओं का विवरण होगा ।

- विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार आवासीय इकाई के शिक्षकों द्वारा अपनी अकादमिक उपलब्धियों का पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण जूम प्लेटफार्म पर दिया गया।

- चार वर्षों से रुकी हुई पीएचडी की प्रवेश परीक्षा आयोजित कराई गई।

- संविदा शिक्षकों को भी शोध निर्देशक बनाया गया।

- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर विश्वविद्यालय से संबद्ध कालेजों में बीए, बीएससी और बीकाम में प्रवेश लिए गए थे।शैक्षिक सत्र 2022-23 से विश्वविद्यालय की आवासीय इकाई में भी बीए, बीएससी, बीकाम एवं एमए, एमएससी एवं एमकाम पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं। इन पाठ्यक्रमों के लिए शासन द्वारा तैयार किए गए ग्रेडिंग सिस्टम को विश्वविद्यालय द्वारा अंगीकार किया गया है।

-135 व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है।

-विश्वविद्यालय में पहली बार प्रशिक्षण एवं रोजगार प्रकोष्ठ (प्लेसमेन्ट सेल) की स्थापना की गई है।जिसके अन्तर्गत एक रोजगार मेले का आयोजन किया गया था, जिसमें लगभग 50 बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने प्रतिभाग किया । इस आयोजन में लगभग 900 विद्यार्थियों का कैंपस प्लेसमेंट हुआ।

- जालमा कुष्ठ रोग संस्थान के साथ विश्वविद्यालय ने अभी हाल ही में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

- विश्वविद्यालय के चारों परिसरों (पालीवाल पार्क परिसर, खन्दारी परिसर, छलेसर परिसर एवं संस्कृति भवन) में पुस्तकालयों की स्थापना की गई है। प्रत्येक पुस्तकालय को ई-लाइब्रेरी के रूप में विकसित किया गया है ।

-विश्वविद्यालय की आवासीय इकाई में कई वर्षों से लंबित 14 शिक्षकों की प्रोन्नतियां कर दी गई हैं।

-विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संस्थान में राज्य सरकार से प्राप्त 1.5 करोड़ रुपये की सहायता से विवेकानंद एक्यूवेशन फाउंडेशन स्थापित किया गया।

- स्थायी शिक्षकों के 51 नियमित पदों के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया था। लगभग 1033 आवेदन प्राप्त हुए हैं।

- मार्च माह में आयोजित दीक्षा समारोह में नौ नए पदक प्रारंभ किए गए थे। विश्वविद्यालय की कार्य परिषद द्वारा आठ और नए पदक देने का निर्णय लिया गया है।

- रिसर्च एंड डेवेलपमेंट योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय के 13 शिक्षकों ने अपने शोध कार्य के लिए शासन को प्रस्ताव भेजे हैं। इसी प्रकार सेंटर आफ एक्सीलेंस के लिए शासन को पांच प्रस्ताव भेजे गए हैं।

-राजभवन के निर्देश पर विश्वविद्यालय आवासों में रहने वाले कर्मचारियों के आवासों पर बिजली के प्रीपेड मीटर लगवाए गए।

- विश्वविद्यालय की वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक की 6,98,857 डिग्रियां एवं 11,85,672 अंकतालिकाएं डिजीलाकर में अपलोड कर दी गई हैं।

- विश्वविद्यालय के इतिहास में प्रथम बार पूर्व में कार्यरत सभी एजेंसियों से छात्रों का डाटा लेकर उसे एनआइसी द्वारा संचालित स्टेट डाटा सर्वर पर संरक्षित किया गया है, जहां वन व्यू साफ्टवेयर के माध्यम से विद्यार्थी अपनी अंकतालिकाओं और डिग्रियों को देख सकते हैं।

- परीक्षा से पहले कालेजों की जियो टैगिंग कराई गई।

- 2015 से पूर्व के चार्टों को स्कैन करवाकर उन्हें डिजिटाइज कराने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।

- विश्वविद्यालय के सुचारू संचालन हेतु एक एकीकृत साफ्टवेयर (इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर) तैयार कराया गया है, जिसमें परीक्षा, लेखा, संबद्धता, सामान्य प्रशासन आदि की समस्त सूचनाएं उपलब्ध होंगी ।

- विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली को चुस्त दुरुस्त करने के लिए विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्यों को नवीन दायित्व दिए गए।

- दो वर्ष से तैयार संस्कृति भवन में इतिहास एवं संस्कृति विभाग, पर्यटन एवं होटल प्रबंधन संस्थान व ललित कला संस्थान का स्थानान्तरण किया गया है।

- दो वर्षों से निर्मित शिवाजी मण्डपम में दीक्षा समारोह का आयोजन किया गया।

- विश्वविद्यालय में काल सेंटर की शुरुआत की गई।

विश्वविद्यालय में पिछले एक साल में हुई घटनाएं

- पिछले साल पांच जुलाई को स्थायी कुलपति प्रो. अशोक मित्तल पर भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे। कुलाधिपति के निर्देशों पर उन्हें कार्य विरत कर दिया गया। इस साल उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उनके बाद प्रो. आलोक राय को कार्यवाहक कुलपति बनाया गया। प्रो. राय के बाद वर्तमान में प्रो. विनय कुमार पाठक कार्यवाहक कुलपति की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

- मुख्य परीक्षा में तीन विषयों के पेपर लीक हुए। जांच में अछनेरा के श्री हरचरण लाल वर्मा कालेज से पेपल लीक होने की जानकारी मिलने पर उस केंद्र को निरस्त कर दिया गया। पुलिस ने कालेज के तथाकथित प्राचार्य को गिरफ्तार कर लिया। प्रबंधक, कोचिंग संचालक और एक शिक्षक की तलाश अब भी जारी है।

- पूर्व कुलपति के खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू हो चुकी है।

- एक कर्मचारी की शिकायत पर न्यायालय ने पूर्व कुलपति व नौ शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए।

दागी शिक्षकों पर है अहम जिम्मेदारी

स्वर्णिम इतिहास वाले विश्वविद्यालय में एेसे कई शिक्षक कार्य कर रहे हैं, जिन पर मुकदमे दर्ज हैं। इनमें प्रो. अनिल वर्मा के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है और विजिलेंस जांच भी चल रही है। प्रो. बीडी शुक्ला पर गबन करने की जांच और मुकदमा दर्ज है। प्रो. संजय चौधरी, प्रो. पीके सिंह, प्रो. मनुप्रताप सिंह के खिलाफ भी विजिलेंस जांच चल रही है। प्रो. यूसी शर्मा पर कर्मचारी की शिकायत पर मुकदमा दर्ज हुआ है। डा. वीपी सिंह पर शासन के आदेश पर मुकदमा दर्ज है। इनमें से दो-तीन एेसे शिक्षक हैं, जिन पर अहम जिम्मेदारियां हैं, नियमानुसार इन शिक्षकों से कार्य नहीं कराया जा सकता है। 


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