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78 साल बाद फिर ढका जाएगा ताज का गुंबद, एएसआई करेगी गुंबद पर मडपैक Agra News

मुख्‍य गुंबद के संरक्षण का कार्य फरवरी से शुरू होकर सितंबर के अंत तक चलेगा।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 12:03 PM (IST)Updated: Sun, 22 Dec 2019 12:03 PM (IST)
78 साल बाद फिर ढका जाएगा ताज का गुंबद, एएसआई करेगी गुंबद पर मडपैक Agra News
78 साल बाद फिर ढका जाएगा ताज का गुंबद, एएसआई करेगी गुंबद पर मडपैक Agra News

आगरा, निर्लोष कुमार। ताजमहल का पूरा गुंबद करीब आठ माह तक ढका रहेगा। ऐसा इस पर मिट्टी का लैप (मडपैक ट्रीटमेंट) चढ़ाने के लिए किया जाएगा। इससे फीके पड़ रही ताज के पत्थरों को फिर से चमकीला किया जा सकेगा। यह काम 78 वर्ष बाद होगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की रसायन शाखा इस काम को करेगी।

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इसके लिए पूरे गुंबद को पाड़ (स्केफोल्डिंग) बांधकर कवर किया जाएगा। फरवरी के अंत से शुरु कर सितंबर के अंत तक यह काम किया जाएगा। इससे पूर्व संरक्षण कार्य के चलते 1941-44 के दौरान गुंबद ढका गया था।

संसद की पर्यावरण संबंधी समिति की सिफारिश पर एएसआइ की रसायन शाखा ने वर्ष 2015 में ताज पर यह काम किया था। गुंबद को छोड़कर स्मारक के अन्य भागों को मडपैक ट्रीटमेंट से निखारा गया। गुंबद पर मडपैक से पूर्व मकबरे के छत की धारण क्षमता (कैरिंग कैपेसिटी) का अध्ययन एएसआइ की इंजीनियरिंग शाखा ने किया। उसने एल्यूमीनियम के पाइप का इस्तेमाल पाड़ बांधने में करने का सुझाव दिया था। मगर, एल्यूमीनियम की कम मजबूती के कारण रसायन शाखा ने लोहे के पाइप से ही पाड़ बांधने का निर्णय लिया है। सूत्र बताते हैं कि फरवरी, 2020 के अंत से गुंबद पर पाड़ बांधने का काम शुरू होगा। सितंबर के अंत तक मडपैक ट्रीटमेंट कर गुंबद को साफ किया जाएगा।

मडपैक ट्रीटमेंट

मडपैक ट्रीटमेंट कुछ और नहीं मुल्तानी मिट्टी (फुलर अर्थ) का लेप है। इसे स्मारक की संगमरमरी सतह पर किया जाता है। यह स्मारक की सतह पर जमा धूल कण और गंदगी को सोख लेता है। बाद में उसे डिस्टिल वाटर से धोकर साफ कर दिया जाता है।

यह हैं चुनौतियां

गुंबद पर मडपैक करने में कई चुनौतियां हैं। ताज का गुंबद मकबरे की छत पर बने 11.45 मीटर ऊंचे ड्रमनुमा ढांचे पर आधारित है। इसके ऊपर बना गुंबद 22.86 मीटर ऊंचा है। इसके ऊपर 9.89 मीटर ऊंची फिनियल (कलश) लगी है। इतनी ऊंचाई पर हवा का दबाव मडपैक ट्रीटमेंट में बाधा बनेगा।

तब बदले गए थे खराब पत्थर

एएसआइ ने ताज की छत और गुंबद पर वर्ष 1941-44 के बीच संरक्षण का काम कराया था। तब गुंबद के चटके पत्थरों को रीसेट करने के साथ पच्चीकारी के निकले पत्थरों को दोबारा लगाया गया था। तब इसके संरक्षण पर 92 हजार रुपये खर्च हुए थे। वर्ष 1975-76 में भी ताज के गुंबद पर काम हुआ था।

30 लाख रुपये होंगे व्यय

एएसआइ की रसायन शाखा ने दिल्ली मुख्यालय को गुंबद पर मडपैक के लिए 30 लाख रुपये का एस्टीमेट तैयार कर भेजा है। इसके फरवरी तक स्वीकृत होने की उम्मीद है।


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